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तो राजस्थान भाजपा में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने भी बदल ही है अपनी रणनीति

 

So in Rajasthan BJP, former Chief Minister Vasundhara Raje has also changed her strategy.

नई दिल्ली। पर्यटन और धार्मिक स्थल माउंट आबू में 10 जुलाई से राजस्थान भाजपा का तीन दिवसीय प्रशिक्षण शिविर शुरू हुआ। इस शिविर में प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी शामिल हो रही है। शिविर के समापन पर 12 जुलाई को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी उपस्थित रहेंगे। तीन दिन के शिविर में करीब 15 सत्र होंगे। प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया से लेकर प्रभारी महासचिव अरुण सिंह तक शिविर में मौजूद हैं। भाजपा में संगठन की दृष्टि से ऐसे प्रशिक्षण शिविर होते रहते हैं, लेकिन ऐसे राजनीतिक आयोजनों में हमेशा पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की उपस्थिति चर्चा का विषय रही। पूर्व में राजे प्रदेश स्तरीय शिविर में उपस्थित नहीं होती थीं। इधर राजे की गैर मौजूदगी तो उधर समर्थक विधायक राजे को ही विधानसभा में मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने की मांग करते रहे। राजे ने भी कई मौकों पर यह दिखाने का प्रयास किया कि भाजपा में उनका दबदबा है। ऐसी गतिविधियों से ही यह माना जाता रहा है कि वसुंधरा राजे संगठन से नाराज हैं। लेकिन पिछले कुछ दिनों से राजे ने अपनी रणनीति में बदलाव कर लिया है। अब वे भाजपा संगठन के अधिकांश कार्यक्रमों में शामिल हो रही है। दिल्ली से आने वाले नेताओं के स्वागत सत्कार के लिए भी राजे एयरपोर्ट और भाजपा कार्यालय पर पहुंचती हैं। 9 जुलाई को ही केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के जयपुर आगमन पर राजे सुबह एयरपोर्ट पहुंची तो शाम को भाजपा मुख्यालय पहुंच कर शाह का स्वागत किया। इतना ही नहीं, अब कोई समर्थक विधायक व नेता राजे को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने की मांग भी नहीं कर रहा है। बदली हुई रणनीति से यह प्रदर्शित हो रहा है कि वसुंधरा राजे पूरी तरह संगठन के साथ हैं। इस बदली हुई रणनीति का राजे को कितना फायदा होगा, यह आने वाला समय ही बताएगा।

किसी एक नेता के साथ निकटता नहीं दिखाई:

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह 9 जुलाई को एक दिवसीय दौरे पर जयपुर में रहे। हालांकि शाह का यह दौरा पूरी तरह से सरकारी था, लेकिन उत्तर क्षेत्रीय परिषद की बैठक संपन्न होने के बाद अमित शाह कुछ समय के लिए भाजपा मुख्यालय पर भी गए। शाह ने भाजपा मुख्यालय जाने का निर्णय प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के आग्रह पर लिया। लेकिन भाजपा मुख्यालय में शाह ने किसी भी भाजपा नेता के साथ अधिक निकटता नहीं दिखाई। संक्षिप्त बैठक में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे, प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया, राजेंद्र राठौड़ आदि भाजपा के नेता उपस्थित रहे, लेकिन शाह ने सभी के साथ समान व्यवहार किया। राजनीति में किसी बड़े नेता से मुलाकात का बहुत महत्व होता है। यदि बड़ा नेता किसी छोटे नेता के कंधे पर हाथ रख कर बात कर ले तो उसके भी राजनीतिक मायने निकाले जाते हैं। अमित शाह ने 8 जुलाई को भाजपा कार्यालय में जाकर इस बात को प्रदर्शित किया कि वे संगठन के साथ हैं। लेकिन वहीं उन्होंने यह भी जता दिया कि उनके लिए सभी नेता समान है।

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