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छत्‍तीसगढ़ का एक गांव ऐसा जहां आजादी के 75 साल बाद पहली बार फहराया गया तिरंगा

रायपुर : पूरा देश आज आजादी का महोत्सव मना रहा है. आपको शायद यकीन नहीं होगा कि छत्तीसगढ़ राज्‍य के बस्तर जिले में एक ऐसा गांव है जो आजादी के बाद पहली बार तिरंगा झंडे का वंदन कर रहा है. यह छत्तीसगढ़ और उड़ीसा के सीमा में लगा चांदामेटा गांव है, जहां अब तक नक्सलियों का राज हुआ करता था. किसी समय में यहां नक्सली अपने नए ‘लड़ाकों’ को ट्रेनिंग दिया करते थे और इसे उनकी राजधानी भी कहा जाता था. लेकिन अब जिस तरह से सरकार और सुरक्षा बल लगातार नक्सलियों से मोर्चा ले रहे हैं तो अब कहीं न कहीं उनका इलाका सिमटता जा रहा है. यही वजह है अब इस गांव पर माओवादियों का नहीं, जवानों का कब्जा है. ऐसे में अब चांदामेटा की पहाड़ी में सुरक्षा बल के नए कैंप स्थापित किए गए. इसके बाद यह पहला स्वतंत्रता दिवस है, ऐसे में गांव वालों ने भी जवानों के साथ मिलकर स्वतंत्रता दिवस मनाने का फैसला किया.

सुबह से ही ग्रामीण अपने-अपने घरों से एकत्रित होकर कैंप के पास पहुंचे. सबसे पहले उन्होंने कैंप के अंदर जिला बल और सीआरपीएफ के साथ मिलकर झंडावंदन किया. इसके बाद उन्होंने अपने गांव में भी झंडा वंदन किया, उन्होंने बांस की लाठी पर तिरंगा बांधा, गांव के एक बुजुर्ग से इसे फहराया. इस दरमियान सुरक्षा बल के जवानों के साथ ग्रामीणों ने भी अपने हाथों में तिरंगा थामकर गांव में प्रभात फेरी निकाली. यह वह इलाका है जहां कभी माओवादी काला झंडा फहराया करते थे लेकिन अब बस्तर में बदलाव साफ नजर आ रहा है. यही वजह है कि जहां कभी काला झंडा कराया जाता था, वहां अब काले झंडे की जगह तिरंगे ने ले ली है. देश की आजादी के 75 साल के बाद पहली बार चांदामेटा गांव में भी तिरंगा शान से फहराया गया.

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