केंद्रीय उर्जा मंत्री बोले, ‘2014 में थी बिजली की कमी,आज हम कन्याकुमार से लद्दाख 1.12 लाख मेगावाट बिजली कर सकते हैं ट्रांसफर’

नई दिल्ली। केंद्रीय उर्जा मंत्री आरके सिंह ने कहा कि 2014 में बिजली की कमी थी लेकिन अब हम सरप्लस में हैं। उस समय बिजली आपूर्ति में 13-15 प्रतिशत की कमी थी। हमने पूरे देश को एक ग्रिड में जोड़ा। आज हम 1.12 लाख मेगावाट बिजली देश के एक कोने से दूसरे कोने में ट्रांसफर कर सकते हैं।
उन्होंने कहा, हमने लगभग 106 हजार मेगावाट बिजली उत्पादन बढ़ाया है। किसी अन्य देश ने इतने कम समेय में इतनी क्षमता नहीं बढ़ाई है। हम कन्याकुमारी के एक सिरे से लेकर लेह और लद्दाख से सीधे जुड़े हुए हैं। हम एक राज्य से दूसरे राज्य में बहुत बड़ी मात्रा में उर्जा स्थानांतरित कर सकते हैं और वन कंट्री-वन ग्रिड विचार के लिए समर्पित हैं।आरके सिंह ने कहा, “हमने 2,900 नए सब स्टेशन बनाए, 3,800 सब स्टेशन अपग्रेड किए और 7.5 लाख नए ट्रांसफर जोड़े। हमने नवंबर 2021 में अपनी स्थापित बिजली क्षमता का 40 प्रतिशत गैर जीवाश्म ईंधन से हासिल करने का लक्ष्य किया।
उन्होंने कहा, “हमारी मांग बढ़ने से कोयले का उत्पादन बढ़ाया जाएगा। दैनिक आधार पर हमारी बिजली की मांग पिछले वर्ष के इन्हीं दिनों की तुलना में 40000-45000 मेगावाट अधिक है। उर्जा की खपत 3500 मिलियन यूनिट से बढ़कर 4500 मिलियन यूनिट हो गई है।
केंद्रीय उर्जा मंत्री ने कहा कि पहले देश के एक कोने से दूसरे कोने तक 34,000 मेगावाट का वितरण होता था। आज के दिन हम 1,12,000 मेगावाट बिजली वितरण कर रहे हैं।
केंद्रीय उर्जा मंत्री ने यह भी बताया कि भारत अब दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ता अक्षय उर्जा क्षेत्र है। यह न केवल भारत के लिए बल्कि पूरे विश्व के लिए भी फायदेमंद होने जा रहा है। इससे हम अपनी उर्जा जरूरतों के लिए जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम कर देंगे, जिससे जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वॉर्मिंग के बढ़ते खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है। आरके सिंह ने आगे कहा, “हमने भारत को उर्जा उत्पादन में वैश्विक नेता बनाने में 2,000 करोड़ रुपयों का निवेश किया है।”