विशेष : मछली पालन को कृषि का दर्जा मिलने से जनता को मिल रहा लाभ, मछुवारों के साथ-साथ स्व सहायता समूह की महिलाओं को भी मिला रोजगार का मार्ग, आर्थिक स्थिति में हुआ सुधार

Special: Due to the status of agriculture to fish farming, the public is getting benefits, along with fishermen, women of self-help groups also got employment, economic condition improved
रायपुर। मछली पालन से न सिर्फ मछुवारों को बल्कि स्व-सहायता समूह की महिलाओं को भी लाभ मिल रहा है। इससे न सिर्फ उन्हें आय का नया मार्ग मिला बल्कि इसके माध्यम से वे लाखों रुपए आय अर्जित कर रही है। इसके अलावा इस योजना के तहत अब मछली पालन करने वाले किसानों का किसान क्रेडिट कार्ड भी बनाया जाता है, जिससे उन्हें लोन में भी सुविधाएं मिल रही है।
छत्तीसगढ़ राज्य सरकार के कल्याणकारी पहल से आज प्रदेश में मछली पालन करने वालों को भी कृषक की उपाधि मिली है। इसके माध्यम से अब मछली पालन करने वालों को भी लोन और अन्य सुविधाएं मिलेगी। साथ ही कृषि की तरह ही बिना ब्याज के लोन मिलेगा। ऐसे में मछली पालन के व्यवसाय को बढ़ावा मिलेगा और साथ ही किसानों की आर्थिक समस्या का हल भी मिलेगा। वहीं, इससे न सिर्फ मछुवारों को बल्कि स्व सहायता समूह की महिलाओं को भी लाभ मिल रहा है। इससे न सिर्फ उन्हें आय का मार्ग मिला बल्कि इसके माध्यम से वे लाखों रुपए आय अर्जित कर रही है। इसके अलावा इस योजना के तहत अब मछली पालन करने वाले किसानों का किसान क्रेडिट कार्ड भी बनाया जाता है। जिसके माध्यम से वे लोन ले सकते हैं। बता दें कि, इस कल्याणकारी पहल की घोषणा 20 जुलाई 2021 को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में कैबिनेट बैठक में हुई, जिसके लिए विधानसभा की बैठक में प्रावधान तैयार कर, बजट भी बनाया गया।
दरअसल छत्तीसगढ़ तालाबों और जलाशयों की भूमि है। छत्तीसगढ़ में कृषि के साथ अधिकांश किसान मछली पालन का काम भी करते हैं। ऐसे मछली पालक किसानों को राज्य सरकार की ओर से बिना ब्याज के लोन दिया जाएगा। इसे लेकर कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने विधानसभा की बैठक के दौरान कहा कि, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में किसानों के हित में लगातार कार्य किए जा रहे हैं। किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए मछली पालन को कृषि का दर्जा दिया जाना है, इसके लिए बजट में प्रविधान किया गया है। साथ ही कृषि बजट में गतवर्ष की तुलना में 13 प्रतिशत की वृद्धि की गई है।
मछली पलान करने वाले किसानों को मिल रहा सस्ता लोन –
छत्तीसगढ़ में फसलों के साथ-साथ मछली पालन भी व्यवसाय का एक अहम् हिस्सा माना जाता है। यह आय का काफी अच्छा माधयम माना जाता है। छत्तीसगढ़ की अधिकांश जनता मतस्य पालन करती है। साथ ही मछली पालक किसानों को राज्य सरकार की ओर से बिना ब्याज के लोन दिया जा रहा है। इससे मछली पलान करने वाले किसानों को सस्ता लोन मिल रहा है। इसके तहत छत्तीसगढ़ में मत्स्यपालन करने वाले किसानों को अब सहकारी विभाग से शून्य प्रतिशत ब्याज पर लोन दिया जा रहा है। वहीं, अब किसान मछली पालन के लिए किसान किसी भी बैंक से किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) बना सकते हैं। इसके अलावा नई नई तकनीकों से मत्स्य पालन करने वाले मछुआरों 40 फीसदी तक सब्सिडी भी दी जा रही है। आज छत्तीसगढ़ मछली पालन के क्षेत्र 6वें स्थान पर है।
मत्स्य उत्पादन में हुई 29% की वृद्धि –
वहीं, छत्तीसगढ़ मत्स्य बीज उत्पादन में पांचवें और मत्स्य उत्पादन में देश के छठवें स्थान पर हैं। प्रदेश में पिछले चार सालों में मत्स्य बीज उत्पादन में 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। साथ ही मछली पालन करने वाले किसानों को 40 से 60 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जा रही है। इससे राज्य में मत्स्य उत्पादन में 29 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और यह अब बढ़कर 5.91 लाख टन हो गया है। राज्य में पिछले चार वर्षों में मछली पालन के लिए 2400 से ज्यादा तालाब बनाए जा चुके हैं। इसी के साथ जलाशयों और बंद पड़ी खदानों में अतिरिक्त और सघन मछली उत्पादन के लिए छह बाय, चार बाय चार मीटर के केज स्थापित करवाए गए है। चार वर्षों में 3637 केज स्थापित हुए हैं। इस केज से प्रत्येक हितग्राही को 80 हजार से 1.20 लाख रूपए तक आय होती है। प्रदेश में चार सालों में छह फीड भी निजी क्षेत्रों में स्थापित हो चुके हैं।
विद्युत शुल्क से मिली राहत –
बता दें कि, छत्तीसगढ़ में 30 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई बांधों एवं जलाशयों से नहर के माध्यम से जलापूर्ति आवश्यकता पडती थी, जिसके लिए मत्स्य कृषकों एवं मछुआरों को प्रति 10 हजार घन फीट पानी के बदले 4 रूपये का शुल्क अदा करना पड़ता था, जो अब वर्तमान में फ्री है। वहीं, मत्स्य पालक कृषकों एवं मछुआरों को प्रति यूनिट 4.40 रूपये की दर से विद्धुत शुल्क भी अदा नहीं करना होगा। सरकार के इस फैसले से मत्स्य उत्पादन की लागत में प्रति किलो लगभग 10 रूपये की कमी आई, जिसका सीधा फायदा मत्स्य पालन व्यवसाय से जुड़े हुए लोगों को मिल रहा है। इसके अलावा मछली पालन पर 6.60 लाख रु. तक अनुदान राज्य सरकार मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए अनुदान उपलब्ध कराती है | सरकार इसके लिए सामान्य वर्ग के मत्स्य कृषकों को अधिकतम 4.40 लाख रूपये तथा अनुसूचित जाति जनजाति एवं महिला वर्ग के हितग्राहियों को 6.60 लाख रूपये तक का अनुदान दिया जाता है।
इस योजना से इन्हें मिला रोजगार का मार्ग –
वहीं, सरगुजा जिले के ग्राम पंचायत कुंवरपुर में एकता स्व सहायता समूह की अध्यक्ष मानकुंवर पैकरा ने इस मामले में जानकरी देते हुए बताया कि, केज कल्चर विधि से मछली पालन के लिए मत्स्य विभाग से तकनीकी मार्गदर्शन मिला, जिसके माध्यम से उन्होंने तिलापिया और पंगास मछली का पालन शुरू किया। इसके माध्यम से उनके समूह ने लगभग 10 माह पहले मछली पालन करना शुरू किया था। अब तक लगभग 17 लाख रुपये की मछली बेच चुके हैं।इससे उनके स्व-सहायता समूह की सभी महिलाओं की आर्थिक स्थति में काफी सुधार हुआ है। उन्होंने बताया कि, इस योजना से उन्हें 18 लाख का अनुदान दिया गया था। इसके पश्चात उनके कार्य को देखते हुए कलेक्टर कुंदन कुमार ने डीएमएफ से उन्हें 12 लाख का अनुदान प्रदान किया। इन अनुदान से उन्होंने कुंवरपुर जलाशय में केज कल्चर मछली पालन का कार्य किया। साथ ही उन्होंने कहा कि, सरकार की कल्याणकारी योजना से उन्हें रोजगार का जरिया मिला, जिसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को धन्यवाद दिया।