- सबसे अधिक सैलरी देने वालों में छत्तीसगढ़ देश का पांचवा राज्य
- मंत्री, विधानसभा अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष का भी बढ़ाया गया
रायपुर : प्रदेश विधानसभा ने राज्य के विधायकों, विधानसभा अध्यक्ष, मुख्यमंत्री, नेता प्रतिपक्ष, उपाध्यक्ष और मंत्रियों का वेतन बढ़ाने का निर्णय लिया है। प्रदेश के विधायकों को अब वेतन और सभी भत्ते मिलाकर हर महीने एक लाख 60 हजार रुपये मिलेगा। इस वृद्धि के साथ ही विधायकों को सबसे ज्यादा वेतन देने वाले राज्यों की सूची में छत्तीसगढ़ शीर्ष पांच राज्यों में पहुंच गया है। जिन राज्यों में यहां से अधिक वेतन मिल रहा है उनमें तेलंगाना में 2.50 लाख, महाराष्ट्र में 2.32 लाख, कर्नाटक में 2.05 लाख और उत्तर प्रदेश में 1.87 लाख शामिल है। उत्तराखंड में छत्तीसगढ़ के बराबर ही 1.60 लाख मिल रहा है।
छत्तीसगढ़ में विधायकों को वर्षों से मिल रहे अर्दली भत्ते की सुविधा खत्म कर दी गई है। हालांकि सरकार ने उनके वेतन-भत्ते में लगभग दोगुने का इजाफा किया है। राज्य सरकार ने विधानसभा के मानसून सत्र में छत्तीसगढ़ विधानसभा सदस्य वेतन भत्ता और पेंशन संशोधन अधिनियम पारित कराया था। राज्यपाल के हस्ताक्षर के बाद अब इसे राजपत्र में प्रकाशित करा दिया गया है। यानी 12 सितम्बर से बढ़ा हुआ वेतन-भत्ता लागू हो गया है।
संशोधित कानून के मुताबिक विधायकों को हर महीने 20 हजार रुपए वेतन के तौर पर मिलने हैं। इसके अलावा निर्वाचन क्षेत्र भत्ता के तौर पर 55 हजार रुपए मिलना है। हर महीने 10 हजार रुपया टेलीफोन भत्ता और 15 हजार रुपया चिकित्सा भत्ता के तौर पर मिलेगा। इसके अलावा दो हजार रुपए प्रतिदिन की दर से दैनिक भत्ता भी तय है। यह रकम मिलकर एक लाख 60 हजार रुपए होती है। पहली बार इसमें अर्दली भत्ते को शामिल नहीं किया गया है।
अब तक विधायकों को 20 हजार रुपया वेतन के तौर पर, 30 हजार रुपया निर्वाचन क्षेत्र भत्ता, पांच हजार रुपया टेलीफोन भत्ता, 10 हजार रुपया चिकित्सा भत्ता और 15 हजार रुपया महीने अर्दली भत्ता के तौर पर मिलता था। अब तक दैनिक भत्ता एक हजार रुपया महीने हुआ करता था। संसदीय सचिवों का वेतन-भत्ता एक लाख 75 हजार रुपया महीना कर दिया गया है। छत्तीसगढ़ में 90 विधायक हैं। इनमें से 13 लोग मंत्रिमंडल का हिस्सा हैं। विधानसभा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और एक नेता प्रतिपक्ष और 15 संसदीय सचिवों को मिलाकर 31 विधायक अलग वेतन समूह में शामिल हैं। इस विधेयक को विधानसभा में बिना किसी चर्चा के सर्वसम्मति से पारित करा लिया गया था।
वही विधानसभा अध्यक्ष को अब से एक लाख 96 हजार रुपया महीने का वेतन-भत्ता मिलेगा। अब तक अध्यक्ष का वेतन-भत्ता एक लाख 32 हजार रुपया महीना हुआ करता था। विधानसभा के उपाध्यक्ष को अब तक एक लाख 28 हजार रुपया महीने वेतन-भत्ता मिलता रहा। अब उन्हें एक लाख 81 हजार रुपया महीना वेतन-भत्ता मिलने लगेगा। वहीं नेता प्रतिपक्ष को अब हर महीने एक लाख 30 हजार रुपए की जगह एक लाख 91 हजार रुपया मिला करेगा।
मुख्यमंत्री और मंत्रियों के वेतन-भत्ते में वृद्धि की अधिसूचना सरकार 8 सितम्बर को ही प्रकाशित कर चुकी है। नई व्यवस्था में मुख्यमंत्री को वेतन-भत्ते के तौर पर दो लाख छह हजार रुपए महीना मिलेगा। अभी तक मुख्यमंत्री को एक लाख पांच हजार रुपया महीने मिलता था। मंत्रियाें का वेतन-भत्ता भी बढ़ाकर एक लाख 91 हजार रुपया कर दिया गया है। पहले यह एक लाख 30 हजार रुपया ही निर्धारित था।
विवरण पहले नया
वेतन 20000 20000
निर्वाचन क्षेत्र भत्ता 30000 55000
टेलीफोन भत्ता 5000 10000
दैनिक भत्ता 1000 2000
चिकित्सा भत्ता 10000 15000
विधानसभा अध्यक्ष
वेतन 32000 47000
निर्वाचन क्षेत्र भत्ता 40000 73000
दैनिक भत्ता 2000 2500
विधानसभा उपाध्यक्ष
वेतन 28000 35000
निर्वाचन क्षेत्र भत्ता 40000 70000
दैनिक भत्ता 2000 2500
नेता प्रतिपक्ष
वेतन 30000 45000
निर्वाचन क्षेत्र भत्ता 40000 70000
दैनिक भत्ता 2000 2500
मुख्यमंत्री
वेतन 35000 50000
निर्वाचन क्षेत्र भत्ता 40000 80000
दैनिक भत्ता 2000 2500
मंत्री
वेतन 30000 45000
निर्वाचन क्षेत्र भत्ता 40000 70000
दैनिक भत्ता 2000 2500
इसके अतिरिक्त
– सत्र व समितियों की बैठक के दौरान प्रतिदिन एक हजार रुपये दैनिक भत्ता अतिरिक्त।
– सत्र व समितियों की बैठक में स्वयं के वाहन से आने वालों को 10 रुपये प्रति किलोमीटर की दरे से वाहन भत्ता।
– एक वर्ष में आठ लाख रुपये तक हवाई और रेल यात्रा की सुविधा।
पूर्व विधायकों को सुविधा
पेंशन
पांच वर्ष तक विधायक रहने पर 35000 रुपये प्रति माह।
पांच से 10 वर्ष वालों को 300 रुपये
11 से 15 वर्ष वालों को 400 रुपये
16 या उससे अधिक वालों को 500 रुपये अतिरिक्त।
– चिकित्सा सुविधा- 15000 रुपये प्रति माह अतिरिक्त विशेष चिकित्सा सुविधा।
– प्रति वर्ष चार लाख रुपये तक हवाई और रेल यात्रा।