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अकोला के ‘अभिजीत सराग’ ऐसे बने कालीचरण महाराज, रोचक हैं कई किस्से

रायपुर : रायपुर में आयोजित धर्म संसद में महात्मा गांधी के खिलाफ विवादित टिप्पणी करने के बाद सुर्खियों में आए कालीचरण महाराज इन दिनों सुर्खियों में है। कालीचरण महाराज महात्मा गांधी के खिलाफ बयान देने से पहले भी सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो चुके हैं। उनके द्वारा गाया गया शिव तांडव स्रोत काफी पसंद किया गया था और कालीचरण महाराज युवाओं में काफी लोकप्रिय है। लेकिन महात्मा गांधी के खिलाफ टिप्पणी करके चर्चा में आए कालीचरण महाराज के बारे में हर कोई जानना चाहता है।

अकोला के रहने वाले हैं संत कालीचरण
कालीचरण महाराज का वास्तविक नाम अभिजीत सराग है। मूल रूप से कालीचरण महाराज महाराष्ट्र के अकोला जिले के रहने वाले हैं और उनका बचपन शिवाजी नगर के भवसर पंचबंगला इलाके में गुजरा। कालीचरण महाराज की शिक्षा को लेकर ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है लेकिन अकोला में उनके परिवार को जानने वाली कुछ स्थानीय लोगों का मानना है कि कालीचरण ने 8वीं कक्षा तक पढ़ाई की और उसके बाद धर्म शास्त्रों का अध्ययन करने में जुट गए।

तब के अभिजीत में नहीं पसंद था स्कूल जाना
एक इंटरव्यू में कालीचरण महाराज ने भी स्वीकार किया था कि बचपन में मुझे स्कूल जाना कभी पसंद नहीं रहा। यदि जबरन मुझे स्कूल भेजा जाता था तो मैं बीमार हो जाता था। धर्मग्रंथों को पढ़ने में कालीचरण महाराज की रूचि ज्यादा थी। धीरे-धीरे में मैं अध्यात्म की ओर मुड़ गया।

इंदौर में भैय्यूजी महाराज की सानिध्य में रहे
कालीचरण महाराज इंदौर में भी रहे और उन्होंने दिवंगत भय्यूजी महाराज के सानिध्य में कई धार्मिक अनुष्ठानों को संपन्न किया। बाद में भैय्यूजी महाराज के आश्रम से निकल कर वापस अकोला पहुंच गए। कालीचरण महाराज 2017 में अकोला लौट आए और उन्होंने नगर निगम के चुनाव में किस्मत आजमाई लेकिन चुनाव हार गए।

कालीचरण महाराज का दावा, देवी काली ने दिए थे दर्शन
अभिजीत सराग से कालीचरण बनने का सफर भी काफी दिलचस्प है। कालीचरण महाराज का दावा है कि देवी काली ने न केवल उन्हें दर्शन दिए बल्कि उन्हें एक दुर्घटना से बचाया। कालीचरण महाराज ने बताया कि एक दुर्घटना में मेरे पांव टूट गए थे। मेरे पांव 90 डिग्री से ज़्यादा मुड़ गए थे और दोनों हड्डी टूट गई थी, लेकिन काली मां ने मुझे दर्शन दिए और उन्होंने मेरे पांव को पकड़ खींचा और उसी वक्त मेरे पांव ठीक हो गए। गंभीर हादसे के बाद भी मेरे पैरों की सर्जरी नहीं करनी पड़ी थी।

महर्षि अगस्त्य से मुलाकात का दावा
वहीं कालीचरण महाराज का दावा है कि महर्षि अगस्त्य से उनकी मुलाकात हुई है। उनका कहना है कि जब वे 15 साल के थे, तब महर्षि अगस्त्य ने उन्हें लाल कपड़े पहनने को कहा था।

कालीचरण खुद कहते हैं, मैं कोई ऋषि नहीं हूं
कालीचरण महाराज का कहना है कि मैं कोई ऋषि मुनि नहीं हूं। मुझे अच्छे आकर्षक डिजाइन वाले कपड़े पसंद हैं। मैं कुमकुम भी लगाता हूं, मैं दाढ़ी बनाता हूं इसलिए मैं खुद को ऋषि मुनि नहीं कह सकता।

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