मंडी में 1790 हुआ भाव, कम कीमत पर धान खरीदी के विरोध में किसानों ने की थी बिक्री बंद, प्रशासन ने कराया समझौता

रायपुर : राजिम मंडी में धान की खरीदी-बिक्री फिर से शुरू हो गई। किसानों के विरोध के बाद हरकत में आए प्रशासनिक अफसरों के हस्तक्षेप से समझौते की राह निकली है। सोमवार को मंडी में धान की कीमत 1470 रुपए से 1790 तक मिलने लगी। हालांकि यह कीमत अभी भी सरकार के घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य से बहुत कम है।
राजिम तहसीलदार आशीष अनूप टोप्पो ने मंडी में बोली शुरू होने से पहले किसान प्रतिनिधियों और व्यापारियों के अलावा मंडी प्रबंधन से भी चर्चा की। व्यापारियों का कहना था, मंडी शुल्क बढ़ने की वजह से उनको पर्याप्त कीमत दे पाना संभव नहीं रह गया है। वहीं किसानों का कहना था कि इतनी कम कीमत लगेगी तो उनकी लागत भी नहीं निकल पाएगी। मंडी प्रशासन ने इस चर्चा में एकदम तटस्थ भूमिका बना ली।
मंडी अधिकारियों का कहना था, यह तो किसान और खरीददार के बीच की बात है। अगर किसान उस मूल्य पर सहमत नहीं है तो नीलामी रद्द करा सकता है। प्रशासन के हस्तक्षेप के बाद व्यापारी दाम बढ़ाने को तैयार हुए। सोमवार को सामान्य धान के लिए बोली 1400 रुपया प्रति क्विंटल से शुरू हुई। हालांकि यह बहुत नहीं बढ़ी। व्यापारियों ने केवल 1470 रुपए ही अधिकतम बोली लगाई। वहीं ए ग्रेड धान की अधिकतम कीमत 1790 रुपए रही।
बैठक में किसानों के प्रतिनिधि तेजराम विद्रोही ने बताया कि बोली फिर से शुरू हो गई है, लेकिन कीमत अभी भी MSP से काफी कम है। केंद्र सरकार ने सामान्य धान के लिए 1940 रुपए और ग्रेड ए धान के लिए 1960 रुपए प्रति क्विंटल न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया है।
शनिवार को खड़ा हुआ था विवाद
राजिम कृषि उपज मंडी में शनिवार को धान बिकने आया तो व्यापारियों ने एक हजार रुपए प्रति क्विंटल से बोली शुरू की। अंतिम बोली 1370 रुपए पर जाकर रुकी। शुक्रवार को यहां अधिकतम कीमत 1570 रुपए प्रति क्विंटल मिला था। इतनी कम कीमत सुनकर किसान भड़क गए। मंडी प्रशासन ने हस्तक्षेप से इनकार किया तो किसानों ने धान बेचने से मना कर दिया।
एक दिसंबर से बढ़ा मंडी शुल्क, व्यापारियों को 3 को पता चला
कृषि विभाग के सचिव डॉ. कमलप्रीत सिंह के हस्ताक्षर से 30 नवंबर को एक अधिसूचना जारी हुई। इसमें शुल्क के नए प्रावधान किए गए थे। इस अधिसूचना के मुताबिक कृषि उपज के विक्रय पर प्रत्येक 100 रुपए पर 3 रुपए की दर से मंडी शुल्क और 2 रुपए की दर से कृषक कल्याण शुल्क देना होगा। दलहनी-तिलहनी फसलों के लिए मंडी शुल्क एक रुपया और कृषक कल्याण शुल्क 50 पैसा तय हुआ है। नई व्यवस्था एक दिसंबर से लागू है। पहले केवल मंडी शुल्क केवल 2 रुपए हुआ करता था। वहीं 20 पैसा निराश्रित कल्याण के नाम पर लिया जाता था। व्यापारियों को यह बात 3 दिसंबर को पता चली। उसके बाद उन्होंने अचानक दाम कम कर दिए।