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BREAKING : कांग्रेस नेता राहुल गांधी को सरकारी बंगला छोड़ने का नोटिस जारी, फिर बड़ा झटका

BREAKING: Notice issued to Congress leader Rahul Gandhi to leave government bungalow, again a big blow

कांग्रेस नेता राहुल गांधी को सरकारी बंगला छोड़ने का नोटिस दिया गया. संसद सदस्यता जाने के बाद लोकसभा (Lok Sabha) की हाउस कमेटी ने ये नोटिस जारी किया है. राहुल गांधी 12 तुगलक लेन वाले सरकारी बंगले में रह रहे हैं. राहुल गांधी को 22 अप्रैल तक अपना सरकारी आवास खाली करना होगा. नोटिस के मुताबिक डिसक्वालिफिकेशन के एक महीने के अंदर राहुल गांधी को अपना सरकारी आवास खाली करना है.

सूरत की एक अदालत ने गुरुवार को ‘मोदी सरनेम’ से संबंधी टिप्पणी को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ 2019 में दर्ज आपराधिक मानहानि के एक मामले में उन्हें दोषी ठहराया था और दो साल कारावास की सजा सुनाई थी. इसके बाद शुक्रवार को राहुल गांधी को लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया गया था.

संसद सदस्यता की गई थी रद्द

लोकसभा सचिवालय की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया था कि उनका अयोग्यता संबंधी आदेश 23 मार्च से प्रभावी होगा. अधिसूचना में कहा गया कि उन्हें (राहुल गांधी) संविधान के अनुच्छेद 102 (1) और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 8 के तहत अयोग्य घोषित किया गया है.

कांग्रेस ने बीजेपी पर साधा निशाना

बंगला खाली करने का नोटिस जारी होने पर कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा कि ये राहुल गांधी के प्रति बीजेपी की नफरत को दर्शाता है. नोटिस दिए जाने के बाद 30 दिनों की अवधि के लिए, व्यक्ति उसी घर में रहना जारी रख सकता है. 30 दिनों की समयावधि के बाद कोई व्यक्ति बाजार दरों पर किराए का भुगतान करके उसी घर में रहना जारी रख सकता है. राहुल गांधी जेड प्लस सुरक्षा श्रेणी में आते हैं.

क्या कहा था राहुल गांधी ने?

लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराए जाने के एक दिन बाद शनिवार को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा था कि वह संसद के सदस्य रहें या नहीं रहें, या फिर उन्हें जेल में ही क्यों न डाल दिया जाए, वह लोकतंत्र की लड़ाई लड़ते रहेंगे. उन्होंने ये भी कहा कि वह डरने वाले नहीं हैं और माफी नहीं मांगेंगे क्योंकि उनका नाम सावरकर नहीं गांधी है और गांधी माफी नहीं मांगते.

“अडानी मामले को लेकर डरे हुए थे पीएम”

राहुल गांधी ने कहा था कि भारतीय जनता पार्टी अडानी समूह से जुड़े सवालों से ध्यान भटकाने के लिए उन पर ओबीसी समुदाय के अपमान का आरोप लगा रही है. असली सवाल यह है कि अडानी समूह में 20 हजार करोड़ रुपये का निवेश किया गया है, वो पैसा किसका है? उन्होंने दावा किया कि उन्हें लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराया गया क्योंकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इससे डरे हुए थे कि वह सदन में अडानी मामले पर अपना अगला भाषण देने वाले थे.

 

 

 

 

 

 

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