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CHHATTISGARH GOVERNMENT SCHEME: मालामाल छत्तीसगढ़ का किसान ! लाख की खेती से बदली क़िस्मत …

Chhattisgarh Govt Schemes 2023
Chhattisgarh Govt Schemes 2023

Chhattisgarh Government Scheme: छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है. राज्य में सर्वाधिक धान की खेती होती है लेकिन प्रदेश में दूसरे फसलों पर भी किसानों को भारी मुनाफा हो रहा है. इसी क्रम में लाख की खेती करने पर किसानों को सरकार ने बिना ब्याज के लोन दे रही है. इसकी खरीदी भी राज्य सरकार ही करती है. राज्य सरकार ने दावा किया है कि लाख की खेती करने पर किसानों को 250 करोड़ रुपए तक का फायदा हो सकता है.

  • छत्तीसगढ़ में लाख की खेती को कृषि का दर्जा
  • मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रस्ताव को दी मंजूरी
  • लाख की खेती करने वाले किसानों को फायदा

लाख की खेती को प्रोत्साहन:

दरअसल राज्य में अभी 4000 टन लाख का उत्पादन होता है.

इसका अनुमानित मूल्य राशि 100 करोड रुपए है.

राज्य में लाख उत्पादन को 10 हजार टन तक बढ़ाते हुए 250 करोड़ रुपए की आय किसानों को देने का लक्ष्य रखा गया है.

इसके लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अधिकारियों को निर्देश दिया है और छत्तीसगढ़ राज्य वनोपज संघ ने बीहन लाख की उपलब्धता खरीदी बिक्री पर बगैर ब्याज के लोन देने की व्यवस्था की है. राज्य में बीहन लाख की कमी को दूर करने के लिए किसानों के पास उपलब्ध लाख को उचित मूल्य पर खरीदी करने के लिए खरीदी दर का भी निर्धारण किया गया है.

इसके अनुसार…

कुसुमी बीहन लाख जो कि बेर के पेड़ से मिलता है. इसके लिए किसानों से प्रति किलो की दर से ₹550 मिलेगा.

वहीं पलाश पेड़ से मिलने वाले रंगीनी बीहन लाख के लिए किसानों से ₹275 प्रति किलोग्राम की दर से खरीदी की जाएगी.

राज्य सरकार ने किसानों को लाख की खेती करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए जिला सहकारी बैंक के माध्यम से लाख फसल लोन बिना ब्याज के देने की व्यवस्था की गई है.

इसके अनुसार लाख पालन करने वाले पोषक पर कुसुम पर पांच हजार रुपए बेर पर ₹900 और पलाश पर ₹500 प्रति पेड़ लोन की सीमा निर्धारित की गई है. राज्य में लाख उत्पादन में वृद्धि करने के लिए 20 जिला यूनियनों में 3 से 5 प्राथमिक समिति क्षेत्र को जोड़ते हुए क्लस्टर का गठन किया गया है.

प्रत्येक लाख उत्पादन क्लस्टर में किसानों से बीहन लाख की मांग की जानकारी ली जा रही है.इनमें किसानों को संघ के द्वारा निर्धारित मूल्य पर बीहन लाख प्रदाय करने के लिए आवश्यक कुल राशि को पहले से जिला यूनियन खाते में जमा कराना होगा.

क्या होता है लाख:
लाख एक प्रकार की प्राकृतिक राल है जो केरिना लाका नामक कीट से उत्पादित होती है. लाख के कीड़े बेर, पलास तथा कुसुम के पेड़ों पर पाले जाते हैं. जिनकी शाखाओं से रस चूस कर भोजन प्राप्त करते हैं. कीड़ें अपनी सुरक्षा के लिए राल का स्त्राव कर कवच बना लेते हैं यही लाख होता है.

इन चीजों में होता है लाख का इस्तेमाल:
लाख का इस्तेमाल मुख्यतः कपड़ा, विधुत कुचालक, श्रृंगार की वस्तुओं, सील, वार्निंश, फलों व दवा पर कोटिंग, पॉलिश व सजावट की वस्तुएं तैयार करने के लिए किया जाता है. इस तरह यह बहु उपयोगी है. जिससे किसानों को अच्छी कीमत मिलती है.

लाख की खेती से करोड़पति बने लाभार्थी:
बिल्लीबन से जीतराम: कोटा से 10 किमी दूर बिल्लीबन में जीतराम के खेतों में पलाश के 500 पेड़ थे. इस राज्यसरकार की इस योजना के बाद उसने उसने डेढ़ लाख का लाख बेचा था। और फिर वह फिर लाख की बदौलत आज वह 14 एकड़ का मालिक है। उन्होंने अपने जमीन को अपडेट कर लिया है. सिंचाई के लिए ट्यूबवेल लगा रखा है। अपनी तीन बेटियों की शादी करा चूका है. और उनके एक बेटे किरण कुमार CRPF बटालियन तो दूसरे बेटे जयकरण बीएड कर टीचर बन गया है। तीसरा हिरण कुमार डीसीए कर रहा है।

संतोष कुमार के खेत में पलाश के 1000 पेड़ :
बिल्लिबन से संतोष कुमार तंवर लाख की खेती करता है साथ ही दीगर किसानों को भी इससे जोड़ रखा है. संतोष कुमार तंवर के मुताबिक उसके खेतों में पलाश के 1000 पेड़ हैं. उसका गांव में पक्का मकान है जहां टीवी, फ्रिज, कूलर, बाइक मौजूद हैं। वह खेती भी करता है।

चर्चा में क्यों?
7 नवंबर, 2022 को छत्तीसगढ़ जनसंपर्क विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश के अनुरूप छत्तीसगढ़ में राज्य सरकार द्वारा किसानों को लाख की खेती के लिये प्रोत्साहित करने और उनकी आय में वृद्धि हेतु विशेष पहल की जा रही है।

प्रमुख बिंदु

  • इसके परिपालन में छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ द्वारा बीहन लाख आपूर्ति तथा बीहन लाख विक्रय और लाख फसल ऋण की उपलब्धता के लिये मदद सहित आवश्यक व्यवस्था की गई है।
  • राज्य में योजना के सफल क्रियान्वयन और लाख उत्पादन में वृद्धि करने के लिये 20 ज़िला यूनियनों में 3 से 5 प्राथमिक समिति क्षेत्र को जोड़ते हुए लाख उत्पादन क्लस्टर का गठन भी किया गया है।
  • इसके तहत प्रत्येक लाख उत्पादन क्लस्टर में सर्वेक्षण कर कृषकवार बीहन लाख की मांग की जानकारी ली जाएगी। इनमें कृषकों को संघ द्वारा निर्धारित मूल्य पर बीहन लाख प्रदाय करने हेतु आवश्यक कुल राशि को अग्रिम रूप से ज़िला यूनियन खाते में जमा कराना होगा।
  • इसके तहत रंगीनी बीहन लाख के लिये कृषकों से मांग प्राप्त करने हेतु समय-सीमा 10 नवंबर के पूर्व निर्धारित है। इसमें कृषकों से राशि जमा किये जाने हेतु समय-सीमा 15 नवंबर तक निर्धारित है। इनमें कुसुमी बीहन लाख के लिये कृषकों से मांग प्राप्त करने हेतु 30 नवंबर के पूर्व तथा राशि जमा किये जाने हेतु 15 दिसंबर तक समय-सीमा निर्धारित है।
  • राज्य में बीहन लाख की कमी को दूर करने हेतु कृषकों के पास उपलब्ध बीहन लाख को उचित मूल्य पर क्रय करने के लिये क्रय दर का निर्धारण किया गया है। इसके तहत कुसुमी बीहन लाख (बेर वृक्ष से प्राप्त) के लिये कृषकों को देय क्रय दर 550 रुपए प्रति किलोग्राम तथा रंगीनी बीहन लाख (पलाश वृक्ष से प्राप्त) के लिये कृषकों को देय क्रय दर 275 रुपए प्रति किलोग्राम निर्धारित है।
  • इसी तरह कृषकों को बीहन लाख उपलब्ध कराने हेतु विक्रय दर का भी निर्धारण किया गया है। इसके तहत कुसुमी बीहन लाख (बेर वृक्ष से प्राप्त) के लिये कृषकों को देय विक्रय दर 640 रुपए प्रति किलोग्राम और रंगीनी बीहन लाख (पलाश वृक्ष से प्राप्त) के लिये कृषकों को देय विक्रय दर 375 रुपए प्रति किलोग्राम निर्धारित है।
  • राज्य सरकार द्वारा किसानों को लाख की खेती के लिये प्रोत्साहित करने हेतु ज़िला सहकारी बैंक के माध्यम से लाख फसल ऋण नि:शुल्क ब्याज के साथ प्रदाय करने की व्यवस्था की गई है। इसके तहत लाख पालन करने हेतु पोषक वृक्ष कुसुम पर 5 हज़ार रुपए, बेर पर 900 रुपए तथा पलाश पर 500 रुपए प्रति वृक्ष ऋण सीमा निर्धारित है।
  • लाख पालन को वैज्ञानिक पद्धति से करने हेतु राज्य लघु वनोपज संघ द्वारा कांकेर में प्रशिक्षण केंद्र खोला गया है। इस केंद्र में 3 दिवसीय संस्थागत प्रशिक्षण के साथ लाख उत्पादन क्लस्टर में ऑनफार्म प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है।
  • लाख पालन की अच्छी खेती के लिये कुसुम वृक्ष गर्मी के मौसम में अत्यंत उपयुक्त है, परंतु वर्षा ऋतु में बेर वृक्ष कुसुमी लाख पालन हेतु उपयुक्त है। अतएव कुसुम वृक्षों से आच्छादित क्षेत्रों में मीठा बेर रोपण कर वर्ष में 2 फसल लेते हुए अतिरिक्त आय प्राप्त की जा सकती है। इसके मद्देनज़र राज्य में कुसुम समृद्ध क्षेत्रों में कृषकों की मेड़ तथा निजि भूमि पर बृहद स्तर पर मीठा बेर रोपण हेतु वन विभाग द्वारा प्रयास किया जा रहा है।
  • राज्य में लाख पालन में वृद्धि हेतु तेंदूपत्ता संग्राहक परिवार के युवा सदस्य, जो 12वीं उत्तीर्ण हैं, उन्हें ‘वनधन मित्र’ के रूप में चयन कर लाख कृषक सर्वेक्षण, प्रशिक्षण, बीहन लाख व्यवस्था तथा फसल ऋण प्रदायगी आदि में उचित मानदेय पर उपयोग किया जा रहा है। वर्तमान में लगभग 200 वनधन मित्र (लाख) द्वारा विभिन्न ज़िला यूनियनों में अपनी सेवाएँ लाख कृषकों को प्रदान की जा रही है।
  • गौरतलब है कि राज्य के विभिन्न ज़िलों में परंपरागत रूप से लाख की खेती होती है और लगभग 50 हज़ार कृषकों द्वारा कुसुम एवं बेर वृक्षों पर कुसुमी लाख, पलाश एवं बेर वृक्षों पर रंगीनी लाख पालन किया जाता है।
  • राज्य में वर्तमान में 4 हज़ार टन लाख का उत्पादन होता है, जिसका अनुमानित मूल्य राशि 100 करोड़ रुपए है। राज्य में लाख उत्पादन को 10 हज़ार टन तक बढ़ाते हुए 250 करोड़ रुपए की आय कृषकों को देने का लक्ष्य है। इसके लिये लाख पालन करने वाले कृषकों को नि:शुल्क ब्याज के साथ लाख फसल ऋण देने का अहम निर्णय लिया गया है।
  • संपूर्ण देश में लाख उत्पादन में गिरावट के कारण वर्तमान में कुसुमी लाख का बाज़ार दर 300 रुपए से 900 रुपए प्रति किलोग्राम तक वृद्धि हुई है। इससे लाख खेती बढ़ाने हेतु किसानों का रुझान बढ़ रहा है।

लाख की खेती से किसानों को मिला लाभ
गरियाबंद वनमण्डल के वनसंरक्षक ने बताया कि लाख की खेती को अधिक प्रोत्साहन कर लाख कृषक से बीहन लाख क्रय कर अन्य जिले के कृषकों को भी प्रदाय किया गया है। उन्होंने बताया कि जून-जुलाई 2023 अंतर्गत देवभोग कलस्टर अंतर्गत अब तक 5 कृषकों से 14.53 क्विंटल लाख क्रय किया गया है। इसकी कीमत 5 लाख 75 हजार 527 रूपए है। जिले में लाख की खेती के लिए लाख पालक कृषकांे को जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक के प्राथमिक साख सहकारी समिति से समन्वय स्थापित कर वित्तीय वर्ष 2022-23 में 66 कृषकों को 23 लाख 25 हजार लोन की राशि वितरित की गई है। इसके अलावा वित्तीय वर्ष 2023-24 में 17 कृषकों को 8 लाख 50 हजार रूपए का लोन दिया गया है।

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