Trending Nowशहर एवं राज्य

Anti naxal operation: सरकार की नीति और सुरक्षा बलों के घात से खिसक रही ‘लाल आतंक’ की जमीन

रायपुर। बस्तर में चल रहे एंटी नक्सल ऑपरेशन (anti naxal operation) और नक्सलियों की मांद में नए कैंप खुलने से सुरक्षाबलों की दखलअंदाजी बढ़ गई है। लिहाजा इससे नक्सली अब बैकफुट पर दिख रहे हैं। पुलिस के बढ़ते दखल और बड़े नक्सली लीडर्स की मौत और लगातार ध्वस्त किए जा रहे नक्सली कैंप्स के बाद लाल आतंकी अब इस नुकसान की भरपाई करने की कोशिश कर रहे हैं। अब नक्सली नए जोन में नई पैठ बनाने में लगे है। लेकिन सुरक्षाबलों के संयुक्त एंटी नक्सल ऑपरेशन ‘(anti naxal operation)’ से नक्सली अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हो पा रहे हैं।

दंडकारण्य (बस्तर) में दशकों से फैली लाल आतंक की जड़ों के खिलाफ निर्णायक जंग शुरू हो चुकी है। सरकार और पुलिस महकमा इन जड़ों को उखाड़ फेंकने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। बीजापुर और सुकमा की घटनाएं बताती है कि अब पुलिस आक्रामक तरीके से नक्सलियों को मात दे रही है। अपने आकाओं के मारे जाने के बाद नक्सली संगठन कमजोर पड़ने लगा है। रही सही कसर सरकार की पुनर्वास नीति पूरी कर रही है। इस नीति के चलते कई नक्सली अब लाल आतंक का दामन छोड़कर मुख्य धारा से जुड़ चुके हैं। बची कुची कसर नक्सलियों के मांद में नए पुलिस कैंप खुल जाने से भी माओवादियों का दायरा सिमटता जा रहा है।

खिसक रही नक्सलियों की जमीन

आंकड़ों के मुताबिक बीते 3 सालों में नक्सलियों को काफी नुकसान पहुंचा है। साल 2021 में कुल 74 मुठभेड़ हुई। जिसमें करीब 51 नक्सली मारे गए। बीते 3 सालों में बस्तर के सुदूर इलाकों में 36 नए पुलिस कैंप (Police Camp) भी बनाए गए हैं। नक्सल मोर्चे पर सरकार की रणनीति और फोर्स के बढ़ते दबाव के बाद माओवादी अब नए सिरे से अपनी पकड़ बनाने की कोशिश में हैं। यही कारण है कि दंडकारण्य में नक्सली ऐसे कैंप्स को अपना टारगेट बनाने की फिराक में हैं जहां पुलिस कैंप और पुलिस की ताकत अभी शुरुआती दौर में है। लेकिन बीते दिनों नक्सलियों के MMC जोन में घुसकर सुरक्षाबलों ने सीनियर कमांडर सहित 23 बड़े नक्सलियों को मार गिराया। नक्सलवाद के खिलाफ जारी ऑपरेशन पर कांग्रेस जहां अपनी पीठ थपथपा रही है तो दूसरी ओर विपक्ष की अपनी दलीलें हैं।अब आर या पार

पिछले तीन सालों में नक्सलियों की जो स्थिति है उसे देखते हुए ये कहा जा सकता है कि कहीं न कहीं अब नक्सलियों की जमीन खीसकने लगी है। नक्सलियों के बड़े लीडर बस्तर में अब पहले जैसी आज़ादी से अपनी गतिविधियों को अंजाम नहीं दे पा रहे हैं । अब सरकार और सुरक्षा बल, दोनों ही आर या पार की लड़ाई की फिराक में हैं।

Advt_19_09
cookies_advt2024_08
advt_001_Aug2024
july_2024_advt0001
Share This: