सहायक आरक्षकों की पत्नियां फिर से सड़क पर: वेतन और प्रमोशन को लेकर आंदोलन की थी तैयारी, नेता हिरासत में, महिलाओं ने किया चक्काजाम

रायपुर : सहायक आरक्षकों की पत्नियां फिर से सड़क पर उतर गई। ये अपने पतियों की वेतन और प्रमोशन की मांग को लेकर आंदोलन की तैयारी में थी। इस दौरान पुलिस ने आंदोलन का नेतृत्व कर रहे नेता समेत कुछ लोगों को हिरासत में लिया। इससे नाराज सहायक आरक्षकों की पत्नियों ने चक्काजाम कर दिया। ये हिरासत में लिए लोगों की रिहाई की मांग कर रही थी।
सोमवार को रायपुर के भाटागांव में नेशनल हाईवे को महिलाओं ने चक्काजाम कर दिया। सड़क पर बैठकर नारेबाजी करती महिलाओं की वजह से करीब 1 घंटे तक नेशनल हाईवे पर ट्रैफिक जाम के हालात बने रहे, मौके पर पहुंची पुलिस ने बलपूर्वक इन महिलाओं को हटाया। यह सभी महिलाएं पुलिस के लिए काम करने वाले सहायक आरक्षक, होमगार्ड के जवानों की पत्नियां थीं।
जानकारी के मुताबिक उज्जवल देवान नाम के युवक के नेतृत्व में यह सभी महिलाएं एक बार फिर सहायक आरक्षकों को मिलने वाले वेतन और प्रमोशन के नियम में बदलाव को लेकर आंदोलन करने वाली थीं, लेकिन इससे पहले ही उज्जवल दीवान और उसके कुछ साथियों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। इसी का विरोध करते हुए महिलाओं ने सोमवार की सुबह सड़क पर जाम लगा दिया।
भाटागांव के पास दिनभर हंगामा चलता रहा। पुलिस विभाग के कई अफसर मौके पर पहुंचे, महिलाओं को हटाने का प्रयास करते रहे । प्रदर्शनकारी महिलाओं का समर्थन करने भारतीय जनता पार्टी के नेता गौरीशंकर श्रीवास भी पहुंच गए, हंगामा बढ़ता देख पुलिस ने गौरीशंकर श्रीवास को भी हिरासत में लेते हुए बस में बैठा दिया। उज्जवल दीवान के अलावा घटनाक्रम को रिपोर्ट कर रहे एक पत्रकार जितेंद्र जायसवाल को भी पुलिस ने पकड़ रखा है महिलाएं सभी की रिहाई की मांग कर रही हैं और भाटागांव इलाके में ही जमी हुई हैं। फिलहाल पुलिस ने इन्हें हटाकर ट्रैफिक क्लियर किया है।
सरकार कर चुकी है मांगे पूरी करने का ऐलान
पुलिस परिवार के आंदोलन की सुगबुगाहट के बीच रविवार को ही सरकार ने सहायक आरक्षकों के वेतन और प्रमोशन की मांग को मानने का ऐलान कर दिया है । छत्तीसगढ़ के डीजीपी अशोक जुनेजा ने एक रिपोर्ट सरकार को सौंपी है। राज्य सरकार की तरफ से कहा गया है कि जल्द ही इस पर फैसला लेते हुए सहायक आरक्षकों आरक्षकों की तरह ही वेतन और प्रमोशन दिया जाएगा। इन्हीं मांगों को लेकर पिछले महीने पुलिस परिवार की महिलाओं ने आंदोलन किया था।