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विशेष : छत्तीसगढ़ की कला और संस्कृति को पहचान दिलाने मुख्यमंत्री कर रहे कार्य, पत्र के जरिए रखी अन्य राज्यों के मुखियाओं से शासकीय भूमि की मांग

रायपुर।छत्तीसगढ़ के मुखिया डॉ. भूपेश बघेल ने देश के अन्य राज्य के मुख्यमंत्रियों को लेटर लिखकर, उनसे अनुरोध किया कि, उनके प्रदेश में भी छत्तीसगढ़ की परंपरा और आदिवासी संस्कृति को दिखाने के लिए 2 एकड़ भूमि प्रदान की जाए। इन 2 एकड़ भूमि में छत्तीसगढ़ संस्कृति केंद्र खोले जाएंगे। इन केंद्रों में छत्तीसगढ़ी लोगो के निवास की व्यवस्था की जाएगी और छत्तीसगढ़ की कला संस्कृति को दूसरे राज्यों में दिखाया जायेगा।

छत्तीसगढ़ के मुखयमंत्री डॉ. भूपेश बघेल, लगातर हमारी संस्कृति को अलग पहचान दिलाने और अन्य राज्यों तक फैलाने की कोशिश कर रहे हैं, जिसके लिए वे अनेकों कार्य कर रहे हैं। इसी कड़ी में उन्होंने एक और योजना की शुरुवात की है, जिसे छत्तीसगढ़ कल्चर कनेक्ट योजना का नाम दिया गया है। इस योजना का एक ही उद्देश्य है कि, हमारी छत्तीसगढ़ की और आदिवासी संस्कृति को देश के हर कोने तक पहुंचाया जाए। इसके लिए प्रदेश के मुखिया ने अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों से संपर्क कर छत्तीसगढ़ संस्कृति केंद्र खोलने की बात कही। साथ ही इन केंद्रों में छत्तीसगढ़ियों के लिए रहने की जगह की भी बात की। इससे, राज्य से बाहर जो लोग खाने-कमाने गए हुए उनके लिए भी यह काफी सुविधाजनक होगा। साथ ही अन्य राज्यों में हमारी संस्कृति का प्रसार होगा।

दरअसल, मुख्यमंत्री डॉ. भूपेश बघेल ने इस योजना की शुरुवात की। इसके लिए उन्होंने देश के अन्य राज्य के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर, उनसे अनुरोध किया कि, उनके प्रदेश में भी छत्तीसगढ़ की परंपरा और आदिवासी संस्कृति को दिखाने के लिए 2 एकड़ भूमि प्रदान की जाए। इन 2 एकड़ भूमि में छत्तीसगढ़ संस्कृति केंद्र खोले जाएंगे। यहां पर खुलने वाले छत्तीसगढ़ संस्कृति केंद्र में आदिवासी परंपरा, रहन सहन, शिल्प कला आदि छत्तीसगढ़ी संस्कृति का प्रदर्शन किया जाएगा। इन केंद्रों में छत्तीसगढ़ी लोगो के निवास की व्यवस्था की जाएगी और छत्तीसगढ़ की कला संस्कृति को दूसरे राज्यों में दिखाया जायेगा।

क्या इस योजना का उद्देश्य
छत्तीसगढ़ कल्चरल कनेक्ट योजना का एकमात्र उद्देश्य यही है कि, छत्तीसगढ़ के आदिवासी संस्कृति को देश के हर एक कोने में पहुंचाया जाए। इस योजना से अप्रत्यक्ष रूप से नवीनतम रोजगार का भी सृजन होगा। इसके साथ साथ छत्तीसगढ़ी आदिवासी शिल्प कला का व्यापार भी बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है। इसके अलावा देश के अन्य राज्यों के नागरिक भी छत्तीसगढ़ की संस्कृति, पुरातत्व और पर्यटन स्थलों से जुड़ी जानकारी जान सकेंगे, इससे हमारे पर्यटन स्थलों का भी प्रसार-प्रचार होगा।

इन्हें लिखें गए पत्र
वहीं, मुख्यमंत्री डॉ. भूपेश बघेल ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से ऋषिकेश, गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र भाई पटेल से गिरनार एवं सोमनाथ, ओड़िसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से पुरी में, आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री वाय.एस. जगनमोहन रेड्डी से तिरूपति में, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से शिरडी में, झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से देवघर में, उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदिनाथ से वाराणसी, अयोध्या, प्रयागराज एवं मथुरा में, पत्र लिखकर दो एकड़ शासकीय भूमि आबंटित करने की बात कही है।

अनेकता में एकता ही हमारी सबसे बड़ी शक्ति एवं धरोहर है
मुख्यमंत्री डॉ. भूपेश बघेल ने पत्र में लिखा है कि, भारत में विभिन्न भाषाओं, जातियों, धर्मों तथा संस्कृतियों के लोग एक साथ रहते है। अनेकता में एकता ही हमारी सबसे बड़ी शक्ति एवं धरोहर है। विभिन्न संस्कृतियों के परस्पर आदान-प्रदान की प्रक्रिया की निरंतरता ने हमारे राष्ट्र को एकजुट रखने एवं शक्तिशाली बनाने में सहायता प्रदान की है। छत्तीसगढ़ की सरकार ने ’’छत्तीसगढ़ कल्चर कनेक्ट’’ नामक योजना प्रारंभ करने का निर्णय लिया है। देश के विभिन्न भागों में स्थित राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर के सांस्कृतिक महत्व के स्थानों में छत्तीसगढ़ के लोगों के भ्रमण एवं निवास हेतु ’छत्तीसगढ़ संस्कृति केन्द्रों’ की स्थापना की जाये। इन केन्द्रों के माध्यम से राज्य वासियों को न केवल देश की सांस्कृतिक बहुलता की जानकारी प्राप्त होगी बल्कि उन स्थानों पर छत्तीसगढ़ राज्य की संस्कृति, पुरातत्व एवं पर्यटन स्थलों की जानकारी दिये जाने के साथ ही छत्तीसगढ़ के परंपरागत हस्तशिल्प उत्पादों की भी अन्य राज्यों एवं देशों से आने वाले पर्यटकों को जानकारी मिल सकेगी।

इस कारण रुका हुआ है कार्य
वहीं, इस योजना के तहत हमारे प्रदेश के मुखिया ने देश के अलग-अलग राज्यों के मुख्यमंत्रियों को छत्तीसगढ़ कल्चरल कनेक्ट योजना के बारे में पत्र लिखे हैं, लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं मिलने के कारण कार्य रुका हुआ है। कोई जवाब मिलने के बाद ही कार्य शूरु हो पायेगा। इसके अलावा जिन राज्यों से मंजूरी मिल जाएगी वहां पर छत्तीसगढ़ की संस्कृति को दिखाने के लिए कौन जाने के लिए पात्र होगा, इसकी भी जानकारी आने वाले समय में दी जाएगी। फिलहाल इस योजना के तहत अभी कोई हेल्पलाइन नंबर जारी नहीं किया। किंतु आने वाले समय में हेल्पलाइन नंबर से जुड़ी जानकारी भी दी जाएगी।

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