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तिरछी नजर : मंत्री को सुरक्षित सीट की तलाश

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प्रदेश कांग्रेस ने कई निष्क्रिय और कमजोर छवि के विधायकों के टिकिट काटने का मन बना लिया है। सर्वे रिपोर्ट और मुख्यमंत्री के भेंट मुलाकात कार्यक्रम में भी इसका उल्लेख हो रहा है। खासकर अनुकंपा नियुक्ति में चल रहे नेताओं को दरकिनार कर नये लोगों को मौका दिये जाने के संकेत है। प्रदेश मंत्रीमंडल के एक अनसुचित जनजाति वर्ग के मंत्री ने आगामी चुनाव अपने पंरपरागत विधानसभा सीट से नहीं लडऩे का मन बना लिया है। यह अनिच्छा पार्टी के नेताओं के सामने भी अनौपचारिक बातचीत में प्रगट की है। नए-नए राजनीतिक में आये मंत्रीजी अपने जिले के एक सुरक्षित सीट पर नजर गड़ाए हुए हैं।

नाम वाला ही बदनाम होता है

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर इन दिनों बागेश्वर धाम सरकार के महराज पं धीरेन्द्र शास्त्री के प्रवचन और दिव्य दरबार से देशभर में सुर्खियों में है। पूरी नेशनल मीडिया का यहां जमावड़ा है। आयोजन स्थल पीपली लाइव बना हुआ है और महराज पूरा फुटेज बटोर रहे हैं। चर्चा है कि महराज के प्रचार-प्रसार के लिए बड़ी टीम काम कर रही है। यहां एक टीवी चैनल के पत्रकार के साथ महराज की सेटिंग की खूब चर्चा है। चैनल के इंटरव्यू और दिव्य दरबार में बुलाने को प्रायोजित मना जा रहा है। मामला एक्सक्लुसिव इंटरव्यू तक तो ठीक था, लेकिन दरबार में पत्रकार को बुलाने से चैनल और पत्रकार दोनों की आलोचनाएं हो रही है। खैर मामला जो भी लेकिन पत्रकार तो इस बात से खुश है कि नाम होता है, वही बदनाम होता है।
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रिकार्ड गायब लेकिन वेतन पूरा

सीएसआईडीसी में पिछले दिनों हुई एक घटना के बाद विभागीय तौर पर जांच पड़ताल चल रही है। इसमें कई चौकाने वाले जानकारी भी सामने आ रही है। एक अफसर का पिछले पांच साल का आफिस आने-जाने का रिकार्ड ही नहीं मिल रहा है और वेतन निकल रहा है। इसी तरह कुछ और अधिकारियों के राज खुलने की चर्चा ने विभाग में हडक़ंप मचा है।


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बड़े लोगों का बड़ा खेल
शहरी क्षेत्रों में भाजपा के बढ़ते प्रभाव और कांग्रेस को नुकसान होने की आशंका की चर्चाओं के चलते दो बड़े खेल हो गये। दरअसल कांग्रेस सरकार शहरी क्षेत्र रायपुर, बिलासपुर, कोरबा, भिलाई, रायगढ़ में अपना जनाधार बढ़ाने के लिए लंबे समय से विचार विमर्श कर रही है। कई बड़े बड़े छूट भी दिये गये हैं। कई योजनाएं भी बनाई गयी है। हाल में बड़े बिल्डरों और जमीन कारीबारियों ने आम जनता को राहत देने का उपाय बताते हुए अपने लिए बड़ी राहत ले ली। संगठित होकर प्रस्ताव बनवाया और कैबिनेट से फैसला भी करा लिया। आम जनता के नाम पर जोर शोर से प्रचार भी हो गया ।
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चांपा-जांजगीर में खतरा
चांपा-जांजगीर जिला प्रशासनिक और राजनीतिज्ञ लोगों के लिए हर समय खतरे भरा साबित हो रहा है। जिले में सर्वाधिक फर्जीवाड़ा की खबरें उभरकर आये दिन आती रहती है। पदस्थ होने वाले कई अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के जांच पड़ताल चल रही है। जागरुक कहे जाने वाले इस जिले में मिली भगत के खेल के चलते पहले एक जिलाधीश को आहत होना पड़ा और अब नेता प्रतिपक्ष के राजनीतिक भविष्य दांव पर लग गया है। नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल के पुत्र के खिलाफ मामले आने के बाद समर्थक कार्यकर्ता भी सन्न रह गये हैं।

प्रथम नागरिक की नाराजगी
छत्तीसगढ़ में पहली बार अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच का आयोजन हुआ, लेकिन मैच इतना एकतरफा था कि दर्शकों को निराशा हुई। चौकों-छक्के की बरसात देखने की उम्मीद से मैदान पहुंचे दर्शक वैसा मजा नहीं ले पाए, जैसे उनको उम्मीद थी, हालांकि खुशी इस बात की है कि टीम इंडिया मैच जीत गई, लेकिन इस मैच ने राजभवन और सरकार के बीच दूरियों को और बढ़ा दिया है। बताते हैं कि पहले अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच का न्यौता नहीं मिलने से राज्य की प्रथम नागरिक बेहद खफा हैं। यही वजह है कि वो मैच देखने भी नहीं गई। राजभवन के अधिकारियों के कहने पर मैच के पास तो भेज दिए गए थे, लेकिन मैडम को न तो बीसीसीआई की ओर से और न ही सरकार की ओर से कोई न्यौता दिया गया। यह बात मैडम को खल गई और उन्होंने मैच का बायकॉट कर दिया। राजभवन और सरकार के बीच आरक्षण के मुद्दे पर पहले से ही तलवारें खींची हुई है। ऐसे में क्रिकेट मैच ने आग में घी डालने का काम किया है। देर-सबेर यह मामला भी तूल पकड़ सकता है और मैच के कर्ताधर्ताओं को राजभवन की नाराजगी झेलनी पड़ सकती है।

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