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गुजरात: आज CM के नाम की घोषणा कर सकती है BJP, शाह भी शामिल होंगे बैठक में

नेशनल डेस्क: गुजरात में मुख्यमंत्री विजय रूपाणी के अचानक नाटकीय अंदाज़ में अपने पद से इस्तीफ़ा देने के बाद आज यहां होने वाली सत्तारूढ़ भाजपा के विधायक दल की बैठक में उनके उत्तराधिकारी का फैसला होगा। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की संभावित उपस्थिति में होने वाली इस बैठक में में शामिल होने के लिए दादरा एवं नगर हवेली तथा दमन-दीव के साथ ही लक्ष्यद्वीप केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासक और गुजरात के पूर्व मंत्री प्रफुल्ल खोडा पटेल (64) को भी कथित तौर पर आमंत्रित किया गया है।

पटेल उस समय गुजरात के गृह राज्य मंत्री बनाए गए थे जब तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के शासन में साल 2010 में अमित शाह के सोहराबुद्दीन मुठभेड़ प्रकरण में गिरफ़्तार किया गया था। उनके परिवार से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गहरा जुड़ाव रहा है। इस बात को लेकर भी कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं।

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कौन होगी गुजरात का नया CM
रूपाणी के इस्तीफ़े के बाद उनके उत्तराधिकारी को लेकर हालांकि भाजपा ने कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया था और इसके सभी बड़े नेता चुप्पी साधे रहे थे पर दिनभर कई नाम राजनीतिक हलकों में उछलते रहे थे। अधिकतर राजनीतिक प्रेक्षकों का यह मानना है कि अगला मुख्यमंत्री राज्य में दबंग माने जाने वाले पाटीदार समुदाय का होगा। जो नाम अब तक मुख्यमंत्री पद की दौड़ में आगे माने जा रहे हैं उनमें पाटीदार जाति के दो केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया, परशोत्तम रूपाला, उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल, राज्य भाजपा उपाध्यक्ष गोरधन झड़फिया, पूर्व मंत्री प्रफुल्ल पटेल, निवर्तमान कृषि मंत्री आरसी फलदु प्रमुख हैं। इनके अलावा राज्य के क़ानून मंत्री प्रदीप सिंह जडेजा, भाजपा प्रमुख सी आर पाटिल, वन मंत्री गणपत वसावा जैसे ग़ैर पातिदार नेताओं के नाम भी इस रेस में शामिल बताए जा रहे हैं।

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हालांकि प्रेक्षक प्रफुल्ल पटेल, नितिन पटेल और मांडविया को सबसे मज़बूत दावेदार मान रहे हैं। प्रेक्षकों का मानना है कि प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री के इस इस गृह प्रदेश में जो भी मुख्यमंत्री बनेगा उसे केंद्रीय नेतृत्व ही तय करेगा और विधायक दल की बैठक में बस औपचारिकता ही होगी। यह भी कहा जा रहा है कि मात्र क़रीब 14 प्रतिशत वोटर वाले पाटीदार समुदाय को मुख्यमंत्री पद देने के बाद अन्य पिछड़ा वर्ग तथा आदिवासी जैसे अपेक्षाकृत अधिक मतदाता प्रतिशत वाले समुदाय को रिझाने के लिए एक या दो उप मुख्यमंत्री भी बनाए जा सकते हैं। बता दें कि अगले साल ही राज्य में विधानसभा चुनाव होने हैं। रूपाणी के इस्तीफ़े को सत्तारूढ़ भाजपा की चुनावी रणनीति से जोड़ कर देखा जा रहा है।

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