Trending Nowक्राइम

दुष्कर्म के दोषी को 24 घंटे के भीतर ही दे दी गई थी सजा, जानिए कैसे हुआ यह संभव

अररिया:देश की अदालतों में लंबित मुकदमों की सुनवाई के लिए महीनों से लेकर वर्षों तक इंतजार करना पड़ता है। तारीख पर तारीख जहां हमारी न्याय व्यवस्था की पहचान बन गई है वहीं बिहार की एक अदालत ने ऐसी मिशाल पेश की है जिसे सुनकर हर कोई दंग है। दरअसल, बिहार में अररिया जिले की एक अदालत ने कुछ दिन पहले दुष्कर्म के दोषी को एक दिन में फैसला सुनाकर पूरे देश के लिए मिसाल कायम कर दी। जिला अदालत ने पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज मामले में सुनवाई करते हुए एक ही दिन में गवाही सुनने और बहस के बाद आरोपी को दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुना दी है। आइए जानते हैं यह कैसे हुआ संभव और क्या है इसकी इनसाइड स्टोरी…

पहले जानते हैं क्या है यह मामला
अररिया के नरपतगंज थाने में इसी साल की 23 जुलाई को एक आठ साल की नाबालिग के साथ दुष्कर्म का केस दर्ज किया गया था। केस की इन्वेस्टिगेटिव ऑफिसर रीता कुमारी ने 30 वर्षीय दिलीप कुमार यादव नाम के आरोपी को गिरफ्तार कर लिया और 18 सितंबर को कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी। कोर्ट ने 20 सितंबर को उसी महीने में मामले में संज्ञान लिया। 24 सितंबर को आरोप पत्र गठित हुआ और फिर मामले में 4 अक्तूबर को सुनवाई हुई। इसी दिन बहस हुई और आरोपी को उसी दिन सजा दे दी गई।

कुल 10 गवाह हुए पेश
अभियोजन पक्ष ने पीड़िता, उसके माता-पिता, भाई, दो डॉक्टर, एक सहायक नर्सिंग दाई, जांच अधिकारी और दो पड़ोसियों सहित 10 गवाह पेश किए। उन सभी की जांच की गई और उसी दिन जिरह की गई। सबसे बड़ी बात यह रही कि यादव के पक्ष में किसी ने गवाही नहीं दी। अदालत ने यादव को उम्रकैद की सजा देने के अलावा सरकार से पीड़िता को दो लाख रुपये देने का निर्देश दिया। इधर बिहार सरकार के गृह विभाग के अभियोजन निदेशालय ने दावा किया कि यह देश में POCSO अधिनियम के तहत सबसे तेज ट्रायल था। गृह विभाग ने कहा कि इसने 2018 में मध्य प्रदेश की एक अदालत द्वारा निर्धारित तीन दिनों में एक फैसले के रिकॉर्ड को तोड़ दिया।

ऐसे हुआ केस मजबूत
समाचार पत्र ‘इंडियन एक्सप्रेस’ की रिपोर्ट के अनुसार लोक अभियोजक श्याम लाल यादव ने  कहा कि हमारे पास एक बहुत मजबूत मामला था, जिसमें लड़की की मेडिकल रिपोर्ट और खून से सने कपड़े निर्णायक रूप से साबित करते थे कि उसके साथ दुष्कर्म किया गया था। किशोरी ने आरोपी की पहचान कर ली थी। सभी गवाहों ने हमारे मामले में मदद की। उन्होंने कहा कि चार अक्तूबर को सुबह 9.30 बजे सुनवाई शुरू होने के समय से चीजें तेजी से आगे बढ़ीं। सभी गवाहों की जांच के बाद और अभियोजन और बचाव पक्ष ने अंतिम तर्क दिए, अदालत ने सजा सुनाई। यह पूरे दिन की सुनवाई थी और फैसला शाम पांच बजे तक आ गया।

बचाव पक्ष के वकील ने दी अजीब दलील
बचाव पक्ष के वकील प्रकाश का कहना है कि उन्होंने यह तर्क देने की कोशिश की कि लड़की के गुप्तांगों में चोट तब लगी होगी जब वह बांस की झाड़ियों के बीच खुले में शौच कर रही थी। वहीं एक मेडिकल रिपोर्ट में कहा गया है कि उसका हाइमन टूट गया था और उसके गुप्तांगों पर गंभीर चोटें आई थीं। बचाव पक्ष ने इसके अलावा  बचाव पक्ष ने दलील देते हुए कहा था कि प्राथमिकी स्पष्ट नहीं है कि हमला कहां हुआ था। बचाव पक्ष के वकील ने बताया कि अभियोजन द्वारा प्रकट की गई घटना के समय में एक विरोधाभास है। साथ ही पीड़िता द्वारा अदालत के समक्ष दिए गए बयान में भी विरोधाभास है।

लड़की ने आरोपी की पहचान कर ली थी
जांच अधिकारी रीता कुमारी का कहना है कि लड़की द्वारा यादव की पहचान करने के बाद, उनके पास किसी और पर संदेह करने का कोई कारण नहीं था। यादव को एक हफ्ते के भीतर गिरफ्तार कर लिया गया। पीड़िता ने उसकी पहचान की। आरोपी ने मामले को ‘प्रबंधित’ करने के लिए पीड़ित के परिवार को पैसे देने की कोशिश की, लेकिन सफल नहीं हुआ। वहीं लोक अभियोजक श्याम लाल ने कहा कि डीएनए परीक्षण की कोई आवश्यकता नहीं थी क्योंकि लड़की ने यादव की पहचान कर ली थी।

दोषी के परिवार ने भी किया किनारा
दोषी यादव की ओर से किसी के सामने नहीं आने पर सरकार द्वारा नियुक्त बचाव पक्ष के वकील विनीत प्रकाश ने कहा कि मैं जेल में दो बार दिलीप से मिला। उन्होंने कहा कि जब उनका परिवार उनका समर्थन नहीं कर रहा है, तो उन्हें उनके भाग्य पर छोड़ दिया जाना चाहिए। फिर भी, मैंने बचाव करने के लिए पूरी कोशिश है।

Advt_07_002_2024
Advt_07_003_2024
Advt_14june24
july_2024_advt0001
Share This: