
मुंबई। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर बनी एक फिल्म को देखने के बाद उच्च न्यायालय सेंसर बोर्ड को इसे प्रमाणित करने संबंधी निर्देश जारी करेगा। सेंसर बोर्ड ने इस फिल्म को प्रमाणित करने से इनकार कर दिया है।
‘द मॉन्क – हू बिकेम चीफ मिनिस्टर’ पुस्तक से प्रेरित इस फिल्म को केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) ने प्रमाणित करने से इनकार कर दिया है और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कार्यालय से अनापत्ति प्रमाण पत्र न मिलने सहित कई और आपत्तियां उठाई हैं।
25 अगस्त को अगली सुनवाई
न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति नीला गोखले की पीठ ने गुरुवार को कहा कि वह फिल्म देखने के बाद फिल्म निर्माताओं की याचिका पर फैसला करेगी। अदालत ने निर्माताओं को फिल्म की एक प्रति प्रस्तुत करने का निर्देश दिया, जिसमें उन दृश्यों या अंशों को स्पष्ट रूप से अंकित किया जाए जिन पर सीबीएफसी ने आपत्ति जताई है। मामले की अगली सुनवाई 25 अगस्त को होगी। जिस पुस्तक पर यह फिल्म आधारित है उसकी एक प्रति पहले ही अदालत में प्रस्तुत की जा चुकी है।
फिल्म निर्माताओं की ओर से पेश हुए अधिवक्ता रवि कदम, सत्य आनंद और निखिल अराधे ने तर्क दिया था कि उच्च न्यायालय उनकी याचिका पर फैसला कर सकता है।
वरिष्ठ वकील कदम ने तर्क दिया कि सीबीएफसी पुनरीक्षण समिति द्वारा प्रमाणन देने से इनकार करने से न केवल फिल्म निर्माताओं के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ है, बल्कि बोर्ड ने एक निजी व्यक्ति (आदित्यनाथ) से एनओसी लाने का निर्देश देकर अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर काम किया है। उन्होंने कहा सेंसर बोर्ड किसी निजी व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का संरक्षक नहीं है।