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रक्षाबंधन की खुशियां मातम में बदली: सड़क हादसे में पति-पत्नी की मौत, 2 साल की मासूम घायल…

राजिम। राजिम के पाण्डुका-जतमई मार्ग पर रक्षाबंधन के दिन एक दर्दनाक सड़क हादसे ने परिवार की खुशियों को मातम में बदल दिया। बाइक सवार दंपति मनोज पटेल (30) और उनकी पत्नी मनीषा पटेल (27) की तेज रफ्तार इको वाहन की टक्कर से मौत हो गई। जबकि उनकी दो साल का बच्ची गंभीर रूप से घायल हो गई है, जिसका अस्पताल में इलाज जारी है।

 

 

जानकारी के मुताबिक, घटना शाम 5 बजे की बताई जा रही है। धमतरी जिले के बारना गांव के रहने वाले मनोज की पत्नी मनीषा अपने भाई को राखी बाँधने रायपुर आई थी, जिसके बाद मनीष खट्टी गांव में रहने वाली अपनी बहन के घर राखी बंधवाने के लिए जा रहे थे। इस दौरान एक इको वैन ने पहले एक अन्य मोटरसाइकिल सवार को टक्कर मारी। इसके बाद उसने पटेल दंपत्ति की बाइक को जोरदार ठोकर मारी, जिससे वे घसीटते हुए सड़क किनारे खेत में जा गिरे। इस दौरान मनीषा की गोद में सो रही उनकी दो साल की बच्ची खेतों के बीच कहीं गिर गई, जिसे राहगीरों ने बचाकर अस्पताल पहुंचाया।

 

 

इकलौते भाई थे मनीष

मनोज अपनी बहन के इकलौते भाई थे। इस हादसे ने न केवल एक परिवार को तबाह कर दिया बल्कि एक बहन को उसके इकलौते भाई और एक भाई को उसकी बहन को हमेशा के लिए खोना पड़ा।

 

हादसे के बाद चालाक मौके से हुआ फरार

प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, हादसे के बाद इको चालक और उसके साथ मौजूद लोग वाहन को वहीं छोड़कर मौके से फरार हो गए। इस बीच, मौके पर मौजूद पाण्डुका पुलिस के जवानों ने घायलों को अपने पीसीआर वाहन से अस्पताल पहुंचाया।

 

गौरतलब है कि पाण्डुका-जतमई मार्ग पर आए दिन सड़क हादसे हो रहे है, जिनमें कई लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। सड़क चौड़ी होने से जहां आवागमन में सुविधा मिली है, वहीं तेज रफ्तार और शराब के नशे में वाहन चलाने के कारण हादसों की संख्या बढ़ गई है। कई बार ऐसे हादसे सामने आते हैं जिनमें लोग दूसरों को घायल करते हैं या खुद मौत का शिकार हो जाते हैं।

 

पाण्डुका प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बनकर रह गया रेफर सेंटर

 

सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि पाण्डुका का प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सिर्फ एक रेफर सेंटर बनकर रह गया है, क्योंकि वहां न तो कोई डॉक्टर मौजूद रहता है और न ही कोई कर्मचारी। इसके अलावा, यहां तैनात 108 एम्बुलेंस भी खराब हालत में है और घायलों को सुविधा देने में असमर्थ है। संजीवनी 108 गाड़ी खुद ही खराब हालत में होने के कारण लोग इसे बुलाने की बजाय अपने निजी साधनों से अस्पताल जाना पसंद करते हैं।

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