BJP प्रकाशन के प्रमुख पंकज झा ने सीएम को लिखा पत्र, कांग्रेस नेताओं की ओर से उपयोग किए गए अपशब्दों की जारी की सूची, पढ़िए
रायपुर। प्रदेश भाजपा (BJP) के प्रकाशन प्रमुख पंकज झा ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र लिखकर सीएम समेत कांग्रेस नेताओं द्वारा उपयोग किये गए अपशब्दों की सूची जारी की. अपने पत्र में पंकज ने मुख्यमंत्री बघेल से आग्रह किया है कि वे दूसरों की तरफ एक अंगुली उठाते हुए खुद की तरफ उठी तीन अँगुलियों पर ध्यान दें
उन्होंने अपने पत्र में लिखा कि
(BJP) आप कुशल होंगे. कल देर रात का आपका ट्वीट और उसमें इस्तेमाल की गयी भाषा पढ़ कर दुखी हुआ. कांग्रेस द्वारा ऐसी धमकाऊ भाषाओं इस्तेमाल का यह कोई पहला मामला भी नहीं है. मीडिया/सोशल मीडिया पर सक्रिय लाखों लोगों को जिस भाषा में ट्वीट के माध्यम से आपके द्वारा धमकी दी गयी है, वह अनुचित है. उस पर तुर्रा यह कि उलटे कांग्रेस, प्रदेश के विपक्ष और मीडिया पर ही खराब भाषा उपयोग करने का आरोप लगा रहा है.
(BJP) आश्चर्य यह भी है कि केंद्र में बकौल आप, विपक्ष के कथित बड़े नेता (हालांकि कांग्रेस के मुट्ठी भर सांसदों में से एक होने के अलावा राहुल गांधी के पास आज कोई ऐसा दायित्व नहीं है, जिसे ‘प्रमुख’ कहा जा सके. वैसे भी जनता ने लगातार दो बार से दिल्ली में कांग्रेस से विपक्ष की हैसियत भी छीन लिया है.) के लिए आप जैसा सम्मान देने जनता, विपक्ष और मीडिया को धमका रहे हैं, वैसा सम्मान आप खुद प्रदेश के मुख्य विपक्ष को नहीं देना चाहते. लगातार कांग्रेस का आपका गुट विपक्ष को न केवल धमकाता रहता है बल्कि अशोभनीय और असंसदीय शब्दों का उपयोग कर उसे अपमानित भी करता रहता है. करेले पर नीम भी तब चढ़ जाता है कि बावजूद उसके न केवल आप ही बदजुबानी की शिकायत भी करते हैं, अपितु प्रदेश के गरीब जनता की गाढ़ी कमाई खर्च कर विपक्ष और मीडिया पर उल-जुलूल मुकदमें भी करते रहते हैं. इतना समय और संसाधन अगर आपने अपने घोषणा पत्र के वादे को पूरा करने में लगाते तो शायद ऐसे मुकदमेबाजी की आपको ज़रुरत नहीं पड़ती. ऐसे मुकदमों से सिवा जनपथ के कुछ वकीलों के, किसी को भी कोई लाभ मिला हो, ऐसा दिखा नहीं कभी. अनेक बार उच्च अदालतों और सर्वोच्च अदालतों से भी न केवल ऐसे मुकदमों के लिए कांग्रेस सरकार को फटकार मिली, लगभग हर बार बुरी तरह आपको हार मिली बल्कि एकाधिक मामलों में तो कोर्ट को साफ़-साफ़ कहना पड़ा कि राज्य शासन ने मुकदमें राजनीतिक द्वेषवश किये हैं. बावजूद इसके शासन द्वारा बिना अभिव्यक्ति की आजादी को कुचलने में जी-जान से जुटे रहना तकलीफदेह है