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तिरछी नजर : मंत्रीजी की भविष्यवाणी

 

नगरीय निकाय चुनाव में कांग्रेस को अभूतपूर्व सफलता मिली है l इतनी बड़ी सफलता की उम्मीद किसी को नहीं थी l एक मंत्री ने तो भविष्यवाणी कर दी थी पार्टी को अधिकतम तीन – चार निकायों में ही जीत मिल पाएगी, लेकिन पार्टी को 13 निकायों में जीत मिल गई, और बाकी दोनों जगहों पर भी कांग्रेस अपना अध्यक्ष बनाने की कोशिश में लगी है l कुल मिलाकर मंत्रीजी गलत साबित हो गए और बात दाऊजी तक पहुंच गई है l

 

चंदा वसूली से बदनामी

वैसे तो भाजपा चारों नगर निगम हार गई है लेकिन बीरगांव में हार की कुछ ज्यादा चर्चा हो रही है l ऐसा नहीं है कि पार्टी को मेयर बनाने की उम्मीद थी बल्कि जोगी कांग्रेस के साथ मिलकर बहुमत का आंकड़ा छू लेने की बात कही जा रही थी l चुनाव निपटने से उरला, सिलतरा के उद्योगपतियों ने राहत की सांस ली है l बताते हैं कि चंदा जुटाने के लिए एक तरह अभियान चल रहा था l प्रत्याशी से लेकर पार्टी के छोटे बड़े नेता एक सूत्रीय अभियान में लगे थे जबकि कांग्रेस के कर्ताधर्ता उद्योगपतियों से चंदा के बजाय उनसे उनके यहाँ काम करने वाले श्रमिकों को कांग्रेस के पक्ष में वोट देने के लिए प्रेरित कर रहे थे l कांग्रेस की रणनीति कामयाब हुई l उद्योगों ने कांग्रेस को वोट दिलवाया और भाजपा को नोट l नोट भी कोई ज्यादा नहीं दिए l जितनी डिमांड करते थे उसका 10 फीसदी राशि देते थे l चुनाव तो हारे ही चंदा वसूली के चक्कर बदनाम हुए सो अलग।

 

 

कुलपति नियुक्ति पर रस्साकशी

हार्टीकल्चर यूनिवर्सिटी के कुलपति की नियुक्ति को लेकर सालभर तक राजभवन और सरकार के बीच रस्साकशी चलती रही। बताते हैं कि सरकार ने जो नाम सुझाए थे उनके खिलाफ केस दर्ज है, यह कहकर राजभवन ने अनुशंसा को ठुकरा दिया था। सरकार भी अपने नाम पर अड़ी रही। सालभर बाद राजभवन ने आरएस कुरील का नाम सुझाया और फिर सरकार ने अनमने भाव से मान लिया। कुलपति नियुक्ति को लेकर पहले भी राजभवन और सरकार के बीच टकराव की स्थिति देखने को मिली थी। पत्रकारिता और बिलासपुर विवि में कुलपति नियुक्ति के मुद्दे पर सरकार की सिफारिशों को अनसुना कर दिया गया था। सरकार कुलपति चयन का अधिकार अपने पास रखना चाहती है, तो राजभवन अपने पास।

भूपेश का कद बढ़ा

कांग्रेस सरकार के तीन साल होने पर भूपेश का कद ज्यादा बढ़ा है। कांग्रेस की राजनीति में राष्ट्रीय परिदृश्य में दिखने लगे है। सबसे ज्यादा नुकसान भाजपा और जोगी कांग्रेस को दिख रहा है। दोनों की स्थिति आगामी दो साल में एक जैसी न हो पाये इसकी जोर आजमाईश हो रही है। वहीं प्रशासन पहली बार तीनों साल सकते में दिखा। मंत्रियों का प्रभाव दिनोदिन घट रहा है और विधायकों ने ढाई-ढाई साल के झगड़े में चांदी काटी है। आगामी दो वर्ष इन्हीं लोगों के लिये ज्यादा खतरे से भरा रहेगा।

 

ठेका सप्लाई का राजा

जंगल का राजा शेर होता है यह कहावत इन दिनों वन विभाग में चरितार्थ हो रहा है। जंगल विभाग में काम करने वाले राजा (रजा) राजधानी रायपुर से लेकर बस्तर, सरगुजा सहित प्रदेश भर में हर छोटे-बड़े ठेका हासिल कर ले रहे हैं। नियम कानून का हवाला देने वाले तीन डीएफओ लाइन अटैच हो गये। कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने रायपुर के आदमी को काम मिलने पर विरोध स्वरूप दो महीने से काम बंद करा दिया और कहा वर्षो बाद पार्टी सरकार आई है क्षेत्र के कार्यकर्ता को काम मिलना चाहिए। कांकेर जिले के एक कांग्रेस विधायक तो धरने पर बैठ गये थे जिसे समझा बुझाकर लौटा दिया गया। कवर्धा जिले के एक कांग्रेस विधायक ने सीएम तक शिकायत कर दी है। विभाग में ठेका सप्लाई को लेकर हंगामा मचा है। दो माह से काम बंद है पर राजा तो राजा है कोई बाल बांका नहीं कर पा रहा है।

दिल्ली जाने और अफसर तैयार

 

छत्तीसगढ़ सरकार से आईएएस अफसरों का दिल्ली जाने का क्रम टूट नहीं रहा है। प्रदेश के कुछ और आईएएस अफसर प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली जाने के लिये आवेदन दे रहे हैं। कुछ और लोगों ने इच्छा जताई है। प्रदेश में काम करने वाले सीनियर और अनुभवी अफसरों की कमी मंत्रालय और प्रमुख विभागों में देखी जा सकती है। आगामी दो वर्ष सरकार के लिये चुनौतीपूर्ण है। योजनाओं को धरातल में उतारने में विभिन्न विभागों के बीच समन्वय का भारी अभाव के कारण कई योजनाएं अधर में अटकी हैं।

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