रक्षाबंधन : 474 साल बाद तीन शुभ योग, पूरे दिन बहनें बांध सकेंगी रक्षा की डोर, इस बार त्यौहार रहेगा भद्रा से मुक्त

नई दिल्ली। भाई-बहन का पर्व रक्षाबंधन 22 अगस्त को है। जिसको लेकर बाजार गुलजार हैं, तो वहीं बहन की राखी को डाक विभाग देश, विदेश के अलावा सरहद में तैनात भाइयों के पास पहुंचा रहा है। ज्योतिषाचार्य भी खासे गदगद हैं। उनका कहना है कि 474 साल के बाद गजकेसरी योग रक्षाबंधन के दिन बन रहा है। पूरे दिन बहन अपने भाइयों के हाथों पर रक्षा की डोर बांध सकेंगी।
साथ ही इस बार भद्रा का साया भी नहीं है। इसका अर्थ सीधे-सीधे यह हुआ कि हमारी बहनें अपने भाई की कलाई में पूरे दिन स्नेह की डोर रंग-बिरंगी राखियां कभी भी बांध सकेंगी। ज्योतिषियों के अनुसार, इस साल रक्षाबंधन के दिन यानी श्रावण पूर्णिमा के अवसर पर धनिष्ठा नक्षत्र के साथ शोभन योग का शुभ संयोग बन रहा है। ज्योतिष शास्त्र में इन संयोग को उत्तम माना गया है।
रक्षाबंधन के दिन तीन खास संयोग भाई-बहन के लिए लाभकारी साबित होंगे। ज्योतिषविदों का कहना है कि रक्षा बंधन पर ग्रहों का ऐसा दुर्लभ संयोग 474 साल बाद बन रहा है। इससे पहले, 11 अगस्त 1547 को ग्रहों की ऐसी स्थिति बनी थी, जब धनिष्ठा नक्षत्र में रक्षा बंधन मनाया गया था और सूर्य, मंगल और बुध एक साथ ऐसी स्थिति में आए थे
रविवार को रक्षा बंधन पर इस बार राखी बांधने के लिए हमारी बहनों को कुल 12 घंटे 13 मिनट की शुभ अवधि मिलेगी। बहनें सुबह 5 बजकर 50 से लेकर शाम 6 बजकर 03 तक किसी भी वक्त भाइयों की कलाई में राखी बांध सकेंगी। वहीं, भद्रा काल 23 अगस्त यानी शनिवार को सुबह 5 बजकर 34 मिनट से 6 बजकर 12 मिनट तक रहेगा।
त्योहार भद्रा से मुक्त रहेगा
ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि इस बार रक्षाबंधन का त्योहार भद्रा से मुक्त रहेगा। ये योग 474 साल के बाद बना है। बहनें पूरा दिन भाइयों के हाथ में राखी बांध सकती हैं। उन्होंने बताया कि इस बार गुरु और चंद्रमा की युति से गजकेसरी योग बन रहा है। इस योग में घर में सुखों की प्राप्ति होती है।
बहन-भाइयों के लिए खास
पंडित कहते हैं, जब किसी की कुंडली में चंद्रमा और गुरु एक दूसरे की तरफ दृष्टि कर बैठे हों तो तब गजकेसरी योग बनता है। ऐसे जातक भाग्यशाली होते हैं। 22 अगस्त का दिन बहन-भाइयों के लिए खास होगा। राखी की डोर भाइयों की तरक्की लेकर आएगी। मुकदमे में फंसे भाइयों को राहत मिलेगी। बेरोजगारों को रोजगार मिलेगा।