BREAKING : मंदिरों के प्रसाद की गुणवत्ता पर नियम बनाने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार
BREAKING: Supreme Court refuses to make rules on the quality of temple offerings
मंदिरों में बांटे जाने वाले प्रसाद की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए नियम बनाने की मांग सुनने से सुप्रीम कोर्ट ने मना कर दिया है. जस्टिस बी आर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा है कि यह तय करना कोर्ट का काम नहीं है. फूड सेफ्टी एक्ट में इस बात को लेकर पहले से व्यवस्था है. लोग चाहें तो उसका उपयोग कर सकते हैं.
प्रीति हरिहर महापात्रा नाम की याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया था कि पूरे देश के मंदिरों में बिना किसी उचित जांच के प्रसाद बांटे जा रहे हैं. इसे नियमित करने की ज़रूरत है. याचिका में तिरुपति लड्डू प्रसाद को लेकर उपजे विवाद का भी हवाला दिया गया था. सुप्रीम कोर्ट पहले ही उस मामले की जांच का आदेश दे चुका है.
याचिकाकर्ता के लिए पेश वरिष्ठ वकील दामा एस. नायडू ने कहा कि उनकी याचिका किसी के भी खिलाफ नहीं है. लेकिन जनहित में प्रसाद वितरण को नियमित करने की ज़रूरत है. इस पर बेंच के सदस्य जस्टिस के वी विश्वनाथन ने कहा कि फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स एक्ट, 2006 में खाद्य पदार्थों को लोगों के लिए सुरक्षित रखने को लेकर व्यवस्था है. अगर किसी मामले में प्रसाद की गुणवत्ता को लेकर सवाल है, तो याचिकाकर्ता उसका इस्तेमाल करे.
सुनवाई से मना करते हुए बेंच के अध्यक्ष जस्टिस बी आर गवई ने कहा कि यह न्यापालिका का काम नहीं है. मामला कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्र का होने की तरफ इशारा करते हुए बेंच के अध्यक्ष जस्टिस गवई ने कहा, “26 नवंबर को हमारे प्रधानमंत्री ने कहा कि कार्यपालिका अपनी सीमा में रह कर काम कर रही है. हम भी यही कहना चाहते हैं.”