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चंद्रमा पर नजर पड़ती ही होगी पर कभी सोचा है कि यह अपना आकार क्यों बदलता रहता है? यह हर दिन एक जैसा गोल क्यों नहीं दिखता? यह इतना क्यों चमकता है? इन सवालों का जवाब सूर्य और पृथ्वी से जुड़ा है. समय-समय पर बदलती स्थितियां इसके लिए जिम्मेदार होती हैं, लेकिन इसका भी एक विज्ञान है, जानिए ऐसा होता क्यों है?
चंद्रमा पर नजर पड़ती ही होगी पर कभी सोचा है कि यह अपना आकार क्यों बदलता रहता है? यह हर दिन एक जैसा गोल क्यों नहीं दिखता? यह इतना क्यों चमकता है? इन सवालों का जवाब सूर्य और पृथ्वी से जुड़ा है. समय-समय पर बदलती स्थितियां इसके लिए जिम्मेदार होती हैं, लेकिन इसका भी एक विज्ञान है, जानिए ऐसा होता क्यों है?
चंद्रमा का आकार क्यों बदलता है, इसे समझने के लिए पहले यह जानना होगा कि यह चमकता क्यों है जिससे कारण हम इसे देख पाते हैं. दरअसल, चंद्रमा की अपनी कोई चमक ही नहीं होती है. सूर्य से निकलने वाला प्रकाश चंद्रमा पर पड़ता है. यह परावर्तित होकर पृथ्वी पर पड़ता है. प्रकाश के इसी परावर्तन के कारण ही चंद्रमा हमें चमकता हुआ दिखाई देता है.
चंद्रमा का आकार क्यों बदलता है, इसे समझने के लिए पहले यह जानना होगा कि यह चमकता क्यों है जिससे कारण हम इसे देख पाते हैं. दरअसल, चंद्रमा की अपनी कोई चमक ही नहीं होती है. सूर्य से निकलने वाला प्रकाश चंद्रमा पर पड़ता है. यह परावर्तित होकर पृथ्वी पर पड़ता है. प्रकाश के इसी परावर्तन के कारण ही चंद्रमा हमें चमकता हुआ दिखाई देता है.
चंद्रमा पृथ्वी का एक चक्कर पूरा करने में 30 दिन का समय लेता है. परिक्रमा करते हुए धीरे-धीरे चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य बीच में आता है. इस परिक्रमा के दौरान अलग-अलग कोण बनते हैं. इसी कोण के कारण सूर्य की जितनी किरणें चंद्रमा पर पड़ती हैं यह उतना ही नजर आता है. इसके अलग-अलग आकार को ही चंद्रमा की कलाएं कहा जाता है. यही वजह है कि चंद्रमा कोण के मुताबिक अलग-अलग आकार में नजर आता है.
चंद्रमा पृथ्वी का एक चक्कर पूरा करने में 30 दिन का समय लेता है. परिक्रमा करते हुए धीरे-धीरे चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य बीच में आता है. इस परिक्रमा के दौरान अलग-अलग कोण बनते हैं. इसी कोण के कारण सूर्य की जितनी किरणें चंद्रमा पर पड़ती हैं यह उतना ही नजर आता है. इसके अलग-अलग आकार को ही चंद्रमा की कलाएं कहा जाता है. यही वजह है कि चंद्रमा कोण के मुताबिक अलग-अलग आकार में नजर आता है.
परिक्रमा के दौरान जब चंद्रमा पृथ्वी के आगे आता है तब सूर्य से आने वाली किरणें परावर्तित होकर पृथ्वी पर नहीं आतीं और वह दिखाई नहीं दे पाता. ऐसा अमावस की रात की रात होता है. यानी एक बात तो साफ है कि चंद्रमा का गोल ही है और उसका आकार निश्चित है, लेकिन सूर्य की किरणों के रिफ्लेक्शन के कारण ही यह आधा-अधूरा दिखता है.
परिक्रमा के दौरान जब चंद्रमा पृथ्वी के आगे आता है तब सूर्य से आने वाली किरणें परावर्तित होकर पृथ्वी पर नहीं आतीं और वह दिखाई नहीं दे पाता. ऐसा अमावस की रात की रात होता है. यानी एक बात तो साफ है कि चंद्रमा का गोल ही है और उसका आकार निश्चित है, लेकिन सूर्य की किरणों के रिफ्लेक्शन के कारण ही यह आधा-अधूरा दिखता है.
चंद्रग्रहण का फंडा क्या है, अब ये जानिए. चंद्रग्रहण तब पड़ता है जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है. ऐसा होने पर सूर्य का प्रकाश चंद्रमा पर नहीं पड़ पाता, नतीजा किरणों का परावर्तन नहीं होता. इसलिए चंद्रग्रहण की स्थिति बनती है.
चंद्रग्रहण का फंडा क्या है, अब ये जानिए. चंद्रग्रहण तब पड़ता है जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है. ऐसा होने पर सूर्य का प्रकाश चंद्रमा पर नहीं पड़ पाता, नतीजा किरणों का परावर्तन नहीं होता. इसलिए चंद्रग्रहण की स्थिति बनती है.