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समाज में शिक्षा का पुरजोर प्रचार-प्रसार कर रहे हैं निजी महाविद्यालय-सत्यनारायण
00 राज्य-स्तरीय संगोष्ठी व शिक्षक सम्मान समारोह
रायपुर। लोकतंत्र में शिक्षक की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण होती है। शिक्षक ही ऐसा व्यक्ति है, जो पूरे समाज को एक दिशा एवं गति प्रदान करता है। लोकतंत्र में कौन अच्छा है और कौन बुरा है इसकी पहचान शिक्षक ही कराता है। आज वर्तमान परिप्रेक्ष्य में शिक्षक का दायित्व बहुत अधिक हो जाता है जो लोकतंत्र को मजबूती प्रदान करने के दिशा में कार्य करे। उक्त बातें छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत ने एशोसिएशन ऑफ प्राइवेट प्रोफेशनल अनएडेड कॉलेजेज ऑफ छत्तीसगढ़ द्वारा आयोजित राज्य-स्तरीय संगोष्ठी लोकतंत्र में शिक्षक की भूमिका तथा उत्कृष्ट शिक्षक एवं छात्र-अध्यापक सम्मान समारोह में मुख्य अतिथि की आसंदी से अपने विचार व्यक्त किया।
इस अवसर पर उन्होंने शिक्षकों से कहा कि वे अपने इस महत्वपूर्ण दायित्व का पूर्णत: निर्वहन करें और समाज में जागृति फैलाने का कार्य जारी रखे ,जिससे लोकतंत्र मजबूत होगा और पूरे विश्व में भारत का लोकतंत्र अग्रणी स्थान हासिल करेगा।
इस अवसर पर उपस्थित स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने कहा कि शिक्षक ही समाज में रौशनी बिखेरता है और शिक्षक का दायित्व वर्तमान में बहुत अधिक हो गया है शिक्षक ही लोगों को जागृत करने के साथ ही साथ एक सभ्य और सुंदर समाज की परिकल्पना को साकार करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का कार्य करता है।
कार्यक्रम में विशिष्ठ अतिथि के रूप में उपस्थित छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ विधायक एवं पूर्व मंत्री तथा एशोसिएशन के संरक्षक सत्यनारायण शर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा वर्तमान समय में निजी महाविद्यालयों के सामने अनेक कठिनाइयाँ उत्पन्न हो रही है। वर्तमान में नये महाविद्यालय प्रारंभ करने में 5 एकड़ की भूमि होने की शर्तें बाध्य हो गयी है जो कि सर्वथा अनुचित है, शहर के बीच में यदि कोई संस्था महाविद्यालय प्रारंभ करना चाहे तो उसे शहर के अंदर 5 एकड़ भूमि मिलना असंभव है ऐसी स्थिति में इस तरह की बाध्यकारी शर्तों को शून्य घोषित किया जाना चाहिए एवं निजी महाविद्यालयों को शासन से अनुदान के साथ ही साथ समय-समय पर उन्हें सहयोग भी करना चाहिए क्योंकि निजी महाविद्यालय ही ऐसे संस्थान है जो समाज में शिक्षा का पुरजोर प्रचार-प्रसार कर रहे हैं, शासकीय महाविद्यालयों का जितना योगदान समाज के लिए है उतना ही योगदान अशासकीय महाविद्यालयों का भी है।
एशोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. सुरेश शुक्ला ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि शिक्षक ही है जो लोकतंत्र में क्या उचित है और क्या अनुचित है को आम जनता तक पहुंचाने का कार्य करता है। उन्होंने कहा कि राम और रावण में फर्क शिक्षक ही बतलायेगा, कंश और कृष्ण में एवं अच्छाई और बुराई में फर्क शिक्षक ही बता पायेगा। ऐसे में शिक्षक की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि लोकतंत्र में सही और गलत की पहचान आवश्यक है।
प्रथम चरण में एसोसिएशन ऑफ प्राइवेट प्रोफेशनल अनेटेड कॉलेजेस ऑफ़ छत्तीसगढ़ द्वारा आयोजित राज्य स्तरीय संगोष्ठी लोकतंत्र में शिक्षक की भूमिका तथा उत्कृष्ट शिक्षक एवं छात्र अध्यापक सम्मान समारोह हुआ, कार्यक्रम दो चरणों में समाप्त हुआ प्रथम चरण में मुख्य वक्ता के रूप में डॉक्टर सुशील त्रिवेदी आईएएस पूर्व आयुक्त राज्य निर्वाचन आयोग छत्तीसगढ़ के द्वारा लोकतंत्र में शिक्षक की भूमिका के ऊपर व्याख्यान दिया गया तत्पश्चात डॉक्टर के एल वर्मा कुलपति पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर एवं डॉ लक्ष्मी शंकर निगम कुलपति शंकराचार्य प्रोफेशनल विश्वविद्यालय भिलाई के द्वारा लोकतंत्र में शिक्षा की भूमिका के बारे में विस्तृत से शिक्षकों एवं छात्र अध्यापकों को बताया गया,कार्यक्रम में 112 से अधिक छत्तीसगढ़ के विभिन्न शिक्षा महाविद्यालय से 523 छात्राध्यापक एवं शिक्षक शामिल हुए, उत्कृष्ट शिक्षक ,उत्कृष्ट छात्र अध्यापकों को कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के हाथों से प्रमाण पत्र प्रदान किया गया, कार्यक्रम संगठन के अध्यक्ष डॉ सुरेश शुक्ला के मार्गदर्शन में संपन्न हुआ, कार्यक्रम में श्री अजय तिवारी,अध्यक्ष फेडरेशन आफ एजुकेशनल सोसायटी,संगठन के महासचिव श्री नरेंद्र स्वर्णकार, संगठन के उपाध्यक्ष श्री प्रवीण चंद्राकर, श्री आशीष अग्रवाल, श्री एस साजन संगठन के सचिव श्री सिद्धार्थ दास, श्री हरजीत हुरा एवं संगठन के कोषाध्यक्ष श्री राजीव गुप्ता शामिल हुए.