सियासी दलों में बढ़ी चुनाव परिणाम को लेकर बेचैनी

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रायपुर। छत्तीसगढ़ में प्रत्याशियों की किस्मत ईवीएम में कैद हो गई है, लेकिन सियासी दल परिणाम को लेकर खासे बेचैन नजर आ रहे हैं। यही वजह है कि कोई भी दावे के साथ कुछ कहने की स्थिति में नहीं है।ऐसे में दोहरी रणनीति के तहत एक्शन मोड में नजर आ रही कांग्रेस कोई बड़ा संकेत दे रही है।

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने अबकी बार 75 पार का नारा दिया है। भाजपा भी लगातार यह दावा करती नहीं थक रही है कि दो तिहाई बहुमत के साथ सरकार बनेगी, लेकिन चुनाव के बाद हालात जुदा नजर आ रहे हैं। कांग्रेस के नेता चुनाव अभियान की समीक्षा में जुटे हैं।

प्रत्याशियों से वन टू वन बातचीत की जा रही है। पार्टी का इंटरनल असेसमेंट है कि कांग्रेस को 55 से 60 सीटें मिल सकती है। वहीं भाजपा चुनाव के बाद से अब तक साइलेंट मोड में नजर आ रही है। लेकिन पार्टी के नेता बहुमत के करीब यानी 46 से 52 सीटों तक पहुंचने का अनुमान जता रहे हैं।

इस बीच एक तरफ कांग्रेस में जहां मुख्यमंत्री पद को लेकर अलग अलग बयान भी सुनने मिल रहे हैं। छत्तीसगढ़ में चुनाव खत्म होने के बाद भी कांग्रेस एक्टिव मोड में नजर आ रही है।

एक तरफ कांग्रेस प्रत्याशियों को बुलाकर चुनाव अभियान की समीक्षा कर रही है तो दूसरी तरफ बागियों पर लगातार कार्रवाई भी हो रही है। कांग्रेस के इस एक्टिवनेस के क्या हैं मायने? आखिर क्यों परिणाम से पहले ही समीक्षा में जुटी है कांग्रेस?

वहीं पार्टी ने बागियों के खिलाफ भी कार्रवाई तेज कर दी है। कांग्रेस ने अब तक दर्जनभर से अधिक लोगों को पार्टी के खिलाफ काम करने की वजह से बाहर का रास्ता दिखा दिया है। करीब इतने ही लोगों को पार्टी ने कारण बताओ नोटिस भी जारी किया है।

वहीं कांग्रेस ने ऑपरेशन लोटस को लेकर भी अपने प्रत्याशियों को दिशानिर्देश दिए हैं। प्रत्याशियों से कहा है कि जीत का सर्टिफिकेट लेते ही उन्हें रायपुर आना है। प्रत्याशियों को पार्टी के संपर्क में लगातार बने रहने कहा गया है।

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