WAQF ACT HISTORY : वक्फ एक्ट में कांग्रेस ने किए थे बदलाव ? अब उसे पलट देगी मोदी सरकार ! जानें सबकुछ ..

WAQF ACT HISTORY: Did Congress make changes in the Waqf Act? Now Modi government will reverse it! Know everything..
नई दिल्ली। केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार वक्फ एक्ट में बड़े संशोधन करने जा रही है. इसके लिए संसद के इसी सत्र में संशोधन विधेयक लाने पर सरकार विचार कर रही है और केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में वक्फ अधिनियम में 40 संशोधनों के प्रस्ताव को मंजूरी दी जा चुकी है. इस प्रस्ताव पर कई तरह के सवाल भी उठने लगे हैं.
आइए जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर क्या है वक्फ एक्ट? इसमें 2013 में कांग्रेस सरकार ने क्या-क्या बदलाव किए थे? अब मोदी सरकार किस तरह के संशोधन करने जा रही है?
साल 1954 में बना था वक्फ एक्ट –
आजादी के बाद पहली बार देश में वक्फ एक्ट-1954 बना था. इसे पहला वक्फ एक्ट माना जाता है. देश में इस एक्ट को मुस्लिमों की धार्मिक संपत्तियों और धार्मिक संस्थाओं के प्रबंधन के लिए लागू किया गया था. इस एक्ट में किसी संपत्ति पर वक्फ के दावे से लेकर रखरखाव तक का प्रावधान किया गया है. इसी एक्ट के प्रावधान के आधार पर साल 1964 में अल्पसंख्यक मंत्रालय के अंतर्गत केंद्रीय वक्फ बोर्ड का गठन किया गया, जो केंद्र सरकार को दूसरे वक्फ बोर्डों के कामकाज के लिए सलाह देता है.
क्या है वक्फ और वक्फ बोर्ड? –
अरबी के शब्द वक्फ का मतलब है खुदा के नाम पर समर्पित वस्तु या लोगों के उपकार के लिए दिया गया धन. इसके तहत अचल और चल दोनों संपत्तियां होती हैं. अगर कोई मुस्लिम व्यक्ति जमीन, मकान, धन या कोई और चीज दान करता है तो उसे वक्फ कहा जाता है. इन्हीं संपत्तियों की देखरेख के लिए बनाई गई संस्था को वक्फ बोर्ड कहा जाता है. इस्लाम के जानकार बताते हैं कि वक्फ बोर्ड को दान में मिलने वाली संपत्ति यानी वक्फ का उद्देश्य गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करना होता है. इससे गरीबों की पढ़ाई-लिखाई की व्यवस्था की जाती है. मस्जिदों का निर्माण, मरम्मत और रखरखाव भी इस दान से किया जा सकता है. इसके अलावा वक्फ से दूसरे धर्मार्थ कामों में मदद की जाती है.
1995 में संशोधन कर नया वक्फ एक्ट लागू हुआ –
इसके बाद साल 1995 में वक्फ एक्ट 1995 में संशोधन कर नया वक्फ एक्ट लागू किया गया. इसी को वक्फ एक्ट 1995 के नाम से जाना जाता है. वक्फ एक्ट 1995 का लक्ष्य था कि वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन सुधारा जाए. साथ ही साथ इसमें व्याप्त भ्रष्टाचार को कम किया जाए. इसलिए वक्फ एक्ट 1995 के तहत वक्फ बोर्डों को अधिक शक्तियां और जिम्मेदारियां देने का प्रावधान किया गया. इसी के तहत वक्फ की संपत्तियों की निगरानी के लिए राज्यों में वक्फ बोर्ड बनाए गए. साथ ही साथ वक्फ की संपत्तियों के रजिस्ट्रेशन के प्रोसेस को और संगठित और ट्रांसपैरेंट करने की कोशिश की गई.
वक्फ एक्ट के अनुसार, वक्फ बोर्ड के पास वक्फ की संपत्तियों के निरीक्षण और उन पर नियंत्रण का हक है. वक्फ बोर्ड ही संपत्तियों के लिए प्रबंधकों (मुतवल्ली) की नियुक्ति करता और उनके कामकाज की समीक्षा भी करता है. देश में 32 राज्य और एक सेंट्रल वक्फ बोर्ड है.
ऐसी शक्ति कि सोचने से ही संपत्ति पर हक –
हालांकि, वक्फ एक्ट 1995 में जो सबसे बड़ा बदलाव किया गया, वह यह कि एक मामले में इसकी शक्ति असीमित कर दी गई. इसी एक्ट की धारा-3 में कहा गया है कि अगर वक्फ सोचता है कि जमीन किसी मुसलमान की है, तो वह संपत्ति वक्फ की सम्पत्ति है. इस बारे में वक्फ को कोई सबूत भी देने की जरूरत नहीं होगी कि उसे ऐसा क्यों लगता है कि जमीन पर उसका मालिकाना है.
2013 के संशोधन ने दिए असीमित अधिकार –
साल 2013 में एक बार फिर से वक्फ एक्ट में संशोधन किया गया. कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार ने वक्फ एक्ट 1995 में संशोधन कर वक्फ बोर्डों को और अधिक अधिकार दे दिए. खास बात यह है कि इनको किसी अदालत में चुनौती भी नहीं दी जा सकती. इसी संशोधन के बाद बोर्ड के पास वर्तमान में किसी भी संपत्ति को वक्फ संपत्ति घोषित कर देने का हक है. अगर कोई वक्फ बोर्ड ऐसा करता है यानी किसी संपत्ति पर दावा कर देता है तो इस दावे को उलटा साबित करना काफी मुश्किल होता है.
कोर्ट की मदद भी नहीं ले सकते –
वक्फ एक्ट के आर्टिकल-40 में प्रावधान है कि कोई जमीन किसकी है, इसे वक्फ का सर्वेयर और वक्फ बोर्ड ही तय करेगा. अगर आपकी अपनी संपत्ति भी वक्फ की संपत्ति बता दी गई तो भी आप इस दावे के खिलाफ कोर्ट नहीं जा सकते. इसके लिए आपको वक्फ बोर्ड के सामने ही गुहार लगानी होगी. इस मामले में वक्फ बोर्ड का फैसला अगर आपके खिलाफ आया, तब भी आप कोर्ट का रुख नहीं कर सकते हैं. वक्फ बोर्ड के फैसले के खिलाफ वक्फ ट्रिब्यूनल में जा सकते हैं. इसी एक्ट के सेक्शन 85 में प्रावधान है कि ट्रिब्यूनल के फैसले को हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में भी चुनौती नहीं दी जा सकती है. यही नहीं, राज्य और केंद्र सरकार भी इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकतीं.
हालांकि, वक्फ संपत्तियों के विवादों के निपटारे के लिए इसमें एक विशेष न्यायालय की स्थापना का प्रावधान किया गया. 2013 के संशोधनों के जरिए वक्फ संपत्तियों को विशेष दर्जा दे दिया गया. ये अब किसी ट्रस्ट आदि से ऊपर हैं. 2013 में किए गए संशोधन में सभी वक्फ संपत्तियों की पहचान और रजिस्ट्रेशन अनिवार्य किया गया था. इसके लिए वक्फ संपत्तियों के लिए जियोग्राफिक इन्फॉर्मेशन सिस्टम से मैपिंग की व्यवस्था तक की गई, जिससे संपत्तियों का सही और सटीक रिकॉर्ड रखा जा सके.
मोदी सरकार कर सकती है ये संशोधन –
1-अब केंद्र की एनडीए सरकार ने वक्फ बोर्ड की शक्तियां घटाने की तैयारी की है. सबसे पहले तो वक्फ संपत्तियों का सत्यापन अनिवार्य होगा. यानी अगर वक्फ बोर्ड किसी संपत्ति पर दावा करता है तो उसका अनिवार्य रूप से सत्यापन किया जाएगा. यानी केवल वक्फ बोर्ड के कह देने मात्र से कोई संपत्ति उसकी नहीं हो जाएगी.
2-उन संपत्तियों का भी अनिवार्य सत्यापन संशोधन में प्रस्तावित किया गया है, जिन पर वक्फ बोर्ड ने तो दावा किया ही है, किसी अन्य व्यक्ति ने उस संपत्ति पर अपना मालिकाना हक जताया है. यानी अगर कोई संपत्ति बोर्ड और किसी व्यक्ति के बीच विवादित है तो एकपक्षीय बोर्ड के हक में फैसला नहीं होगा. अब इसके लिए बोर्ड को भी सबूत देना होगा कि संपत्ति उसकी है.
3-वर्तमान में राज्य और केंद्र सरकार वक्फ की संपत्तियों में दखल नहीं दे सकती हैं. प्रस्तावित संशोधन के बाद वक्फ बोर्डों को अपनी संपत्ति जिला मजिस्ट्रेट के दफ्तर में पंजीकृत करानी होगी. इससे संपत्ति का मूल्यांकन हो सकेगा. इसके साथ ही राजस्व की जांच की जा सकेगी.
4- वक्फ बोर्डों के ढांचे में भी बदलाव प्रस्तावित है. राज्यों के वक्फ बोर्डों में महिला सदस्यों को शामिल किया जाएगा. अब हर राज्य के बोर्ड में दो महिलाएं सदस्य होंगी. वक्फ एक्ट की धारा 19 और 14 में बदलाव किया जाएगा. इसके अलावा वक्फ बोर्ड के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील का प्रावधान भी किया जा रहा है.