
दिनांक: 15 जून, 2025: विश्व तेल बाजार में एक महत्वपूर्ण पुनर्संतुलन की प्रक्रिया चल रही है, जहां आपूर्ति और मांग के बीच नए समीकरण स्थापित हो रहे हैं। हालिया घटनाक्रमों में गुयाना में तेल खोज, अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में तेल कुओं की खुदाई, और ईरान के तेल ढांचे पर हमले शामिल हैं। इन घटनाओं का विश्लेषण करते हुए, हम तेल आपूर्ति के पुनर्संतुलन पर इसके प्रभाव को समझने का प्रयास करेंगे।गुयाना में तेल खोज: एक नई आपूर्ति स्रोतगुयाना में तेल की खोज ने वैश्विक तेल बाजार में एक नया अध्याय जोड़ा है। एक्सॉनमोबिल द्वारा स्टैब्रोएक ब्लॉक में 2024 में ब्लूफिन तेल क्षेत्र की खोज ने पुष्टि की है कि इस क्षेत्र में तेल और गैस के विकास की व्यापक संभावनाएं हैं। इस खोज से गुयाना तेल उत्पादन में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में उभर रहा है, जो वैश्विक आपूर्ति में वृद्धि कर सकता है।अंडमान-निकोबार में तेल खुदाई: भारत की ऊर्जा सुरक्षाभारत ने अपनी ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने के लिए अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में तेल और गैस की खोज शुरू की है। यह परियोजना, जो लगभग गुयाना के आकार के क्षेत्र में फैली है, को ऑयल इंडिया लिमिटेड द्वारा अंजाम दिया जा रहा है। ब्लैकफोर्ड डॉल्फिन रिग का उपयोग करके चार अन्वेषण कुओं की खुदाई चल रही है, जो भारत को नए हाइड्रोकार्बन भंडार तक पहुंच प्रदान कर सकती है। यह कदम न केवल भारत की ऊर्जा निर्भरता को कम करेगा, बल्कि वैश्विक तेल आपूर्ति में भी योगदान देगा।ईरान में तेल ढांचे पर हमले: आपूर्ति में व्यवधानईरान के तेल ढांचे पर हालिया हमले, जिसमें इस्राइल द्वारा दक्षिण पार्स गैस क्षेत्र और एक तेल रिफाइनरी पर हमला किया गया, ने वैश्विक तेल आपूर्ति को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। ये हमले ईरान की तेल निर्यात क्षमता को कमजोर कर सकते हैं, जिससे एशिया और अन्य क्षेत्रों में तेल की आपूर्ति में व्यवधान पैदा हो सकता है। तेल की कीमतें पहले ही बढ़ चुकी हैं, और यदि संघर्ष और escalate होता है, तो कीमतों में और वृद्धि हो सकती है।तेल आपूर्ति पुनर्संतुलन का विश्लेषणआपूर्ति में वृद्धि (गुयाना और अंडमान-निकोबार):गुयाना और अंडमान-निकोबार से आने वाली नई आपूर्ति वैश्विक तेल बाजार में स्थिरता ला सकती है। गुयाना में स्टैब्रोएक ब्लॉक से तेल उत्पादन में वृद्धि और अंडमान-निकोबार में सफल खुदाई भारत को एक नया तेल निर्यातक बनाने की संभावना रखती है।इन क्षेत्रों से आपूर्ति में वृद्धि, विशेष रूप से यदि वे बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू करें, तो ईरान से आपूर्ति में कमी की भरपाई कर सकती है।मांग और कीमतों पर प्रभाव (ईरान के हमले):ईरान के तेल ढांचे पर हमले से तेल की कीमतें बढ़ी हैं, क्योंकि बाजार आपूर्ति में व्यवधान की आशंका से चिंतित है। हालांकि, यदि गुयाना और अंडमान-निकोबार से आपूर्ति में वृद्धि होती है, तो यह कीमतों को नियंत्रित करने में मदद कर सकती है।एशिया, जो ईरान से तेल आयात का एक बड़ा उपभोक्ता है, को वैकल्पिक स्रोतों की तलाश करनी होगी, और यहां गुयाना और भारत की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है。भू-राजनीतिक प्रभाव:ईरान और इस्राइल के बीच तनाव से मध्य पूर्व में तेल आपूर्ति पर लंबे समय तक प्रभाव पड़ सकता है। इस स्थिति में, गैर-मध्य पूर्वी स्रोतों जैसे गुयाना और अंडमान-निकोबार की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है।भारत की अंडमान-निकोबार परियोजना न केवल अपनी ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करेगी, बल्कि वैश्विक तेल बाजार में उसकी साख भी बढ़ाएगी।
विश्व में दैनिक तेल खपतविश्व में दैनिक तेल खपत का अनुमानित आंकड़ा 2025 में लगभग 102 मिलियन बैरल प्रति दिन (bpd) है। यह आंकड़ा अमेरिकी ऊर्जा सूचना प्रशासन (EIA) और अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) की रिपोर्टों पर आधारित है, जो दिखाती हैं कि गैर-OECD देशों, विशेष रूप से एशिया में, तेल की मांग में वृद्धि हो रही है।गैर-OECD देशों में मांग: एशिया, विशेष रूप से चीन और भारत, में औद्योगिक गतिविधियों और परिवहन क्षेत्र में वृद्धि के कारण तेल की मांग में महत्वपूर्ण वृद्धि देखी गई है।OECD देशों में स्थिरीकरण: यूरोप और उत्तरी अमेरिका में, नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों और ऊर्जा दक्षता में सुधार के कारण तेल की मांग में वृद्धि की दर धीमी है।विश्व में तेल आपूर्तितेल की आपूर्ति में कई प्रमुख खिलाड़ी शामिल हैं, जिनमें ओपेक+ (OPEC+), अमेरिका, रूस, और हाल ही में उभरते स्रोत जैसे गुयाना और ब्राजील शामिल हैं। 2025 में, वैश्विक तेल उत्पादन का अनुमान लगभग 101.5 मिलियन bpd है, जो मांग से थोड़ा कम है, जिससे आपूर्ति में तंगी की स्थिति बनी हुई है।ओपेक+ की भूमिका: ओपेक+ देश, जिसमें सऊदी अरब और रूस शामिल हैं, ने उत्पादन में कटौती की नीति अपनाई है, जो आपूर्ति को नियंत्रित करने में मदद कर रही है। हालिया रिपोर्टों के अनुसार, ओपेक+ का उत्पादन 2025 में लगभग 40 मिलियन bpd रहने का अनुमान है।अमेरिका और रूस: अमेरिका और रूस गैर-ओपेक देशों में सबसे बड़े तेल उत्पादक हैं। अमेरिका में शेल ऑयल उत्पादन में वृद्धि और रूस में पारंपरिक तेल उत्पादन से आपूर्ति में योगदान हो रहा है।नए स्रोत: गुयाना और ब्राजील जैसे देश तेल उत्पादन में तेजी से वृद्धि कर रहे हैं। गुयाना में स्टैब्रोएक ब्लॉक से उत्पादन 2025 में 1 मिलियन bpd तक पहुंचने का अनुमान है, जबकि ब्राजील में प्री-साल्ट क्षेत्र से उत्पादन में वृद्धि हो रही है।आपूर्ति और मांग के बीच संतुलनवर्तमान में, तेल की आपूर्ति और मांग के बीच एक संतुलन बनाए रखना चुनौतीपूर्ण है, विशेष रूप से जब मध्य पूर्व में अस्थिरता और ईरान के तेल ढांचे पर हमलों ने आपूर्ति में व्यवधान पैदा किया है। हालिया हमलों से ईरान की तेल निर्यात क्षमता में कमी आई है, जो वैश्विक आपूर्ति को प्रभावित कर रही है।ईरान पर हमले का प्रभाव: ईरान के तेल ढांचे पर इस्राइल द्वारा किए गए हमलों से तेल की आपूर्ति में लगभग 500,000 bpd की कमी आई है, जिससे कीमतें बढ़ी हैं। हालांकि, ओपेक+ और अन्य उत्पादकों द्वारा उत्पादन में वृद्धि इस अंतर को पाटने में मदद कर रही है।नवीकरणीय ऊर्जा का प्रभाव: लंबी अवधि में, नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों और इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ती लोकप्रियता तेल की मांग को कम कर सकती है, लेकिन 2025 तक इसका प्रभाव सीमित है।