BIG BREAKING : मोदी कैबिनेट ने किया किसानों के लिए बड़ा ऐलान, धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी
Modi cabinet made big announcement for farmers, hike in minimum support price of paddy
नई दिल्ली। मोदी कैबिनेट ने बड़ा ऐलान किया है. केंद्र सरकार ने खरीफ की फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य को बढ़ाने की मंजूरी दी है. इसके साथ ही धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में 100 रुपये की बढ़ोतरी की गई है. 2022-23 फसल वर्ष के लिए धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2,040 रुपये प्रति क्विंटल होगा, जो पिछले साल 1,940 रुपये था.
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कैबिनेट के फैसले की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि वर्ष 2022-23 के लिए खरीफ की फसलों की एमएसपी तय करते समय इस बात का पूरा ख्याल रखा गया कि किसानों को उत्पादन लागत से 1.5 गुणा समर्थन मूल्य मिले. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में लिये गये कैबिनेट के फैसले से देश के करोड़ों किसानों को फायदा होगा. उन्होंने बताया कि तिल के समर्थन मूल्य में 523 रुपये की वृद्धि की गयी है. उन्होंने दावा किया कि मोदी सरकार ने किसानों से जो भी वायदे किये थे, उसे पूरा किया है. यही वजह है कि कृषि का बजट बढ़कर 1.26 लाख करोड़ रुपये का हो गया है.
धान के लिए एमएसपी का भुगतान वर्ष 2007 से 2014 तक 2.58 लाख करोड़ रुपये था, जो बढ़कर 7.43 लाख करोड़ रुपये हो गया. वर्ष 2007 से 2014 तक एमएसपी पर गेहूं की 1.99 लाख करोड़ रुपये की खरीद होती थी, जो अब 2014-21 में बढ़कर 3.65 लाख करोड़ रुपये हो गयी है. अनुराग ठाकुर ने कहा कि 2014 तक 1.51 लाख मीट्रिक टन दलहन की खरीद होती थी, जो अब बढ़कर 112.63 लाख मीट्रिक टन हो गयी है.
अनुराग ठाकुर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार ने किसानों के हित में कई बड़े फैसले लिये हैं. इससे किसानों का जीवन स्तर सुधरा है. उन्होंने कहा कि 1 लाख करोड़ रुपये का एग्रिकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड बनाया गया है. किसान सम्मान निधि के रूप में किसानों के खाते में 2 लाख करोड़ रुपये भेजे जा चुके हैं. उन्होंने कहा कि 16 लाख करोड़ रुपये से अधिक कृषि ऋण किसान क्रेडिट कार्ड के जरिये उपलब्ध कराये गये.
एमएसपी वह न्यूनतम समर्थन मूल्य है जो किसानों को उनकी फसल पर मिलता है। फसलों की कीमतों में बाजार में होने वाले उतार-चढ़ाव का असर किसानों पर नहीं पड़ता यानी भले ही बाजार में उस फसल की कीमतें कम हो, लेकिन किसानों की एमएसपी तय होती है। सरकार हर साल किसानों को सौगात देती है. या यूं कहें सरकार को ऐसा करना लाजिमी भी है. क्योंकि खेती में लगनेवाले कॉस्ट में हर साल वृद्धि भी होती है. इन खर्चों में डीजल, सिंचाई, मजदूरी, बीज और खाद पर खर्च अहम रहता है. इसलिए सरकार कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (CACP) की सिफारिश के आधार पर फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करती है.