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CG NEWS: Even today the thrill and mystery about Mandeep Khol cave remains intact.
राजनांदगांव। छत्तीसगढ में विभिन्न पर्यटन स्थल का अपना एक अलग रोमांच व इतिहास है और फिर बात विभिन्न मान्यताओ से जुडी हो तो वह कई रहस्यमय कथाओ के रुप मे सामने आती है।
राजनांदगांव लोकसभा मुख्यालय से लगभग 95 किलोमीटर पर छुईखदान ब्लाक मुख्यालय से लगे गंडई -नर्मदा पैलीमेटा-ठाकुरटोला मार्ग के जंगल में ऐसी ही एक रहस्यमयी मंडीप खोल गुफा है। जिसके खुलने व देखने के लिये पर्यटक साल भर उस खास दिन का इंतजार करते है।
इतिहास व पुरातत्व के जानकारो के अनुसार लगभग दस साल पहले पुरातत्व विभाग ने इसका सर्वेक्षण कर पाया था कि एशिया की यह लम्बी तीसरी गुफा है हालांकि अंतिम छोर तक पुरातत्व विभाग के नही पहुंचने से मंडीपखोल गुफा की लम्बाई व गहराई का आज तक सही पता नही चल पाया है।गुफा के अंदर प्रवेश के बाद घुप्प अंधकार के बीच चार पांच रास्ते मे कही मैदान ,कही ऊचां और कही संकरा मार्ग है। गुफा के अंदर कही कही पानी भी है। कुछ ऐसे रास्ते भी है जहां डरावनी आवाज व संकरा होने से लोग आज तक नही पहुंच पाते है। यहां प्राचीन शिवलिंग व अन्य देवी देवताओ की प्रतिमाए सहित, सांप, बिच्छू, चमगादड, उल्लू व अन्य जीव जन्तुओ का वास है।
हालांकि सोमवार के खास दिन श्रद्धालुओ को सांप,बिचूछु आदि नजर नही आते है। गुफा के अंदर की विभिन्न प्राकृतिक सफेद चटटाने हीरे के समान चमकती है। गुफा की चटटानो मे सालो से बनकर तैयार हुई अलग ही प्राकृतिक असंख्य कलाकृतियां बरबस लोगो का ध्यान अपनी ओर खीचती है। कैलाश पर्वत समान ठंडक व शांत वातावरण में गुफा के अंदर गुप्त झरने की कल कल ध्वनि एक अलग संगीत का एहसास कराती है। मंडीप खोल गुफा साधारण गुफा नही है बल्कि यह कई अनसुलझे रहस्य को समेटे है। मंडीपखोल गुफा तक पहुंचने के लिए पर्यटको को रास्ते में नदी व नाले को 16 बार अलग अलग जगहो पर पार करके मंडीप खोल गुफा तक पहुंचना पडता हैं।
करोनाकाल के समय मे यह गुफा दो साल नही खुल पायी थी।गन्डई तहसील से लगे ठाकुरटोला पंचायत से लगभग 13 किलोमीटर ऊबडखाबड जंगली व पथरीले रास्ते पहुंचने के बाद धुर नक्सली क्षेत्र ग्राम देवरच्चा के बाद ग्राम लावातरा से डूडेरा के बीच संकरा चार किलोमीटर का ऊबडखाबड रास्ता है । बडे वाहन में चार पहिया वाहन बोलेरो या स्कारपियो ही जाना सँभव है।उसके बाद लगभग आधा किलोमीटर बडे बडे पत्थर को पैदल पार कर इस गुफा तक पहुंचना संभव हो पाता है। इस रहस्यमयी गुफा के पास पहुंचने का अलग ही रोमांच महसूस होता है।
राजपरिवार के अनुसार इस गुफा का प्रचार प्रसार ठाकुरटोला जमीदार स्वर्गीय कप्तान सिंह पुलस्त्य के समय हुआ है। उनके बाद वासुदेव पुलस्य उपरांत उनके भतीजे लाल रोहित सिंह पुलस्त्य एक दिवसीय आयोजन की कमान संभाल रहे है। लाल रोहित सिंह पुलस्त्य चर्चा करते हुए कहते है कि यह मंडीपखोल गुफा हमारे कुलदेवता का स्थल है। सालो मे एक बार आम जनता के लिये यह सेवा हमारी पीढी दर पीढी पंरपरा से करती आ रही है।
इस दिन परिवार द्वारा गांव वालो के सहयोग से आने वाले श्रद्धालुओ के लिये भोजन,प्रसाद जल का विशेष प्रबंध किया जाता है। ठाकुरटोला से देवरच्चा सडक के लिये पीएम सडक का काम चल रहा है। यही सडक मंडीपखोल तक बन जाये तो यह तीर्थ स्थल मे श्रध्दालुओ को आवागमन मे आसानी होगी। इस क्षेत्र मे,बिजली ,पानी,सडक आदि मूलभूत सुविधा आवश्यक है। आसपास के रहवासी मंडीपखोल के लगभग साठ साल से आम जनता की जानकारी मे होने की बात करते है।
उस समय के राजाओ ने यहां उस समय गौरी मंदिर , दक्षिण मुखी हनुमान मंदिर व शिव मंदिर का निर्माण कराया था।सभी मंदिर खुजराहो शैली मे बने है। मंडीपखोल गुफा की खासियत ये है कि ये साल में एक बार खुलती है और वह भी अक्षय तृतीया के बाद आने वाले पहले सोमवार को इस गुफा का द्वार खोला जाता है।
यहां के बडे पत्थर को हटाकर गुफा के अंदर व आसपास जंगली जानवरो के होने पर भाग जाने के लिये हवाई फायर के साथ फटाका फोडा जाता है।राजपरिवार के सदस्य इस दिन कुंड मे स्नान कर देवी देवताओं का स्मरण कर ढोल मंजीरो के साथ यहां स्थापित अन्य देवी देवताओ के साथ भगवान भोलेनाथ शिवशंकर की गुफा मे जाकर पूजा अर्चना करते है और उसके बाद श्रद्धालु गुफा के अंदर प्रवेश करते हैं।बड़ी संख्या में श्रद्धालु सहित पर्यटक विशेष गुफा के अंदर मान्यता के अनुसार विभिन्न रोगो से मुक्त करने वाले श्वेत गंगा कुंड के जल मे स्नान करने सुबह से ही लाइन मे लग जाते हैं और श्रध्दालू लगभग बीस फीट ऊचे स्थल पर बांस की सीढी के सहारे संकरे रास्ते से ऊपर चढकर शिवलिंग का दर्शन कर पूजा अर्चना कर पाते है।
बांस से बनी सीढी पर केवल एक व्यक्ति ही चढ सकता है। मान्यता के अनुसार यहां दक्षिण मुखी हनुमान मंदिर,गौरी मंदिर व शिव मंदिर तीनो के दर्शन व पूजा अर्चना से मनोकामना पूरी होती है। साल में एक बार खुलने वाले इस गुफा को देखने प्रदेश सहित आसपडोस के राज्य महाराष्ट्र व मध्यप्रदेश के लगभग बीस से पच्चीस हजार की बडी संख्या में लोग यहां पहुंचते हैं।
इस गुफा मे प्रवेश के लिये मुख्य प्रवेश द्वार लगभग ढाई फीट है जिससे सर झुकाकर बैठकर आगे बढना पडता है जो आगे 10-12 कदम जाकर बडा व ऊंचा हो जाता है। अंदर प्रवेश करते ही घना अंधकार रहता है ।यहां प्रकाश के लिये पर्यटक बडे बडे टार्च व मोबायल लाईट का उपयोग करते है तब जाकर लोग अंदर गुफा में उसके प्रकाश में घुमने का आंनद ले पाते है। गुफा के अंदर मे कई जगह कम ज्यादा कर्व होने से यहां सरलता से घुमना आसान नही है। 13 मई को मंडीप खोल गुफा को परंपरागत अनुसार ठाकुरटोला राजपरिवार के सदस्य मुख्य द्वार के बडे पत्थर को हटाकर द्वार खोलेगे और पूजा अर्चना करेगे। राज परिवार के महंत राधेमोहन बताते है कि मंडीप खोल गुफा के अंदर कई रहस्य छिपे हुए हैं। हम आम जनता को सावधानी के साथ गुफा मे घुमकर शाम होते ही वापस लौटने कहते है।
जानकारो के अनुसार इस गुफा को देश की सबसे लंबी गुफा माना जाता है. वहीं एशिया में मंडीपखोल गुफा का नंबर तीसरा है। आज तक इस गुफा की छोर नहीं मिली है। गुफा के अंदर प्रवेश करते ही जबरदस्त कडाके की ठंड व शांत वातावरण का एहसास होता है।आक्सीजन की कमी भी यहां महसूस होती है।यहां इस गुफा के अंदर चमगादड खोल,मीनाबाजार,इन्द्रलोक,पाताल खोल आदि भी लोग देखते है यह नाम लोगो ने दिया है। यहां अंदर छत से गिरती बूंदे प्रकाश पडने पर अदभूत दिखती है। यहां के सँकरी व नीचे पहाडी से कभी भी कोई दुर्घटना संभव है हालांकि आज तक इस तरह की कोई घटना अथवा दुर्घटना नही हुई है।
इस खास एक दिन इतनी संख्या गुफा के दर्शन करने के लिए आते हैं कि लोगो को अंदर जाने व बाहर निकलने मे तीन से चार घंटे लग जाते है।सभी लोगों को शाम होने से पहले ही बाहर आना होता है। इस गुफा मे प्रवेश कर रोमांच व आंनद की अनुभूति लेने वाले पूर्व महापौर अजीत जैन व जिला भाजपा के महामंत्री व बेबाक नेता पेमनारायण चन्द्राकर बताते है कि संकरी गुफा से अंदर प्रवेश के बाद रास्ता चौडा हो जाता है। हालांकि यह हर जगह नही है। गुफा के अंदर कई जगह कीचड व पानी होने के साथ गुफा की ऊचाई कम होने से लेटकर या घसीटकर आगे बढना होता है। इसका विकास व संरक्षण मे जो भी शासन से सहयोग होगा। हम भी उसे दिलाने मे आवश्यक पहल करेगे।
कलेक्टर ने की शानदार पहल, होगा संरक्षण व विकास –
खैरागढ़ छुईखदान गंडई जिले के चन्द्रकांत वर्मा पहले ऐसे कलेक्टर है, जिन्होने आम जनता के हितो के लिये हमेशा पहल की है।साधारण परिवार से जुडे इस कलेक्टर की सोच व बातचीत को लेकर उपस्थित ग्रामीणों ने मंडीपखोल के बारे में आवश्यक जानकारी देते हुए कलेक्टर की तारीफ की। कलेक्टर ने मंडीपखोल गुफा को विकास व संरक्षण को लेकर शानदार पहल की है। उन्होने इस गुफा की जानकारी होते ही शनिवार आठ बजे खैरागढ़ से विभिन्न विभागो के अधिकारियो के साथ दुर्गम क्षेत्र मंडीपखोल गुफा व आसपास स्थल का मुआयना कर उसे विकसित करने व संरक्षण करने की ग्रामीणों से चर्चा की। इसके अलावा भी अन्य स्थल को पर्यटन हब बनाने पर अधिकारियो सै से विचारविमर्श भी किया। कलेक्टर चन्द्रकांत वर्मा ने बताया कि लोकनिर्माण विभाग को देवरच्चा सडक निर्माण से उडने वाली धुल को रोकने ,छुईखदान सीईओ जे एस राजपूत को मार्ग की साफ सफाई ,वनविभाग के एसडीओ को बांस बल्ली का प्रंबन्ध कर बेरिकेटिग करने तथा पुलिस अधिकारियो को भीड को नियत्रित करने आवश्यक सुरक्षा बल की उपलब्धता के निदेश दिये।इसके अलावा प्रभारी सीएमएचओ गणेश दास वैष्णव को स्थल पर डाक्टर व स्टाफ सहित आवश्यक दवाई व अन्य व्यवस्थाओ के निदेश दिये।
विधुत मंडल के डीई छगन शर्मा को रात होने पर मंदिर समिति के जनरेटर के रखरखाव पर ध्यान देने कहा। इसके अलावा उपस्थित ,अन्य अधिकारियो को जल व अन्य सुविधाए आने वाले लोगो को मिले इस पर भी अधिकारियो से चर्चा कर शीघ्र पहल के निर्देश दिये। कलेक्टर वर्मा ने बताया कि पुरातत्व की टीम को 13 मई को मैने बुलावाया है और जल्द ही ऐसे स्थलो को लिये नोवा नेचर आदि संस्थाओ को जोडकर पर्यटन की पहल की जायेगी।
छुईखदान जनपद की अध्यक्ष नीना विनोद ताम्रकार व क्षेत्र के सुप्रसिद्ध समाजसेवक दबंग व्यक्तित्व हेमंत शर्मा ने कहा कि कलेक्टर की पहल सराहनीय है। मंडीप खोल एशिया की ऐतिहासिक धरोहर है। इस गुफा के संरक्षण व विकास के लिये पर्यटन केन्द्र के लिये शासन व प्रशासन की पहल आवश्यक है। यहां पर एक नही तीन दिन मेला उत्सव लगना चाहिये, जिससे विभिन्न स्थानो से आने वाले लोग परिवार के साथ यहां आकर प्राकृतिक सौन्दर्य का आनंद लेकर रहस्य रोमांच को समझ सके।