
पलामू: दुधारू पशुओं में फैले जानलेवा लंपी वायरस का खतरा अब हिरण पर भी मंडराने लगा रहा है राजस्थान में हिरणों के बीच लंपी वायरस फैलने की खबर निकल कर सामने आई है. जिसके बाद पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में हिरणों पर लंबी वायरस का खतरा मंडराने लगा है. लंपी वायरस के खतरे को देखते हुए पलामू टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने एसओपी जारी किया है. पलामू टाइगर रिजर्व के निदेशक कुमार आशुतोष ने बताया कि पूरे पीटीआर के इलाके में हाई अलर्ट जारी किया गया है.
हिरणों में लंपी वायरस फैलने के बाद पलामू टाइगर रिजर्व अर्ट मोड पर आ गया है. पीटीआर के प्रबंधन ने ग्रामीणों के साथ बैठक कर मवेशियों को जंगल में लेकर नहीं जाने का आग्रह कर रही है. विभिन्न इलाकों में ग्रामीणों के साथ बैठक की योजना है. हिरणों के मूवमेंट पर निगरानी रखी जा रही है. विभिन्न स्तरों से विभाग के कर्मियों के लिए एसओपी जारी किया गया है. पीटीआर के इलाके में 250 से भी अधिक जल स्रोत हैं जिसका इस्तेमाल हिरण समेत अन्य वन्य जीव करते. इस जल स्रोत का इस्तेमाल मवेशी भी कर रहे हैं, जिस कारण संक्रमण का खतरा मंडरा रहा है.
पलामू के सतबरवा प्रखंड के इलाके में करीब एक सप्ताह पहले दुधारू पशुओं में लंबी वायरस के संक्रमण की पुष्टि हुई थी. जिस इलाके में मवेशियों में लंबी वायरस की पुष्टि हुई थी, वह इलाका पलामू टाइगर रिजर्व से सटा हुआ है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार पलामू टाइगर रिजर्व में 1.67 लाख मवेशी मौजूद हैं, जो चारे के लिए पीटीआर के इलाके में घुसते हैं. विभागीय आंकड़ों के अनुसार पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में 197 गांव मौजूद थे, इन गांवों में करीब 1.67 लाख मवेशी मौजूद हैं, जो चारा के लिए पीटीआर के जंगलों पर ही निर्भर हैं.
पलामू टाइगर रिजर्व में पांच हजार से अधिक हिरणों की संख्या है. हिरण के लिए सबसे बड़ा खतरा मवेशी हो गए हैं. भविष्य चारे के लिए पीटीआर के इलाके में घुसते हैं जिसके माध्यम से हिरणों में लंपी वायरस फैलने का खतरा मंडरा रहा है. मवेशी और वन्य जीव पानी के लिए एक ही जल स्रोत का इस्तेमाल करते हैं. एमटीसीएन अपने रिकॉर्ड पहले भी इस बात का जिक्र किया है कि मवेशी पीटीआर के इलाके में वन्यजीवों के लिए सबसे बड़ा खतरा बनते जा रहे हैं. पलामू टाइगर रिजर्व के बेतला नेशनल पार्क के इलाके में सबसे अधिक हीरोइनों की संख्या मौजूद है, जबकि इसी इलाके में मवेशी भी बड़ी संख्या में मौजूद हैं.