US TARIFF IMPACT ON INDIA METAL EXPORT : अमेरिका में स्टील-एल्युमिनियम पर 50% टैरिफ लागू, भारतीय एक्सपोर्ट पर पड़ेगा बड़ा असर

US TARIFF IMPACT ON INDIA METAL EXPORT: 50% tariff imposed on steel-aluminum in America, will have a big impact on Indian exports
वॉशिंगटन/नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने स्टील और एल्युमिनियम के आयात पर 50% टैरिफ लागू करने का आदेश दे दिया है। यह फैसला 5 जून से प्रभावी हो गया है। हालांकि ब्रिटेन को इससे बाहर रखा गया है, जिस पर पहले की तरह 25% टैरिफ ही लागू रहेगा, क्योंकि अमेरिका और ब्रिटेन के बीच ट्रेड एग्रीमेंट पर बातचीत चल रही है।
ट्रम्प ने 30 मई को घोषणा की थी कि US ट्रेड एक्सपेंशन एक्ट 1962 की धारा 232 के तहत नेशनल सिक्योरिटी चिंताओं के चलते टैरिफ बढ़ाया जाएगा। इससे पहले फरवरी में भी 25% टैरिफ लगाया गया था।
भारत पर असर –
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) की नई रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका के इस कदम से भारत के 4.56 बिलियन डॉलर (लगभग ₹39,000 करोड़) के मेटल एक्सपोर्ट पर सीधा असर पड़ेगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत से अमेरिका को 2025 में 587.5 मिलियन डॉलर का लोहा और स्टील, 3.1 बिलियन डॉलर के स्टील उत्पाद और 860 मिलियन डॉलर के एल्युमिनियम प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट किए गए हैं।
महंगे होंगे उत्पाद, गिरेगी प्रतिस्पर्धा –
रिपोर्ट के अनुसार, टैरिफ बढ़ने से इंडियन प्रोडक्ट्स की कीमत अमेरिकी बाजार में बढ़ेगी, जिससे भारतीय एक्सपोर्टर्स की प्रतिस्पर्धा घटेगी। GTRI ने चेताया कि इससे अमेरिका में भारत की मार्केट हिस्सेदारी और मुनाफे पर सीधा असर पड़ेगा।
अमेरिकी कीमतों में उछाल संभव –
GTRI ने कहा है कि इस बढ़ी हुई टैरिफ की वजह से अमेरिकन स्टील की कीमतें 1,180 डॉलर/टन (करीब ₹1 लाख/टन) तक जा सकती हैं, जिसका असर ऑटो, कंस्ट्रक्शन और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर्स पर पड़ेगा।
WTO में भारत की आपत्ति –
भारत ने इस बढ़ोतरी पर आपत्ति जताते हुए वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन (WTO) में नोटिफिकेशन दर्ज कराया है और विकल्पों पर विचार कर रहा है।
पर्यावरणीय चिंता भी जताई गई –
GTRI ने अमेरिकी नीति की आलोचना करते हुए कहा कि अमेरिका इस टैरिफ में पर्यावरणीय संतुलन का ख्याल नहीं रख रहा। उन्होंने कहा कि यह फैसला अर्थव्यवस्था को प्राथमिकता देता है, पर्यावरण को नहीं, जो कि ग्लोबल क्लाइमेट गोल्स और सस्टेनेबल इंडस्ट्री की दिशा में अमेरिका की प्रतिबद्धता पर सवाल खड़ा करता है।