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तिरछी नजर : सन्नी का संकट

 

कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त बोर्ड के चेयरमैन सन्नी अग्रवाल कांग्रेस से निलंबित हुए, तो उन्हें भरोसा था कि दो-चार दिन में वापसी हो जाएगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पखवाड़ाभर से अधिक समय हो गए हैं, लेकिन उनका निलंबन खत्म नहीं हुआ। उन्हें झटका तो उस वक्त ज्यादा लगा, जब उनके राजनीतिक गुरू पीएल पुनिया ने उन्हें बुरी तरह दुत्कार दिया। बताते हैं कि दो दिन पहले पीएल पुनिया रायपुर आए थे, तो सन्नी अग्रवाल ने अकेला देख होटल में उनसे मिलने पहुंच गए। जैसे ही सन्नी ने कमरे का दरवाजा खोला पुनिया उन्हें देखते ही भड़क गए। उन्हें कह दिया कि तुम पार्टी में नहीं हो, तो अंदर मत आओ। पुनिया के तेवर देखकर सन्नी ठिठककर रूक गए, और दरवाजे पर खड़े रहकर सफाई देने की कोशिश की, लेकिन पुनिया कुछ सुनने के लिए तैयार नहीं थे। पुनिया इतने गुस्से में थे, कि सन्नी को दरवाजे से लौटना पड़ा। हालांकि चर्चा है कि सन्नी को गिरीश देवांगन का भरपुर साथ मिल रहा है। इसके कारण वो बोर्ड के चेयरमेन पद पर बने हुए हैं। तमाम शिकायतों के बाद भी दाऊजी ने अभी तक सन्नी को हटाया नहीं है।

आईएएस की कमाई जमीन में

एक आईएएस अफसर ने नवा रायपुर के सटे गांव में बड़े पैमाने पर जमीन खरीदी है। जमीन खरीदना-बेचना कोई गैर कानूनी नहीं है। लेकिन अफसर ने अपने परिजनों के नाम जमीन खरीदी है। इस खरीदी-बिक्री में कई लोगों को काला धन नजर आ रहा है। बताते है कि जमीन से जुड़ी जानकारी जुटाने के लिए आरटीआई के तहत आवेदन भी लगे हैं। अब इस खरीदी-बिक्री में गलत क्या है, यह तो आरटीआई से जानकारी निकलने के बाद ही पता चलेगा। फिलहाल तो अफसर को लेकर काफी कुछ कहा जा रहा है।

पोस्टिंग के लिए मंत्री की सिफारिश

चर्चा है कि विवादित अफसर प्रणव सिंह का तबादला कुछ दिनों तक सिर्फ इसलिए अटका रहा कि उनकी जगह जिन नामों पर चर्चा चल रही थी। उसके लिए ऊपर के लोग एकमत नहीं हो पा रहे थे। प्रणव सिंह की जगह देवेन्द्र पटेल को रायपुर एसडीएम बनाया गया। देवेन्द्र, पूर्व आईएएस और भाजपा नेता ओपी चौधरी के सगे साले हैं। बताते हैं कि देवेन्द्र के लिए मंत्री उमेश पटेल की भी सिफारिश आई, तब कहीं जाकर उनकी पोस्टिंग हुई।

उद्योग में खपाया वर्मी कैंपोस्ट

गोबर खरीदी के बाद वर्मी कम्पोस्ट की बिक्री को लेकर कलेक्टरों पर काफी दबाव है। ज्यादा दिन होने पर वर्मी कम्पोस्ट के खराब होने का खतरा भी है। किसानों का अभी भी सरकारी वर्मी कम्पोस्ट पर पूरा भरोसा नहीं बन पाया है। बिलासपुर संभाग के एक कलेक्टर तो अपने यहां का वर्मी कम्पोस्ट दो बड़े उद्योग समूह को टिका कर अपनी पीठ थपथपाने को मजबूर कर दिया। मगर बाकी लोग उतने किस्मत वाले नहीं हैं। क्योंकि उनके यहां बड़े उद्योग नहीं है। कुल मिलाकर वर्मी कम्पोस्ट की खपत अब कलेक्टरों के लिए परेशानी का सबब बन गई है।

सोशल मीडिया के शिकार लालबत्ती धारी

राज्य के एक लालबत्ती धारी कथित विडियो के चक्कर में ब्लैक मेलिंग के शिकार हो रहे है। सीधे व सरल माने जाने वाले लालबत्ती धारी को वीडियो वायरल की धमकी देकर लाखों रुपये की मांग की गई। कई अफसर अपने कमरे में प्रवेश के पहले मोबाईल रखवा दे रहे हैं । मंत्रियों के पी.ए अब वाट्स एप काल में काम चला रहे हैं। सोशल मीडिया इतना ताकतवर हो रहा है कि मंत्रियों और अफसरों पर भी शिकंजा कस रहा है। नैतिकता व अनैतिकता से दूर सोशल मीडिया की चाल-चलन से एक बड़ा वर्ग परेशान है। इस वर्ग की परेशानी को दूर करने नये सी.पी.आर. आई.पी.एस अफसर दीपांशु काबरा धीरे-धीरे सफल होते दिख रहे हैं। केन्द्र सरकार इसी सत्र में नये विधेयक ला रही है। राज्य सरकार भी इस पर गंभीरता से विचार कर रही है। हर तरफ से मानीटरिंग हो रही है।

 

कचरे में बड़ी योजनाएं

कचरे के ढेर में बड़ी-बड़ी योजनाएं

सरकार की बनाई हुई बड़ी-बड़ी व महत्वाकांक्षी योजनाएं लागू होने के पहले कैसे कचरे में पहुंचती है यह देखना है तो रमन सरकार के समय योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष व पूर्व चीफ सेक्रेटरी सुनील कुमार की रिपोर्टो की पड़ताल से पता चलता है। सुनील कुमार ने देश भर के बड़े-बड़े विद्बानों, योजनाकारों को रायपुर बुलाकर लाखों रुपये खर्च कर कई दिनों तक गंभीर विचार मंथन किया । शानदार रिपोर्ट बनाई और चुनाव आ गया। तत्कालीन चीफ सेक्रेटरी अजय सिंह ने पूरी रिपोर्ट बिना पढ़े सांख्यिकी विभाग में भेज दिया। अब सरकार बदलने के बाद योजना आयोग में बैठकर अजय सिंह खुद बड़ी व महत्वाकांक्षी योजनाए बना रहे है।

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