‘रिजॉर्ट क्यों गिराया, उसमें तो सबूत थे’, परिजनों ने किया अंकिता का अंतिम संस्कार करने से इनकार
श्रीनगर : अंकिता भंडारी हत्याकांड से लागों में गुस्सा पसरा हुआ है. उत्तराखंड की बेटी अंकिता को इंसाफ दिलाने के लिए जगह-जगह प्रदर्शन हो रहे हैं. इसी बीच रविवार सुबह अंकिता का शव श्रीनगर (उत्तराखंड) पहुंचा, जहां आज उसकी अंतिम संस्कार किया जाना था. लेकिन परिजनों ने अंतिम संस्कार करने से इनकार कर दिया. पीड़ित परिवार का कहना है कि उन्हें प्रशासन की कार्रवाई पर भरोसा नहीं है. जब तक अंकिता की पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं आ जाती, तब तक बेटी की पार्थिव देह का अंतिम संस्कार नहीं करेंगे. अंकिता के पिता वीरेंद्र भंडारी ने सरकार से अपने सवाल का जवाब मांगा है. उन्होंने पूछा कि सरकार ने रिजॉर्ट को क्यों गिराया? जबकि वहां को सारे सबूत थे. साथ ही मांग की है कि अंकिता मर्डर केस को फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाया जाए ताकि आरोपियों को जल्द से जल्द फांसी की सजा हो सके.
मृतका के मौसा एमएस राणा ने कहा कि जब तक पोस्टमार्टम की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं हो जाती, हम तब तक अंतिम संस्कार नहीं करेंगे. हालांकि, हम अंतिम संस्कार करने से मना नहीं कर रहे. बता दें कि वनतारा रिजॉर्ट में बतौर रिसेप्शनिस्ट काम करने वाली अंकिता भंडारी 18 सितंबर को चिल्ला बैराज क्षेत्र से लापता हो गई थी. लापता होने के करीब एक हफ्ते बाद शनिवार (24 सितंबर को ) को उसका शव ऋषिकेश की एक नहर से बरामद किया गया. इसके बाद शव को पोस्टमॉर्टम के लिए ऋषिकेश के एम्स ले जाया गया था.
शनिवार को भी ऋषिकेश स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के बाहर बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ जमा हो गई थी. ये लोग 19 साल की अंकिता भंडारी की हत्या के मामले पर विरोध जताने के लिए जुटे थे. प्रदर्शनकारियों ने आरोपियों को फांसी की सजा देने की मांग की. साथ ही आरोप भी लगाया कि सूबे में सत्तारूढ़ BJP सरकार इस मामलों को रफा-दफा करने की कोशिश कर रही है, क्योंकि मुख्य आरोपी और रिजॉर्ट मालिक पुलकित आर्य भाजपा नेता रहे विनोद आर्य का बेटा है.
बता दें कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के आदेश पर शुक्रवार को वनतारा रिजॉर्ट के कुछ हिस्सों को ध्वस्त कर दिया गया था. उधर, बीजेपी सरकार ने आनन फानन में अपनी छवि बचाने के लिए आरोपी पुलकित आर्य के पिता विनोद आर्य और भाई अंकित आर्य को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित कर दिया. साथ ही सीएम धामी ने अंकित को उत्तराखंड अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग के उपाध्यक्ष के पद से भी हटा दिया.