POLITICAL TWIST : Election ‘game’ begins in Bengal? Adhir’s surprise meeting with PM
नई दिल्ली। बिहार के बाद अब पूरा चुनावी माहौल पश्चिम बंगाल में शिफ्ट हो चुका है। ममता बनर्जी भाजपा से सीधी टक्कर के लिए हिंदुत्व के एजेंडे पर उतरती दिख रही हैं। राज्य में मंदिर निर्माण और सांस्कृतिक राजनीति के संकेत साफ हैं। उधर, विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही गृह मंत्री अमित शाह तीन दिन के बंगाल दौरे पर हैं और कोलकाता में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ममता सरकार पर तीखा हमला बोल रहे हैं।
इसी बीच दिल्ली में अचानक सियासी हलचल तेज हो गई, जब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने पहुंच गए। समय ऐसा कि शाह कोलकाता में ममता सरकार को घेर रहे थे और दिल्ली में अधीर पीएम से मुलाकात कर रहे थे, कयासों का बाजार गर्म होना लाजमी है।
अधीर रंजन चौधरी ने मुलाकात का कारण बताया कि देशभर में काम करने गए बंगाल के प्रवासी मजदूरों पर भाषा के आधार पर हमले हो रहे हैं। उन्होंने पीएम को पूरी बात बताई और भरोसा मिलने की बात कही। हालांकि राजनीतिक हलकों में सवाल उठ रहे हैं कि लोकसभा चुनाव हार चुके और कांग्रेस में सीमित कद वाले नेता की पीएम से चुनाव से ठीक पहले मुलाकात के और भी मायने हो सकते हैं।
खासकर तब, जब हाल ही में ओडिशा में पश्चिम बंगाल के एक मुस्लिम व्यक्ति पर हमले को लेकर टीएमसी ने लिंचिंग का आरोप लगाया था। ऐसे मामलों में मुख्यमंत्री स्तर पर बातचीत की बजाय सीधे प्रधानमंत्री से मुलाकात इस पर अधीर ठोस जवाब नहीं दे पाए। उन्होंने मतुआ समुदाय के कथित डर का जिक्र भी किया, वही वोट बैंक जिसे भाजपा साध रही है।
दूसरी ओर, कोलकाता में अमित शाह ने ममता सरकार पर 14 साल से भय और भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कहा कि बंगाल में महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं, विकास ठप है और उद्योग पलायन कर रहे हैं। शाह ने भाजपा की चुनावी बढ़त के आंकड़े गिनाते हुए कहा कि 2014 में 2 सीटों से शुरू हुई पार्टी 2021 में 77 सीटों तक पहुंच गई और प्रमुख विपक्ष बन गई, जबकि कांग्रेस शून्य और वामपंथ भी बाहर हो गए।
कुल मिलाकर, बंगाल में हिंदुत्व बनाम तृणमूल, दिल्ली-कोलकाता की समानांतर सियासत और पीएम से अधीर की मुलाकात, सब मिलकर संकेत दे रहे हैं कि चुनाव से पहले कोई नया ‘खेला’ हो सकता है।
