CG HIGHCOURT: Major action in thermal power plants, High Court made 37 new units as defendants
रायपुर/बिलासपुर। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने राज्य के थर्मल पावर प्लांटों में स्वास्थ्य और सुरक्षा नियमों की अनियमितताओं पर कड़ा रुख अपनाते हुए सुओ-मोटो जांच का दायरा बढ़ा दिया है। कोर्ट ने हालिया निरीक्षणों में गंभीर कमियाँ सामने आने के बाद 37 नई यूनिटों को प्रतिवादी बनाने का आदेश दिया है। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति रवींद्र कुमार अग्रवाल की खंडपीठ ने 2016 से चल रहे WPPIL मामले की सुनवाई के दौरान दिया।
श्रमिकों में मिलीं जीवनशैली संबंधी बीमारियाँ
कोर्ट कमिश्नरों की रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि प्लांटों में काम करने वाले श्रमिकों में सिलिकोसिस जैसे पेशागत रोग नहीं मिले, लेकिन बड़ी संख्या में कर्मचारी मधुमेह, हाई BP, मोटापा, उच्च कोलेस्ट्रॉल, और दृष्टि-श्रवण संबंधी दोषों से पीड़ित हैं।
रिपोर्ट से यह भी सामने आया कि कई प्लांट अब भी वार्षिक मेडिकल जांच (AME) के लिए निजी डायग्नोस्टिक सेंटरों पर निर्भर हैं, जिसके चलते गलत व भ्रामक रिपोर्टिंग की शिकायतें सामने आईं।
कोर्ट ने दोहराया कि AME केवल सरकारी अस्पतालों, ESIC सुविधाओं या अनुमोदित टाई-अप अस्पतालों में ही कराई जाए।
सहयोग न करने वाले प्लांटों को कोर्ट की फटकार
अतिरिक्त महाधिवक्ता ने बताया कि कुछ प्लांट निरीक्षण टीमों के साथ पूरा सहयोग नहीं कर रहे हैं। इस पर खंडपीठ ने नाराज़गी जताते हुए कहा कि सभी औद्योगिक यूनिटें राज्य की व्यापक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा नीति को अंतिम रूप देने में न्यायालय का पूर्ण सहयोग करें।
कोर्ट ने यह भी नोट किया कि कई प्लांटों ने अपनी OHC सुविधाएँ, एम्बुलेंस और अन्य कमियाँ सुधार ली हैं तथा कुछ पर जुर्माना भी लगाया गया है, लेकिन शेष निरीक्षण जल्द पूरा होना जरूरी है।
अगली सुनवाई 15 दिसंबर को
यह पूरा मामला 2016 से न्यायालय की निरंतर निगरानी में है। कोर्ट ने अब आगे की प्रगति रिपोर्ट 15 दिसंबर को पेश करने के निर्देश दिए हैं।
