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महामाया मंदिर में 200 वर्ष से चकमक पत्थर की चिंगारी से प्रज्वलित कर रहे महाजोत, आज अभिजीत मुहूर्त में जगमगाएगी जोत

रायपुर। राजधानी के 10 मंदिरों में ही 35 हजार से अधिक जोत का पंजीयन किया जा चुका है। सबसे ज्यादा साढ़े 10 हजार से अधिक जोत महामाया मंदिर में प्रज्वलित होगी। यहां चकमक पत्थर से नवरात्र पर महाजोत एवं मनोकामना जोत प्रज्वलित करने की परंपरा आज भी जारी है। पुरानी बस्ती के ऐतिहासिक महामाया मंदिर में चकमक पत्थर को रगड़कर निकलने वाली चिंगारी से महाजोत प्रज्वलित करने की परंपरा निभाई जा रही हैै। महाजोत से अग्नि लेकर हजारों श्रद्धालुओं की जोत को प्रज्वलित किया जाता है। यह परंपरा सोमवार को शारदीय नवरात्र पर अभिजीत मुहूर्त में सुबह 11.36 से 12.24 बजे के मध्य निभाई जाएगी।

महामाया मंदिर ट्रस्ट के सचिव व्यासनारायण तिवारी ने बताया कि मंदिर के प्रधान पुजारी एवं मंदिर के बैगा के सानिध्य में सुबह महाआरती के पश्चात महाजोत प्रज्वलित की जाएगी। मंदिर में चकमक पत्थर की चिंगारी से जोत जलाने की यह परंपरा लगभग 200 साल से निभाई जा रही है। महाजोत का प्रज्वलन कुंवारी कन्या का हाथ लगाकर किया जाता है। राजधानी के 10 मंदिरों में ही 35 हजार से अधिक जोत का पंजीयन किया जा चुका है।

सबसे ज्यादा साढ़े 10 हजार से अधिक जोत महामाया मंदिर में प्रज्वलित होगी। इसके बाद दूसरे नंबर पर रावांभाठा स्थित बंजारी मंदिर में लगभग 10 हजार और तीसरे नंबर पर आकाशवाणी स्थित काली मंदिर में चार हजार जोत प्रज्वलित की जाएगी। इसके अलावा कुशालपुर के दंतेश्वरी मंदिर में 1100, ब्राह्मणपारा के कंकाली मंदिर में एक हजार, अमीनपारा के शीतला मंदिर में 700, रविशंकर यूनिवर्सिटी के बंजारी मंदिर में लगभग एक हजार जोत प्रज्वलित होगी। 10 से अधिक मंदिरों में 35 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने पंजीयन करवाया है।

शांति सरोवर में नौ देवियों की चैतन्य झांकी
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय द्वारा विधानसभा मार्ग पर स्थित शांति सरोवर में नौ देवियों की चैतन्य झांकी सजाई जाएगी। प्रतिदिन शाम छह से रात्रि 10 बजे तक चैतन्य देवियों का दर्शन किया जा सकेगा।
लगभग 400 पंडाल में विराजेंगी देवी प्रतिमा

70 वार्ड में लगभग 400 पंडालों में देवी दुर्गा की पांच से लेकर 12 फीट तक की प्रतिमाएं विराजित की जाएगी। पंडालों में सुबह-शाम जसगीत मंडलियों की प्रस्तुति होगी। नवरात्र की पूर्व संध्या पर गाजे-बाजे के साथ अनेक पंडालों में प्रतिमाएं लाई गई। सोमवार को सुबह से रात तक शुभ मुहूर्त में विधिवत प्रतिष्ठापित की जाएगी।

घट स्थापना का शुभ मुहूर्त
अमृत योग – सुबह 6.20 से 7.55 बजे
शुभ – सुबह 9.25 से 10.55 बजे
अभिजीत मुहूर्त – सुबह 11.36 से 12.34 बजे
नवरात्र की प्रमुख तिथि
कलश स्थापना – 26 सितंबर
पंचमी तिथि – 30 सितंबर, कलश जोत को आगे चढ़ाना, सौभाग्य साड़ी श्रृंगार
अष्टमी हवन – तीन अक्टूबर, सुबह – 10 बजे से
कन्या भोज – तीन अक्टूबर को कन्या भोज एवं भोग प्रसादी वितरण
जोत विसर्जन – चार अक्टूबर जोत कलश, प्रतिमा विसर्जन

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