CG SCAM : छत्तीसगढ़ मेडिकल कॉलेज टेंडर घोटाला ! 500 करोड़ के भ्रष्टाचार की साजिश, सरकार ने टेंडर पर लगाई रोक

CG SCAM: Chhattisgarh Medical College Tender Scam! Corruption conspiracy worth Rs 500 crore, government bans tender
रायपुर। छत्तीसगढ़ में चार नए मेडिकल कॉलेजों के निर्माण के लिए जारी 1020 करोड़ रुपये के टेंडर में भारी गड़बड़ी का खुलासा हुआ है। एक निजी न्यूज की लगातार रिपोर्टिंग के बाद राज्य सरकार ने इस टेंडर पर रोक लगा दी है। हेल्थ सचिव अमित कटारिया ने इस मामले में कमिश्नर मेडिकल एजुकेशन से रिपोर्ट मांगी है। रिपोर्ट आने के बाद ही आगे की कार्रवाई तय होगी।
500 करोड़ के भ्रष्टाचार की साजिश –
सीजीएमएससी (छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कॉर्पोरेशन लिमिटेड) के अधिकारियों ने मनेंद्रगढ़, कवर्धा, गीदम और जांजगीर मेडिकल कॉलेजों के टेंडर को क्लब कर 1020 करोड़ का टेंडर जारी किया, ताकि प्रतिस्पर्धा कम हो और मनपसंद कंपनियों को काम दिया जा सके। इस तरह की टेंडर क्लबिंग का खेल नया रायपुर में सीएम हाउस, मंत्री आवास और विधानसभा भवन निर्माण में भी हुआ था।
53% अधिक रेट, सरकारी खजाने को भारी नुकसान –
चारों मेडिकल कॉलेजों का टेंडर क्लब करने का मकसद प्रतिस्पर्धा खत्म करना था। इस कारण सिर्फ दो कंपनियां ही टेक्निकल बिड में पास हुईं, जिन्होंने आश्चर्यजनक रूप से 52% और 53% अधिक रेट कोट कर दिया। यदि यह टेंडर पास हो जाता, तो राज्य सरकार को 500 करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च करने पड़ते।
28% बिलो में बनी RBI बिल्डिंग, फिर छत्तीसगढ़ में 53% अधिक क्यों? –
विशेषज्ञों का कहना है कि भारत सरकार की रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) बिल्डिंग 28% बिलो रेट में बनी, लेकिन छत्तीसगढ़ में मेडिकल कॉलेज 53% अधिक दर पर क्यों बनाए जा रहे हैं? यह स्पष्ट रूप से घोटाले की ओर इशारा करता है।
टेंडर फंसा, बैठकें बार-बार स्थगित –
सीजीएमएससी टेंडर कमेटी ने 6 जनवरी से अब तक 5 बार बैठक बुलाई लेकिन अधिकतर सदस्य आने से बचते रहे, जिससे कोरम पूरा नहीं हुआ और बैठकें बार-बार स्थगित करनी पड़ीं। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि अधिकारियों को लग रहा था कि अगर आगे जांच हुई तो वे फंस सकते हैं।
डॉक्टरों पर बनाया जा रहा दबाव –
सीजीएमएससी ने टेंडर कमेटी में डॉक्टरों को भी सदस्य बना दिया और उन पर बैठक में शामिल होने का दबाव बनाया। जब डॉक्टर मीटिंग में नहीं पहुंचे, तो कमेटी के मिनट्स (बैठक के निष्कर्ष) उनके घर भिजवाकर दस्तखत करवाने का दबाव डाला गया। लेकिन डॉक्टरों ने यह कहते हुए हस्ताक्षर करने से मना कर दिया कि जब वे बैठक में मौजूद ही नहीं थे, तो दस्तखत कैसे करें।