हाईकोर्ट से 50 प्रशिक्षण अधिकारियों को राहत:बर्खास्तगी के नोटिस को किया खारिज; कहा- कानून के दायरे में रहकर की जा सकती है कार्रवाई
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने रोजगार एवं प्रशिक्षण विभाग में नियुक्त 723 प्रशिक्षण अधिकारियों में से 50 अफसरों को बर्खास्त करने के नोटिस को निरस्त कर दिया है। हाईकोर्ट के इस आदेश से अफसरों को राहत मिली है। वहीं शासन को झटका लगा है। मामले की सुनवाई जस्टिस संजय के अग्रवाल की सिंगल बेंच ने की है।
सुनील कुमार गढ़ेवाल, चंद्रप्रकाश कश्यप, टिकेंद्र वर्मा, इंद्रा नायक के साथ ही सौरभ साहू ने हाईकोर्ट में अलग-अलग 32 याचिकाएं दायर की थी। इसमें बताया गया कि राज्य शासन ने रोजगार एवं प्रशिक्षण विभाग में 723 प्रशिक्षण अधिकारियों की नियुक्ति के लिए 30 सितंबर 2010 को विज्ञापन जारी किया था। इसके बाद 10 जनवरी 2013 को सभी चयनित उम्मीदवार को नियुक्ति आदेश जारी किया गया। 2015 में उनकी प्रशिक्षण अवधि समाप्त हो गई। इसके बाद 2020 में नियमितीकरण का आदेश जारी किया, जो 2015 से लागू हो गया।
50 अधिकारियों को जारी किया शोकाज नोटिस
याचिका में बताया गया है कि नियमितीकरण करने के बाद 50 प्रशिक्षण अधिकारियों को 6 अक्टूबर 2021 को शासन ने एक कारण बताओ नोटिस जारी किया। इसमें कहा गया कि नियुक्ति के समय रिजर्वेशन रोस्टर का पालन नहीं किया गया था, इसलिए क्यों न उनकी नियुक्ति को शून्य घोषित कर दिया जाए। याचिका में इस नोटिस को चुनौती दी गई थी।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का हवाला दिया गया। साथ ही यह भी बताया कि उनको दी गई नियुक्ति में रिजर्वेशन रोस्टर का पालन करने की जानकारी दी गई है। कोर्ट में शासन की तरफ से अधिवक्ता ने बताया कि भर्ती समिति में शामिल अधिकारियों के खिलाफ जांच चल रही है। उनके खिलाफ फैसला लिया जाना है।
हाईकोर्ट ने कहा- कानून के दायरे में रहकर की जा सकती है कार्रवाई
हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान प्रस्तुत सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के आधार मानते हुए सहमति जताई है। साथ ही पूर्व में जारी नोटिस को खारिज कर दिया है। हाईकोर्ट ने शासन को यह छूट भी दिया है कि कानून के दायरे में रहकर कार्रवाई की जा सकती है, लेकिन इसके लिए प्रक्रिया का पालन करना आवश्यक होगा। प्रकरण में याचिकाकर्ताओं की तरफ से अधिवक्ता फैजल अख्तर, आशीष कुमार चंद्राकर व उत्तम पांडेय ने पैरवी की।