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आपको नक्सल प्रभावित जिले का एसपी बना दिया जाए तो कैसे कंट्रोल करेंगे? अभिषेक चतुर्वेदी ने दिया ऐसा जवाब… बनेंगे आईपीएस

बिलासपुर. आप नक्सल प्रभावित राज्य छत्तीसगढ़ से हैं. यदि आपको नक्सल प्रभावित जिले का एसपी बना दिया जाए तो नक्सल मूवमेंट को कैसे कंट्रोल करेंगे? अभिषेक चतुर्वेदी से यह सवाल पूछा गया था यूपीएससी के इंटरव्यू में. उन्होंने जो जवाब दिया, वह एक्सपर्ट्स को पसंद आया. अभिषेक ने यूपीएससी-2022 में 179 रैंक हासिल किया है. वे आईपीएस बनेंगे. अभिषेक के पिता दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में चीफ कंट्रोलर के पद पर पदस्थ हैं. पिता के साथ आईआरटीएस अफसरों को देखकर अभिषेक के मन में यूपीएससी की धुन सवार हुई थी. कड़ी मेहनत की लेकिन तीन बार सफल नहीं हो सके. आखिरकार चौथी कोशिश सफल हुई. आगे पढ़ें, अभिषेक चतुर्वेदी के संघर्ष के साथ सफलता की कहानी…

बिलासपुर डीपीएस में पढ़े, चेन्नई से इंजीनियरिंग की पढ़ाई

अभिषेक के पिता विनय कुमार चतुर्वेदी बिलासपुर में रेलवे में चीफ कंट्रोलर के पद पर पदस्थ हैं. उनकी माता संगीता चतुर्वेदी गृहणी हैं. अभिषेक ने दिल्ली पब्लिक स्कूल से 2012 में 9.4 सीजीपीए से दसवीं की परीक्षा उत्तीर्ण की. वहीं 12वीं की परीक्षा गणित विषय के साथ 82% अंकों के साथ उत्तीर्ण की है. इसके बाद उन्होंने एसआरएम यूनिवर्सिटी चेन्नई में इंजीनियरिंग में प्रवेश ले लिया. उन्होंने इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स ब्रांच से 2018 में इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन किया. इंजीनियरिंग में उनका एग्रीगेट 72% बना. अभिषेक ने बताया कि उनके पिता रेलवे में थे, जिसके चलते बचपन से अपने पिता के साथ उन्हें रेलवे के बड़े अफसरों से मिलने का मौका मिला. तब वे उनकी जिम्मेदारियों को देखते थे और उनको मिलने वाले सम्मान को भी देखते थे. इस बात ने उन्हें अफसर बनने के लिए प्रेरित किया. छोटी से उम्र में ही उनके मन में यह जिज्ञासा थी कि अफसर कैसे बनते हैं? रेलवे के अधिकारियों ने बताया कि उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा पास कर आईआरटीएस अफसर के रूप में यह सेवा जॉइन की है. तब से अभिषेक को यूपीएससी परीक्षा दिलाने की धुन सवार हो गई थी.

दोस्त जॉब करने अमेरिका जा रहे थे, तब यूपीएससी में जुटे

2018 में इंजीनियरिंग कंप्लीट करने के बाद अभिषेक अपने बचपन का सपना पूरा करने के लिए दिल्ली चले गए. अभिषेक बताते हैं कि इंजीनियरिंग के फर्स्ट ईयर से उनके दिमाग में था कि वह यूपीएससी क्रैक करेंगे. शुरू के 3 साल इंजीनियरिंग की कठिन पढ़ाई के कारण उन्होंने अपनी इंजीनियरिंग में ध्यान दिया और फाइनल ईयर में यूपीएससी की तैयारी करने का मन बना लिया. जब उनके दोस्त इंग्लैंड-अमेरिका में जॉब जॉइन कर रहे थे, तब उन्होंने यूपीएससी की तैयारी शुरू की. अभिषेक बताते हैं कि उन्होंने दिल्ली में डेढ़ साल तक के यूपीएससी के लिए कोचिंग ली. उनका ऑप्शनल सब्जेक्ट राजनीति विज्ञान व अंतरराष्ट्रीय संबंध था, जिसके लिए भी उन्होंने 3 महीने कोचिंग की. फिर कोरोना के कारण लॉकडाउन होने पर वे बिलासपुर आ गए और घर पर रहकर ही यूपीएससी की तैयारी करने लगे. इस दौरान उन्हें परिवार का भी भरपूर सपोर्ट मिला. वे घर पर रहकर ही ऑनलाइन टेस्ट सीरीज भी दिलाते थे और आंसर राइटिंग का भी खूब डेमो टेस्ट उन्होंने घर पर रहते हुए ही ऑनलाइन दिया है.

पहले तीन बार प्री भी पास नहीं कर सके थे

अभिषेक बताते हैं कि यह उनका चौथा प्रयास था. शुरू के 3 प्रयासों में उनका प्री तक क्लियर नहीं हुआ. इससे वे थोड़े से हताश तो हुए पर उन्हें घरवालों का सपोर्ट मिला और उन्होंने देखा कि उनके इंजीनियरिंग के साथी या तो विदेशों में अच्छी कंपनियों में नौकरी कर रहे हैं या फिर आईआईएम से कठिन एंट्रेंस एग्जाम निकालकर एमबीए कर चुके हैं. उन्होंने अपने बचपन का सपना पूरा करने के लिए एक बार फिर पूरी ताकत झोंकने का मन बनाया. आखिरकार चौथे प्रयास में उन्होंने प्री, मेंस और इंटरव्यू क्रैक कर लिया.

छत्तीसगढ़ की नक्सल समस्या और रूस-यूक्रेन युद्ध पर पूछे गए प्रश्न

अभिषेक का इंटरव्यू आरएन चौबे सर के बोर्ड में हुआ. अभिषेक बताते हैं कि उनका इंटरव्यू सभी अभ्यर्थियों में सबसे अंतिम में हुआ, जो लगभग 35 मिनट तक चला. नक्सल प्रभावित राज्य का होने के कारण उनसे पूछा गया कि यदि छत्तीसगढ़ के किसी नक्सल प्रभावित जिले में आपको एसपी बना दिया जाए तब वहां नक्सल मूवमेंट कम करने के लिए आप क्या कदम उठाएंगे?

अभिषेक ने अपने जवाब में कहा, सबसे पहले मैं प्रशासन और जनता के बीच विश्वास की कमी को दूर करने की कोशिश करूंगा. विकास कार्यों को बढ़ावा दूंगा जिससे जनता को लगे कि पुलिस और प्रशासन उनकी सेवा के लिए ही है और उनके लिए ही है. इसके अलावा नक्सल मूवमेंट में कमी के लिए तकनीक का इस्तेमाल करेंगे, जिसके तहत रिमोट एरिया में वे ड्रोन जैसी तकनीकों का इस्तेमाल एंटी नक्सल ऑपरेशन में करेंगे. यह जवाब उन्हें पसंद आया.

इसके अलावा अभिषेक से पूछा गया कि आपको किसी जिले का कलेक्टर बना दिया जाए तो कोविड प्रबंधन कैसे करेंगे? उनके वैकल्पिक विषय से जुड़े प्रश्न भी पूछे गए. अंतरराष्ट्रीय संबंधों से पूछे गए प्रश्नों में उनसे पूछा गया कि क्या भारत और पाकिस्तान को मिलाकर फिर से एक देश बना दिया जाना चाहिए? वहीं रूस और यूक्रेन की लड़ाई में भारत का स्टैंड कितना सही है, इस बारे में प्रश्न पूछा गया. इसके अलावा उनकी हॉबी के बारे में पूछा गया. जब उन्होंने बताया कि टेनिस खेलना उनकी हाबी है तो उनके पसंदीदा टेनिस खिलाड़ी व उसे पसंद करने का कारण पूछा गया. इस पर अभिषेक ने रोजर फेडरर को अपना पसंदीदा खिलाड़ी बताया.

सिर्फ 5 से 6 घंटे अध्ययन करते थे अभिषेक

अभिषेक ने बताया कि उनकी दिनचर्या सुबह जल्दी शुरू हो जाती थी. सुबह उठकर मॉर्निंग वॉक पर जाते थे. इसके बाद सुबह 7 से 9 तक के द हिंदू अंग्रेजी अखबार पढ़ते थे. लगभग आधे घंटे ब्रेक के बाद वे 2 बजे तक सामान्य अध्ययन की पढ़ाई करते थे. दोपहर 2 से 4 तक सोते थे और 4 से 6 तक अपने वैकल्पिक विषय की पढ़ाई करते थे. अभिषेक बताते हैं कि इस टाइमिंग में भी वे लगातार पढ़ाई ना कर बीच-बीच में ब्रेक लेते थे और शाम को 7 बजे से बुधवारी बाजार स्थित टैनिस कोर्ट जाकर नियमित रूप से 2 घंटे टेनिस खेलते थे. फिर वापस घर आकर डिनर कर एक-दो घंटे अध्ययन कर जल्दी सो जाते थे. अभिषेक ने बताया कि उन्होंने प्रतिदिन मुश्किल से 5 से 6 घंटे ही पढ़ाई की है, पर जितनी देर भी पढ़ाई की है, वे पूरी तरह से एकाग्र होकर और मन लगाकर पढ़ाई की है, जिससे उन्हें सफलता मिली है.

अभिषेक ने बताया कि तैयारी में उनके घर वालों का महत्वपूर्ण योगदान है# उनके घर में उनके माता-पिता के अलावा चाचा चाची और उनके दो बच्चे भी रहते हैं# उनके चाचा बिजनेस करते है# उनकी संयुक्त फैमिली है. वहीं अभिषेक की छोटी बहन दिल्ली यूनिवर्सिटी से वकालत की पढ़ाई कर रही है. अभिषेक का परिवार मूल रूप से बलिया का रहने वाला है. पिता की नौकरी के कारण वे लंबे समय से छत्तीसगढ़ में ही हैं. अभिषेक के नाना स्व. जगदीश प्रसाद पांडे अविभाजित मध्य प्रदेश की पुलिस सेवा में थे और वह मध्य प्रदेश के कई जिलों समेत कोरबा जिले में भी पदस्थ रहे हैं. वहीं उन्होंने अपना निवास बना लिया. कोरबा अभिषेक का मामा घर है उनके मामा अखिलेश पांडे कोरबा में अधिवक्ता हैं.

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