Home Trending Now विविधता का सम्मान ही सनातन धर्म का आधार है – राजेश्री महन्त

विविधता का सम्मान ही सनातन धर्म का आधार है – राजेश्री महन्त

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विश्वविद्यालय अपनी शैक्षणिक उत्तरदायित्व के साथ सामाजिक कर्तव्यों का भी निर्वाह कर रहा है

बिलासपुर। अटल बिहारी वाजपेई विश्वविद्यालय बिलासपुर में शनिवार को अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि छत्तीसगढ़ राज्य गौसेवा आयोग के अध्यक्ष राजेश्री महन्त रामसुन्दर दास जी महाराज ने कहा कि हमारा संपूर्ण भारतीय उपमहाद्वीप विविधताओं से परिपूर्ण है। धर्म, संस्कृति, भाषा, सभ्यता, वैचारिकता यहां तक कि प्राकृतिक विविधता भी विद्यमान है, इन सभी का आदर करना हमारे प्राचीन सनातन धर्म का मूल आधार है। इस अवसर पर हाईकोर्ट के अवकाश प्राप्त जज श्री गौतम चौरडिय़ा, यूरोप महाद्वीप से सुश्री जीलेटा डिर्जीनोस्के एवं स्वामी आदित्यानंद सरस्वती महाराज उपस्थित थे।

उन्होंने कहा कि अटल बिहारी वाजपेई विश्वविद्यालय के कुलपतिआध्यात्मिक व्यक्तित्व के धनी हैं वे विश्वविद्यालय के शैक्षणिक उत्तरदायित्व के अतिरिक्त सामाजिक कार्यों तथा कर्तव्यों का निर्वाह भली-भांति कर रहे हैं। यह हम सब के लिए सौभाग्य की बात है। उन्होंने विश्वविद्यालय में गौ सेवा के संदर्भ में विद्यार्थियों को प्रशिक्षित करने हेतु गौशाला संचालित करने के लिए भी विचार विमर्श किया है। यह कार्य अति शीघ्र पूर्ण होगा।

कार्यक्रम के अध्यक्ष हाईकोर्ट के अवकाश प्राप्त जज श्री गौतम चौरडिय़ा ने कहा कि इस मंच पर ही विविधता विद्यमान है यहां वेशभूषा, आचार विचार, रहन-सहन, धर्म एवं सभ्यता की विविधता है कुछ लोग पाश्चात्य वेशभूषा में, कुछ हिंदू धर्म से कुछ मुस्लिम और क्रिश्चियन धर्म के अनुयाई हैं। इतना होते हुए भी हम सभी में कुछ समानता है। यदि सुई चुभ जाये तो हम सबको दर्द का एहसास बराबर होगा, सूर्य का प्रकाश वायुमंडल से हवा यह सब हमें बराबर मात्रा में प्राप्त होता है। कथन का तात्पर्य प्रकृति भी हमारे साथ विविधता का सम्मान करती है। हमें भी इन्हें आत्मसात करनी चाहिए। विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य अरुण दिवाकर नाथ बाजपेई ने आगंतुकों के प्रति आभार व्यक्त किया ।

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