कवर्धा (पत्रकार – दीपक तिवारी)। आम जनता पहले ही महंगाई से परेशान है, अब बिजली विभाग ने एक नया झटका दे दिया है। जिन उपभोक्ताओं का बिजली बिल पहले ₹300 से ₹400 के बीच आता था, अब वही बिल ₹1200 से ₹1300 तक पहुंच रहा है। कारण — नया “स्मार्ट” मीटर!
दरअसल, बिजली विभाग ने दावा किया था कि नया मीटर लगने से बिल सटीक और पारदर्शी आएगा, लेकिन हकीकत उलटी निकली। नए मीटर में चार छोटी-छोटी एलईडी लाइटें लगी हैं जो लगातार जलती रहती हैं, और उसका खर्चा भी उपभोक्ताओं के बिल में जोड़ दिया गया है!
अगर एक उपभोक्ता का सिर्फ इन लाइटों का खर्चा ₹50 महीने आता है, तो सोचिए — लाखों-करोड़ों उपभोक्ताओं से हर महीने कितना पैसा वसूला जा रहा है!
जनता कह रही है —
> “मीटर नया लगा, बिल दोगुना हो गया, और ऊपर से अपनी लाइट का पैसा भी हम दें — ये कैसा न्याय है?”
कई उपभोक्ताओं ने सवाल उठाया है कि क्या यह ‘स्मार्ट मीटर योजना’ जनता के लिए वरदान है या नया वसूली तंत्र?
बिजली विभाग के अफसरों का कहना है कि सब कुछ “सिस्टम के हिसाब से सही” है, जबकि आम जनता इसे “मीटर घोटाला” बता रही है।
अब जनता मांग कर रही है कि बिजली विभाग पारदर्शी तरीके से बताए —
- मीटर की लाइटों का खर्चा आखिर कौन देता है?
- क्या उपभोक्ता अपने बिल से इन अनावश्यक चार लाइटों को भी जला रहा है?
- और अगर मीटर नया है, तो बिल पुराना क्यों नहीं रहा?
- अब सवाल उठता है — ये नया मीटर जनता की सुविधा है या विभाग की नई वसूली मशीन?
