RAHUL GANDHI ARTICLE: How is a ‘real Hindu’?…Rahul Gandhi explained his heartfelt feelings through the article, people gave such reactions..
नई दिल्ली। कांग्रेस नेता और सांसद राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर एक लेख शेयर कर अपने विचार सामने रखे हैं. ‘सत्यम् शिवम् सुंदरम्’ के शीर्षक के इस लेख में राहुल गांधी लिखते हैं कि हर प्रकार के पूर्वाग्रह व भय से मुक्ति पा सत्य के समुंदर में समा जाना ही असली हिंदू धर्म है और सत्य और अहिंसा ही एकमात्र रास्ता है. उनकी इस पोस्ट पर लोगों को खूब रिएक्शन भी आ रहे हैं.
राहुल लिखते हैं, ‘सत्यम् शिवम् सुंदरम्…एक हिंदू अपने अस्तित्व में समस्त चराचर को करुणा और गरिमा के साथ उदारतापूर्वक आत्मसात करता है, क्योंकि वह जानता है कि जीवनरूपी इस महासागर में हम सब डूब-उतर रहे हैं. निर्बल की रक्षा का कर्तव्य ही उसका धर्म है.’
सत्यम् शिवम् सुंदरम्
एक हिंदू अपने अस्तित्व में समस्त चराचर को करुणा और गरिमा के साथ उदारतापूर्वक आत्मसात करता है, क्योंकि वह जानता है कि जीवनरूपी इस महासागर में हम सब डूब-उतर रहे हैं।
निर्बल की रक्षा का कर्तव्य ही उसका धर्म है। pic.twitter.com/al653Y5CVN
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) October 1, 2023
दार्शनिक अंदाज में लिखा है लेख
अपने लेख की जो तस्वीर उन्होंने सोशल मीडिया में साझा की हैं उसमें राहुल लिखते हैं, ‘कल्पना कीजिए, जिंदगी प्रेम और उल्लास का भूख और भय का एक महासागर है और हम सब उसमें तैर रहे हैं. इसकी खूबसूरत और भयावह शक्तिशाली सतत परिवर्तनशील लहरों के बीचोंबीच हम जीने का प्रय़त्न करते हैं. इस महासागर में जहां प्रेम, उल्लास और अथाह आनंद है, वही भय है. मृत्यु का भय, भूख का भय, दुखों का भय…. इस महासागर में सामूहिक और निरंतर यात्रा का नाम जीवन है जिसकी भयावह गहराइयों में हम सब तैरते हैं. भयावह इसलिए, क्योंकि इस महासागर से आज तक न तो कई बच पाया है और नही बच पाएगा.’
हिंदू शब्द का बार- बार किया जिक्र
हिंदू का जिक्र करते हुए राहुल आगे लिखते हैं, “जिस व्यक्ति में अपने भय की तह में जाकर इस महासागर को सत्यनिष्ठा से देखते हैं साहस है- वहीं हिंदू है….एक हिंदू अपने अस्तित्व में समस्त चराचर को करुणा और गरिमा के साथ उदारतापूर्वक आत्मसात करता है, क्योंकि वह जानता है कि जीवनरुपी इस महासागर में हम सब डूब- उतर रहे हैं… एक हिंदू में अपने भय को गहनता में देखने और उसे स्वीकार करने का साहस होता है. जीवन की यात्रा में वह भयरूपी शत्रु को मित्र में बदलना सीखता है. भय उस पर कभी हावी नहीं हो पाता, वरन घनिष्ठ सखा बनकर उसे आगे की राह दिखाता है. एक हिंदू का आत्म इतना कमज़ोर नहीं होता कि वह अपने भय के वश में आकर किसी क़िस्म के क्रोध, घृणा या प्रतिहिंसा का माध्यम बन जाये.’
राहुल आगे लिखते हैं ‘हिंदू जानता है कि संसार की समस्त ज्ञानराशि सामूहिक है और सब लोगों की इच्छाशक्ति व प्रयास से उपजी है. यह सिर्फ अकेले की संपत्ति नहीं है. ज्ञान के प्रति उत्कट जिज्ञासा की भावना से संचालित हीं का अंत:करण सदैव खुला रहता है. यह विनम्र होता है और इस भवसागर में विचर रहे किसी भी व्यक्ति से सुनने- सीखने का प्रस्तुत’
अपने लेख के अंत में राहुल लिखते हैं कि हिंदू सभी प्राणियों से प्रेम करता है. वह जानता है कि इस महासागर में तैरने के सबके अपने-अपने रास्ते और तरीके हैं. सबको अपनी राह पर चलने का अधिकार है. वह सभी रास्तों से प्रेम करता है, सबका आदर करता है और उनकी उपस्थिति को बिल्कुल अपना मानकर स्वीकार करता है.