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एस जयशंकर ने कांग्रेस पर जमकर साधा निशाना, कहा – कान खोलकर सुन लें, मोदी-ट्रंप की नहीं हुई बात

नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा और कहा कि कुछ लोग इतिहास से घबराते हैं। उन्होंने यह तंज सिंधु जल संधि (Indus Water Treaty) को लेकर कसा, जिसे पहलगाम आतंकी हमले के बाद स्थगित कर दिया गया।

ऑपरेशन सिंदूर को लेकर विपक्ष कई बार सरकार पर आरोप लगाता रहा है कि ट्रंप ने भारत-पाक के बीच सीजफायर समझौता कराया है, हालांकि भारत सरकार इन आरोपों से इनकार करती रही है।

राज्यसभा में ऑपरेशन सिन्दूर पर चर्चा के दौरान विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा, “मैं उनको कहना चाहता हूं, वो कान खोलकर सुन लें। 22 अप्रैल से 16 जून तक, एक भी फोन राष्ट्रपति ट्रंप और प्रधानमंत्री मोदी के बीच में नहीं हुआ।” जयशंकर ने इतिहास का जिक्र करते हुए कहा, “कुछ लोग इतिहास को भूल जाना चाहते हैं। शायद यह उन्हें सूट नहीं करता। वे सिर्फ वही बातें याद रखना चाहते हैं जो उनके मन को भाए।”

नेहरू की नीतियों पर उठाए सवाल
जयशंकर ने 1960 में जवाहरलाल नेहरू के संसद में दिए बयान को याद किया। उन्होंने कहा, “30 नवंबर 1960 को नेहरू ने कहा था कि संसद को पानी की मात्रा या पैसे के लेन-देन पर फैसला नहीं करना चाहिए। लोगों ने इसका विरोध किया था।

नेहरू ने कहा था कि यह संधि पाकिस्तानी पंजाब के हित में है। लेकिन उन्होंने कश्मीर, पंजाब, राजस्थान या गुजरात के किसानों के बारे में एक शब्द नहीं कहा।”

विदेश मंत्री ने जोर देकर कहा कि यह संधि उस समय की गलत नीतियों का नतीजा थी। उन्होंने कांग्रेस की सोच पर सवाल उठाते हुए कहा कि वह इतिहास से सबक लेने को तैयार नहीं।

‘मोदी सरकार ने सुधारी गलतियां’
जयशंकर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेहरू की गलतियों को सुधारने का काम किया है। उन्होंने कहा, “हमें 60 साल तक बताया गया कि कुछ नहीं हो सकता। नेहरू की गलतियां सुधारी नहीं जा सकतीं। लेकिन मोदी सरकार ने दिखाया कि यह मुमकिन है। आर्टिकल 370 को खत्म किया गया और अब सिंधु जल संधि को भी सुधारा जा रहा है।”

उन्होंने साफ कहा कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद का समर्थन पूरी तरह बंद नहीं करता, यह संधि स्थगित रहेगी। “हमने चेतावनी दी है कि खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते।”

जयशंकर ने कहा कि भारत अब पुरानी गलतियों को दोहराने नहीं जा रहा। उन्होंने पाकिस्तान को सख्त संदेश देते हुए कहा कि आतंकवाद और जल संधि साथ-साथ नहीं चल सकते। “हमने साफ कर दिया है कि अगर पाकिस्तान अपनी नीतियां नहीं बदलता, तो भारत इस संधि पर अमल नहीं करेगा।”

 

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