सरकार बदली, तो कारोबार जगत में भी काफी कुछ बदलाव हुआ है। पहले सरकारी आयोजनों में कैटरिंग के काम में पंजाब मूल के होटल कारोबारियों का दबदबा था। ये कारोबारी के कांग्रेस सरकार के लोगों के करीबी माने जाते रहे हैं। ऐसे में सरकारी भोज का जिम्मा पंजाब मूल के कारोबारी ही संभालते थे।सरकार बदल गई , तो कैटरर्स भी बदल गए। इन दिनों भाजपा नेता के होटल में रौनक आ गई है। खाना शुद्ध और सात्विक होता है,जो बजट सत्र में विशिष्ट जनों को खूब भा रहा है। बिल भी पहले के मुकाबले कम बन रहा है,जो सरकारी लोगों के लिए सुविधाजनक है।
एक और डायरी में राज
चर्चा है कि पूर्व मंत्री अमरजीत भगत और उनके करीबी ईडी की जांच में बुरी तरह घिरते दिख रहे हैं। अंबिकापुर के टिम्बर कारोबारी राजू अग्रवाल तो रेड के बाद से गायब हैं। ईडी ने उनके घर के तीन कमरों को अब तक सील कर रखा है।
बताते हैं कि ईडी ने एक छोटे कर्मचारी के यहां डाला, तो एक डायरी हाथ लग गई। उसमें सरकारी कामकाज का इतना बारीक हिसाब -किताब मिला कि इसका जवाब देना मुश्किल होगा। वैसे भी एक डायरी के हिसाब-किताब को लेकर जांच एजेंसियां आज तक माथा पच्ची कर रहीं हैं। आने वाले दिनों में क्या होगा, यह तो कुछ समय बाद पता चलेगा।
विधायक के तेवर
मैनपाट महोत्सव में इस बार काफी धूम रही। खुद सीएम विष्णुदेव साय कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद थे। मगर स्थानीय विधायक रामकुमार टोप्पो को कार्यक्रम के ठीक पहले अप्रिय स्थिति का सामना करना पड़ा।
सीधे सरल स्वभाव के टोप्पो मंच की ओर बढ़ने लगे, तो एक महिला पुलिस कर्मी ने उन्हें रोक दिया। विधायक ने अपना परिचय दिया, तो आईकार्ड दिखाने के लिए कह दिया। इससे विधायक समर्थक भड़क गए, तभी वहां पुलिस के कुछ अफसर वहां पहुंचे और उन्होंने विधायक को देख खेद प्रकट कर सम्मान मंच तक पहुंचाया। पूर्व सैनिक विधायक ने भी महिला पुलिस कर्मी के व्यवहार को प्रतिष्ठा का प्रश्न नहीं बनाया और मामला सुलझ भी गया। सीएम ने सीतापुर में भाजपा को पहली बार मिली जीत की खुशी में झंडा पार्क बनाने का ऐलान भी किया।
कांग्रेस में किचकिच जारी
कांग्रेस के अंदरखाने में खींचतान चल रही है। चर्चा है कि कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल के खिलाफ शिकायतें हाईकमान से की गई है। शिकायतों में पार्टी फंड के दुरूपयोग की बात प्रमुखता से की गई है। रामगोपाल तो ईडी की गिरफ्तारी के डर गायब हैं। वैसे हाईकमान को रामगोपाल के प्रति सहानुभूति है। ऐसे में शिकायतों का क्या होगा, यह तो रामगोपाल के आने के बाद ही पता चलेगा।
पहले सीबीआई के नाम से डर,अब उसी से..
कांग्रेस शासनकाल में केन्द्रीय जांच ब्यूरो की राज्य के मामलों में जांच पर रोक लगी हुई थी। तब यह आरोप लगाया जाता था कि राज्य विपक्षी पार्टियों की सरकारों को परेशान करने के लिए जांच एजेंसियों का दुरुपयोग किया जा रहा है। कांग्रेस एवं अन्य विपक्षी पार्टियों का यह आरोप अब भी बरकरार है, लेकिन राज्य के मामले में यह स्थिति अब बदल चुकी है। चूंकि राज्य में भाजपा की सरकार आते ही उन्होंने सीबीआई पर से रोक हटा दी है। इतना ही नहीं दो माह में दो मामले सीबीआई को सौंपने की घोषणा भी हो चुकी है। ये मामले पूर्ववर्ती कांग्रेस शासनकाल के हैं इसलिए कांग्रेस में इससे बेचैनी है। दिलचस्प यह है कि सीबीआई के नाम से चिढ़ने वाले नेता भी अब सीबीआई से जांच की मांग कर रहे हैं। किस मामले को सीबीआई को देना है, यह सरकार को तय करना है, लेकिन आश्चर्य नहीं होगा जब विपक्ष की ओर से आने वाले समय में छोटे छोटे मामलों में सीबीआई जांच की मांग होने लगी है। दूसरी पार्टी के खिलाफ जांच की मांग में भला परहेज कैसा।
महिला विधायकों का प्रदर्शन
भाजपा -कांग्रेस से इस बार रिकॉर्ड संख्या में महिला विधायक निर्वाचित होकर विधानसभा पहुंची हैं। तीन दिन के शपथ सत्र के बाद इस बजट सत्र में सभी महिला विधायक अपनी परफॉर्मेंस दिखा रहीं हैं। सभी महिला विधायक प्रश्न काल में शानदार प्रदर्शन कर रहीं है। पहली बार निर्वाचित होकर सदन पहुची महिला सदस्य भी मंत्रियों से तीखे सवाल कर रहीं हैं। वे कई बार अपने प्रश्नों से मंत्रियों को घेरने में भी कामयाब हो रहीं हैं। पहले ही सत्र में महिला विधायकों से इतने शानदार प्रदर्शन की उम्मीद दिग्गज नेताओं को भी नहीं थी। वे उनके प्रदर्शन से चकित हैं। स्वयं विधानसभा अध्यक्ष डाॅ रमन सिंह भी कई महिला विधायकों की तारीफ भी कर चुके हैं। आने वाले समय में महिला विधायकों की आक्रामकता और तेज हो सकती है। अच्छे मुद्दे उठाने का लाभ क्षेत्र की जनता को तो मिलेगा ही, पुरुष विधायकों के लिए भी प्रदर्शन में बराबरी की टक्कर देने की चुनौती बढ़ रही है।