तिरछी नजर 👀 : सरकार-प्रशासन की अंदरूनी खबर : रिश्तेदार भी नहीं बचा पाए……. ✒️✒️

रायपुर। राज्य सरकार का पहला आदेश पीएचई के ईएनसी के रूप में मगनलाल अग्रवाल का निकला है। इससे पहले मगनलाल को रोज हटाओ-हटाओ अभियान चल रहा था, लेकिन सरकार पलटते ही मगनलाल को प्रभारी ईएनसी से पूर्णकालिक ईएनसी बना दिया गया। भूपेश सरकार में ताकतवर जल जीवन मिशन के मुखिया आलोक कटियार को करीब 18 साल बाद अरण्य भवन वापस भेज दिया गया। शीर्ष स्तर पर सारे विचार विमर्श होने के बाद दो महत्वपूर्ण फैसले किये गए। एक फैसले में दोस्ती काम आ गई और दूसरे फैसले में रिश्तेदारी भी काम नहीं आयी।
सरगुजिया राज..
हाल में हुए प्रशासनिक फेरबदल में सबसे ज्यादा कुनकुरी के रहने वाले आईएएस अफसर सुनील जैन का कद बढ़ा है। खनिज जैसे कई महत्वपूर्ण विभाग मिला है। सुनील जैन इससे पहले डॉ आलोक शुक्ला के साथ शिक्षा विभाग सफलतापूर्ण चला रहे थे। चर्चा है सुनील जैन के सुझावों को भी काफी तवज्जों दिया गया है। भाजपा का एक प्रभावशाली ग्रुप तो सीएम सचिवालय में ले जाने के लिये प्रयासरत है।
लो-प्रोफाइल में काम करने वाले जैन वहां जाने से फिलहाल बच रहे है। तबादला आदेश निकलने के पहले तक फ्रंट लाइन में बैठकर मुख्यमंत्री के साथ समीक्षा करने वाले सुब्रत साहू, सिद्धार्थ कोमल परदेशी सहित कुछ अफसरों का प्रभाव कु कम कर दिया गया है। कुछ छत्तीसगढिय़ा अफसरों की उपेक्षा का दंश सहना पड़ रहा है।
गौतम बनेंगे डीजीपी
आईएएस अफसरों के तबादले के बाद आईपीएस अफसरों के तबादला आदेश एक -दो दिनों में निकलने की संभावना है। इसमें डीजीपी अशोक जुनेजा को हटाकर गृह सचिव व सीनियर आईपीएस अफसर अरुण देव गौतम को डीजीपी बनाए जाने की प्रबल संभावना है। इसके अलावा रायपुर सहित कई जिलों के एसपी. बदले जायेंगे जिनके खिलाफ भाजपा ने चुनाव के दौरान चुनाव आयोग में शिकायत की थी । जिनके खिलाफ विभिन्न मामलों में जांच पड़ताल चल रही है।
नवा रायपुर में रहेंगे नेताम
नवा रायपुर में मुख्यमंत्री व मंत्रियों के बंगले तैयार हैं पर सुरक्षा कारणों का हवाला देकर फिर से लटका दिया गया है लेकिन कृषि मंत्री रामविचार नेताम ने नवा रायपुर में अपने लिए बंगला पसंद कर लिया है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि वर्तमान में शंकर नगर में कवासी लखमा का जो बंगला आबंटित किया गया है उसे निरस्त कर नवा रायपुर में बंगला देने का कष्ट करें। वो प्रदेश के पहले मंत्री होंगे जो नवा रायपुर में जाने का साहस कर रहे हैं।
त्रिपाठी व सोनी रिलीव..
भूपेश सरकार के समय प्रभावशाली रहे आबकारी आयुक्त एपी त्रिपाठी व खाद्य विभाग के सचिव रहे मनोज सोनी को साय सरकार ने एकतरफा केन्द्र सरकार के लिए रिलीव कर दिया है। टेलीफोन सेवा के दोनों अफसर रमन शासनकाल से मंत्रालय के विभिन्न विभागों में पदस्थ रहे हैं। त्रिपाठी तो आबकारी विभाग के सभी काम रमन सरकार में भी करते रहे हैं। भूपेश सरकार के समय आबकारी घोटाले में ईडी ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है ।वही मनोज सोनी के खिलाफ ईडी की जांच भी चल रही है। राज्य सरकार ने दोनों अफसर पर सख्ती बरतते हुए फैसला लिया है।
आईएफएस अफसर भी निशाने पर
आईएफएस अफसर व रेरा के अध्यक्ष संजय शुक्ला और जैव विविधता बोर्ड के अध्यक्ष राकेश चतुर्वेदी सहित कई अफसरों को हटाने पर विचार चल रहा है। कांग्रेस शासनकाल में मलाईदार पद पर पदस्थ सभी अफसरों की सूची बन रही है। भाजपा संगठन द्बारा बनाया जा रहे सूची को लेकर तरह की अटकले हैं। कई आईएफएस अधिकारी सरकार के प्रमुख लोगों से मिलकर जुगाड़ लगाने सक्रिय हैं। मंत्री ने फिलहाल ऐसे कुछ लोगों को उल्टे पांव लौटा दिया है। संगठन का रुख देखकर आगे निर्णय होगा।
अगला मंत्री बस्तर से….
साय मंत्रिमंडल में रिक्त एक पद को लेकर पार्टी के भीतर एक अनार सौ बीमार की हालत बनी हुई है। मंत्रिमंडल से चुके दिग्गज नेता धरमलाल कौशिक, अजय चंद्राकर, अमर अग्रवाल, राजेश मूणत, लता उसेंडी सहित कई नामों पर चर्चा चल रही है। कई नेता दिल्ली तक दौड़ लगा चुके हैं। संघ व संगठन के प्रमुख नेताओं से लंबी चर्चा हो चुकी है। इनमें से कुछ नेता लोकसभा टिकिट चाहते हैं। समीकरण का इंतजार कर रहे हैं। मंत्रिमंडल में बस्तर की उपेक्षा हुई है ।सिर्फ एक नेता केदार कश्यप को मंत्री बनाया गया है जबकि पिछले कई दशकों से बस्तर में दो मंत्री रहे हैं। जाति व क्षेत्रीय समीकरण में दुर्ग जिले को भी तवज्जों दिए जाने के संकेत है। संसदीय सचिव की नियुक्ति भी लोकसभा चुनाव के पहले हो सकता है।
बसव राजू ऐसे बने नगरीय प्रशासन सचिव..
प्रशासनिक फेरबदल में 88 आईएएस अफसरों की तबादला सूची जारी होने के बाद भी सामान्य प्रशासन विभाग से कई चूक हो गयी है। आबकारी सचिव रहे कावरे को नान आईएएस कैडर पद पर वित्त विभाग में पदस्थ कर दिया गया है। कई विभाग प्रमुख की नियुक्ति नहीं हुई है। नगरीय निकाय विभाग के सचिव पद पर भी किसी की नियुक्ति नहीं की गयी थी। नगरीय प्रशासन विभाग के मंत्री अरुण साव का ध्यान इस तरफ गया। मंत्री ने शीर्ष स्तर पर ध्यान आकृष्ट कराया तब दूसरे दिन बसव राजू को नगरीय प्रशासन विभाग का सचिव का आदेश निकला। रायपुर कलेक्टर रहे बसव राजू अभी वन विभाग के भी सचिव है।
गोपनीय बैठक
प्रदेश भाजपा की बैठक में पहली बार पूरी गोपनीयता बढ़ती गई ।सारे मंत्री व विधायकों के मोबाइल सभा कक्ष के बाहर करवा दी गई। और सुरक्षा गार्ड को भी आने की अनुमति नहीं थी इतनी गोपनीय बैठक में क्या चर्चा हुई ,यह अभी बाहर नहीं आ पाया है। यह कहा जा रहा है कि विधानसभा चुनाव नतीजों की लोकसभावार समीक्षा की गई। विधानसभा चुनाव के समय बहुत सारे चीज बाहर आने के बाद संगठन के पदाधिकारी सतर्क हो गए हैं गोपनी बातें मीडिया तक नहीं पहुंचने के निर्देश भी हैं