लॉन्चिंग से एक दिन पहले ही सीएम के भेंट मुलाकात की स्क्रिप्ट मार्केट में वायरल..? किसे बोलना है? क्या बोलना है? राजपुर में सबकुछ पहले से ही है फिक्स्ड..?

रायगढ़: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल रायगढ़ जिले के दौरे पर है। भेट मुलाकात पार्ट-2 का आगाज मुख्यमंत्री ने रायगढ़ जिले से ही किया है। हालांकि इसके पहले ही मुख्यमंत्री का दौरा रायगढ़ में तथा मगर किसी कारण से यह रद्द कर दिया गया। इसके पीछे पत्रकारों का विरोध बताया जा रहा है। रायगढ़ जिले के पत्रकारों ने मुख्यमंत्री के कार्यक्रम का बायकॉट करने की घोषणा की।
खरसिया में रातों-रात बन गई है सड़क
जिले का सबसे बड़ा मुद्दा देखा जाए तो यहां की घटिया सड़कें हैं। रायगढ़ विधानसभा प्रवास के दौरान बात उठने पार सीएम भूपेश बघेल ने इसे ठीक करने का आश्वासन दिया था। लेकिन उनके जाने के बाद ही बात दब गई। सड़क वैसी ही है। सिवाय बोर्ड के कोई प्रगति दिखाई नहीं देती। अभी उनके हाल के ही खरसिया प्रवास के दौरान उनके आने वाले मार्ग पर थूक पॉलिश कर रातों रात सड़क बना दी गई। इसीलिए लेकर सोशल मीडिया में काफी व्यंग भी चला है।
लैलूंगा में कार्यक्रम से पहले अधिकारी करा रहे रिहर्सल
देखा जाए तो मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का भेट मुलाकात कार्यक्रम की असल थीम सीएम और पब्लिक के बीच का सीधा सीधा संवाद है। हर विधानसभा का दौरा होना है। मुख्यमंत्री के भेंट मुलाकात कार्यक्रम को विपक्ष द्वारा एक प्रायोजित कार्यक्रम बताया गया है। जिसके अनुसार वहां सब कुछ पहले से तय होता है..? कब किसे बोलना है.. क्या बोलना है.?? किसके हाथ में माइक होगी और किसके हाथ में नहीं..! यह सब कुछ पहले से सेट होता है। विपक्ष के सारे दावों को सच साबित करता हुआ एक वीडियो, मार्केट में वायरल हो रहा है। जिसे नीचे देख सकते है..
यह वीडियो रायगढ़ जिले के लैलूंगा विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत राजपुर का बताया जा रहा है। जहां पर आज 12 सितंबर को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भेंट मुलाकात कार्यक्रम के तहत जनता से रूबरू होंगे। लेकिन मुख्यमंत्री के कार्यक्रम के एक दिन पहले 11 सितंबर को राजपुर में कुछ ग्रामीणों को अधिकारियों द्वारा लेकर आया गया और उन्हें सीएम के कार्यक्रम में क्या बोलना है..? इसके लिए स्क्रिप्ट पहले से तय है। उसकी बकायदा रिहर्सल करवाई गई। पीएम को क्या बोलना है इस बात के रियलसल करती हुई एक ग्रामीण महिला नया साफ तौर पर कहा है कि वह कल की प्रैक्टिस कर रही है। उसे वन विभाग के अधिकारियों द्वारा बुलाकर लाया गया है। रिहर्सल के दौरान वहां पर सी ई ओ भी उपस्थित थे।
रिहर्सल के दौरान का विडियो
मोटा मोटी तौर पर देखा जाए तो यह भेंट मुलाकात कार्यक्रम ऐसा दिखाई देता है..; जैसे कि हजारों की भीड़ में कोई भी अपने मुखिया से बात कर सकता है और अपनी समस्या रख सकता है..?? मगर यह वीडियो देखने के बाद लगता है कि विपक्ष का दावा सच है! पूरा का पूरा एक प्रायोजित कार्यक्रम है! एक फिल्म की तरह जिसकी स्क्रिप्ट और कलाकार पहले से ही तय होते हैं। अगर सच में ऐसा ही है तो इसकी तुलना जादू के खेल से भी की जा सकती है। ठीक उसी तरह जैसे एक जादू के खेल में एक जादूगर भीड़ में से बैठे अपने किसी आदमी को बुलाता है और उसके साथ मिलकर कोई ऐसा खेल दिखाता है! जिसे हम जादू या चमत्कार मान लेते हैं..?? जबकि सच तो कुछ और ही होता है! वह जादूगर हमें बेवकूफ बना रहा होता है!