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विशेष : राज्य सरकार की जनहितकारी अभियान का दुरस्त वनांचल की जनता को मिल रहा लाभ, घर पहुंच हो रहा मलेरिया की जांच, मरीजों एपीआई इंडेक्स घटकर हुआ 11%

Special: The people of Vananchal are getting the benefit of the public welfare campaign of the state government, Malaria test is reaching home, API index of patients decreased by 11%

रायपुर। मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान के चलते मलेरिया का संक्रमण प्रदेश के दुरुस्त वन्य क्षेत्रों और ग्रामीणों से बहुत कम हो गया है और मौत के आंकड़े भी ना के बराबर होने लगे हैं। बता दें कि, मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान के तहत स्वास्थ्य विभाग द्वारा 782 दल का गठन किया गया है। साथ ही इस दल को ग्राम, विकासखण्ड स्तर और जिला स्तर पर भी प्रशिक्षित किया गया है।

छत्तीसगढ़ राज्य सरकार की मलेरिया मुक्त अभियान के तहत राज्य के दुरस्त वन्य क्षेत्रों में मलेरिया से सुरक्षा के लिए विभिन्न उपाय किए जा रहे है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में मलेरिया की बीमारी से काफी राहत मिली है। फ़िलहाल अभी इस अभियान सातवां चरण चल रहा है, इसकी शुरुवात 1 दिसम्बर 2022 को हुई। इसके तहत एपीआई इंडेक्स 37% से घटकर 11 परसेंट हो चुका है। इस अभियान की वजह से मलेरिया का संक्रमण प्रदेश के दुरुस्त वन्य और ग्रामीणों से बहुत कम हो गया है और मौत के आंकड़े भी ना के बराबर होने लगे हैं। बता दें कि, मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान के तहत स्वास्थ्य विभाग द्वारा 782 दल का गठन किया गया है। साथ ही इस दल को ग्राम, विकासखण्ड स्तर और जिला स्तर पर भी प्रशिक्षित किया गया है। यह दल जिले के सभी ग्राम स्तर के प्रत्येक घर घर जाकर मलेरिया टेस्ट करेगी। वहीं, मलेरिया पॉजिटिव व्यक्तियों को मौके पर दवाएं भी उपलब्ध कराई जाएगी।

इस अभियान के अंतर्गत घर-घर जाकर जांच के लिए गठित की गई दलों में, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, स्वास्थ्य पर्यवेक्षकों, मितानिन प्रशिक्षकों, सीएचओ मितानिनों एवं टीबी मितान शामिल है। इस अभियान के तहत आरडी किट के माध्यम से मलेरिया की जांच की जा रही है। साथ ही पॉजिटिव पाए जा रहे लोगों को स्थानीय स्तर पर उपलब्ध खाद्य पदार्थ खिलाकर तत्काल मलेरिया के इलाज के लिए दवाई का सेवन कराया जा रहा है। इसके साथ ही टीबी के लक्षणों के आधार पर संभावित मरीजों की भी स्क्रीनिंग की जा रही है तथा इसकी दवाई लेने वाले मरीजों की लाइन लिस्ट भी तैयार की जा रही है। जांच में, टीबी पॉजिटिव पाए जाने पर एनटीईपी स्टॉफ के सहयोग से मरीज का त्वरित उपचार प्रारंभ किया जाता है।

क्या है इस अभियान का उद्देश्य –

इस अभियान का उद्देश्य मलेरिया को खत्म करना है और कुपोषण जैसी चुनौतियों का भी उपाय ढूंढना है। बस्तर और छत्तीसगढ़ के दूरदराज एवं अंदरूनी इलाकों में गर्भवती महिलाओं बच्चों और मलेरिया से संक्रमित लोगों का उपचार उन्हें दवाइयां पहुंचाना और उनके कुपोषण का इलाज भी अच्छे से करना इस अभियान का उद्देश्य के अंतर्गत है। इस अभियान के तहत मलेरिया की जांच और इलाज के साथ ही इससे बचाव के लिए जन-जागरूकता संबंधी गतिविधियां भी चलाई जा रही है। इस दौरान लोगों को रोज मच्छरदानी के प्रयोग के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। साथ ही घरों के आसपास जमे पानी और नालियों में डीडीटी या जले हुए तेल का छिड़काव किया जाएगा। इसके अलावा घरों के आस-पास स्वच्छता बनाए रखने और मच्छरों को पनपने से रोकने के उपाय भी लोगों को बताए जाएंगे।

मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान को सफल बनाने में जनसहभागिता जरूरी –

वहीं, इसकी सावधानी के लिए छत्तीसगढ़ महामारी नियंत्रण के संचालक डॉ. सुभाष मिश्रा ने बताया कि, अगर तेज बुखार, बदन दर्द, सिरदर्द, उल्टी, ठंड लगने, चक्कर आने, शरीर पर दाने दिखने, नाक से खून आने जैसे लक्षण होने पर तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में जाकर जांच करवाये, ताकि शीघ्र बेहतर उपचार किया जा सके। साथ ही उन्होंने लोगों से अपील की है कि, वे मच्छरों से बचाव के लिए मच्छरदानी लगाकर सोने की आदत डालें और मच्छर न पनप सके, इसके लिए घर के आसपास साफ-सफाई रखने की बात कही। वहीं, कलेक्टर हरिस एस. ने मलेरिया टेस्ट करवाकर, सुकमा जिले में इस अभियान को प्रारंभ किया है। उन्होंने अमजनों से अपील करते हुए कहा कि, मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान को सफल बनाने के लिए हम सभी की सहभागिता जरूरी है। सुकमा को मलेरिया मुक्त बनाने के लिए इस अभियान में अपना सहयोग करें और अनिवार्य रूप से मलेरिया जांच करवाएं। साथ ही अभियान में संलग्न मैदानी कर्मचारियों, स्वास्थ्य अमलों का सहयोग करते हुए दूसरों को भी मलेरिया टेस्ट करवाने हेतु प्रेरित करें। कलेक्टर ने मलेरिया से बचने के लिए रात को सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करने तथा मलेरिया के लक्षण दिखने पर नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र में जांच कराने की अपील की।

घर-घर पहुंच, की जा रही जांच –

मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान के तहत स्वास्थ्य विभाग द्वारा 782 दल का गठन किया गया है। साथ ही इस दल को ग्राम, विकासखण्ड स्तर और जिला स्तर पर भी प्रशिक्षित किया गया है। यह दल जिले के सभी ग्राम स्तर के प्रत्येक घर-घर जाकर मलेरिया टेस्ट करती है और वहीं, मलेरिया पॉजिटिव व्यक्तियों को मौके पर दवाएं भी उपलब्ध कराई जाती है। साथ ही इस अभियान के तहत स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिले भर में घर-घर जाकर मलेरिया जांच किया जाता है। इसके साथ ही मलेरिया जांच हेतु आमजन को जागरूक करने के लिए स्कूली बच्चों, मितानिनों, स्वास्थ्य कर्मियों, कार्यकर्ताओं ने रैली निकाली और ‘‘पानी पीओ छान के-सोओ मच्छरदानी तान के’’ ‘‘गंदगी को भगाना है-मलेरिया मुक्त सुकमा बनाना है’’ के नारों के साथ जागरूकता का संदेश दिए गए।

सालाना मिलने वाले मलेरिया के मरीजों की संख्या में आई बड़ी कमी –

वहीं, बता दें कि, मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान के प्रथम चरण में 64 हज़ार 646 मलेरिया केस दर्ज किए गए थे, वहीं, छठवे चरण में केवल 7 हज़ार 170 केस पाए गए हैं, जिनका तुरंत इलाज किया गया। वहीं, इससे पहले मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान के नाम से संचालित इस अभियान में प्रति एक हजार की आबादी में सालाना मिलने वाले मलेरिया के मरीजों की संख्या में बड़ी कमी आई है। इस अभियान में स्वास्थ्य कर्मियों ने घने जंगलों और पहाड़ों से घिरे बस्तर के दुर्गम एवं दूरस्थ इलाकों में घर-घर पहुंचकर सभी लोगों की आरडी किट से मलेरिया की जांच की और संक्रमितों की स्थानीय स्तर पर उपलब्ध खाद्य पदार्थ खिलाकर तत्काल मलेरिया का इलाज शुरू किया गया। इसके आलावा डॉ. सुभाष मिश्रा ने बताया कि, बस्तर संभाग में साल 2018 से साल 2021 तक कुल 27 लाख 11 हजार 560 एवं अन्य मलेरिया संवेदनशील जिलों में 63 लाख 84 हजार 50 मच्छरदानियों बांटी गई। वहीं, साल 2018 से 2022 तक सुकमा जिले में 1 लाख 47 हजार 331, बीजापुर 1 लाख 77 हजार 885, बस्तर 7 लाख 77 हजार 729 , दंतेवाड़ा 2 लाख 83 हजार 200 , नारायणपुर 86 हजार 609, कोंडागांव 4 लाख 75 हजार 696 , कांकेर 7 लाख 63 हजार110 मच्छरदानियों को बांटा गया।

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