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मीडिया4चिल्ड्रन अवॉर्ड 2022 से राजधानी रायपुर में सम्मानित हुए भोजराज और खुशबू

धमतरी। कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर और मानव संसाधन संस्कृति विकास परिषद के सहयोग से अंतर्राष्ट्रीय संगठन युनिसेफ द्वारा राजधानी रायपुर में सोमवार को आयोजित मीडिया4चिल्ड्रन अवॉर्ड 2022 में जिले के भोजराज साहू और खुशबू सोनी को सम्मानित किया गया। छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत के हाथों यह सम्मान प्राप्त हुआ। यह अवॉर्ड महिलाओं और बच्चों के हक व अधिकारों के लिए विशेष रिपोर्टिंग, लेख या खबर लिखने या इस क्षेत्र की एडवोकेसी करने वाले पत्रकारों व स्वतंत्र लेखकों को दिया जाता है।

पुरस्कारों ने 5 श्रेणियों में राज्य भर से 120 से अधिक प्रविष्टियों को आकर्षित किया। प्रिंट मीडिया श्रेणी में हिंदी और अंग्रेजी दैनिक समाचार पत्र शामिल थे और न्यूज वेब पोर्टल भी। प्रविष्टियों का मूल्यांकन मीडिया, शिक्षा जगत, सरकार और नागरिक समाज का प्रतिनिधित्व करने वाली एक जूरी द्वारा किया गया था।

भोजराज साहू वर्तमान में एक ख्याति प्राप्त इलेक्ट्रॉनिक मीडिया संस्थान से जुड़े हुए हैं। अपनी पत्रकारिता के करीब 10 साल के अनुभव को साझा करते हुए कहते हैं कि महिलाओं और बच्चे हमारे समाज के अहम स्तंभ हैं। इनके अधिकारों और हक के लिए समय-समय पर बात होनी चाहिए। मैंने हमेशा से कोशिश की है कि महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों को महत्वपूर्ण तरीके से उठाकर उसे अपनी खबरों में पेश करूं। हम सभी को बच्चों व महिलाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य व उन्हें अनुकुल वातावरण प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध रहना चाहिए। यह सम्मान पाकर खुश हूं।

खुशबू सोनी वर्तमान में स्वतंत्र लेखक हैं और पब्लिक रिलेशन स्ट्रेटजिस्ट हैं। पत्रकारिता में अपनी पढ़ाई के दौरान गोल्ड मेडल पाने वाली खुशबू अपने पत्रकारिता के साथ ही वर्तमान में अंतर्राष्ट्रीय संगठन यूनिसेफ के साथ काम करने के अनुभवों को साझा करते हुए बताती हैं कि आज सिर्फ पत्रकार ही समाज के मुद्दों को सरकार तक पहुंचाने के माध्यम नहीं है, बल्कि तेजी से बढ़ते सोशल मीडिया के इस दौर ने सिटीजन जर्नलिज्म को बढ़ावा दिया है। आज हर कोई नागरिक एक पत्रकार के रूप में कार्य कर सकता है। महिलाओं और बच्चों के मुद्दों को आप जहां भी देखें अपने सोशल मीडिया पर जरूर उनकी समस्या के बारे में लिखें, उनसे बात करें और जो सहायता बन सकती हैं जरूर करें। आज कलाकारों की संख्या बढ़ी है, वे अपनी कला से ही संवेदनशील मुद्दों को उठाकर शासन-प्रशासन के सामने रख सकते हैं। खुशबू आगे कहती हैं कि यह सम्मान पूरे जिले का है।

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