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राजस्थान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपनी शर्तों पर जयपुर में उत्तरी क्षेत्रीय परिषद की बैठक करवाई

Rajasthan Chief Minister Ashok Gehlot organized a meeting of the Northern Zonal Council in Jaipur on his own terms

नई दिल्ली। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत हर दिन केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की आलोचना करते हैं। स्वयं की सरकार गिराने के प्रयासों से लेकर राजस्थान के साथ भेदभाव करने तक का आरोप शाह पर लगाते रहे हैं। गहलोत के अमित शाह विरोधी शब्दों को एकत्रित किया जाए तो ऐसा प्रतीत होता था कि जब कभी अमित शाह सामने होंगे तो अशोक गहलोत कुछ भी कर सकते हैं। लेकिन 9 जुलाई को जयपुर में हुई उत्तरी क्षेत्रीय परिषद की बैठक में जब अमित शाह से सामना हुआ तो गहलोत का रुख बदला हुआ था। इस बैठक के आयोजक की भूमिका सीएम गहलोत ने ही निभाई। 10 राज्यों के मुख्यमंत्री कैसे बैठेंगे, यह भी गहलोत के निर्देशों पर तय हुआ। बैठक में अमित शाह की कुर्सी के पास ही गहलोत की कुर्सी लगाई गई। बैठक में गहलोत ने अमित शाह का गर्म जोशी के साथ स्वागत भी किया। अमित शाह की तो यह उपलब्धि रही कि उन्होंने अपने घोर आलोचक अशोक गहलोत के राज्य में सफलतापूर्वक दस राज्यों के मुख्यमंत्रियों एवं राज्यों के प्रतिनिधियों की बैठक शांति और सफलता के साथ करवा ली, लेकिन वहीं गहलोत ने भी यह बैठक अपनी शर्तों पर करवाई। इस बैठक में गहलोत के साथ साथ वरिष्ठ मंत्री शांति धारीवाल और बीडी कल्ला ने भी भाग लिया। बैठक में इन दोनों मंत्रियों को बोलने का अवसर भी मिला। बैठक में जब गहलोत ने भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड राजस्थान को स्थायी सदस्य बनाने की मांग रखी तो अमित शाह ने इस मांग का समर्थन किया। हालांकि पंजाब ने गहलोत की मांग पर आपत्ति दर्ज करवाई, लेकिन अमित शाह ने स्पष्ट कहा कि राजस्थान को बोर्ड का स्थायी सदस्य बनाया जाना चाहिए। सीएम गहलोत भले ही अमित शाह को अपना सबसे बड़ा राजनीतिक दुश्मन समझते हों, लेकिन 9 जुलाई को अमित शाह ने अपने सकारात्मक रुख से गहलोत को गदगद कर दिया। विकास के कई मुद्दों पर अमित शाह ने राजस्थान की प्रशंसा की। ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट को भले ही नेशनल प्रोजेक्ट न बनाया जा रहा हो, लेकिन भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड के सदस्य के मुद्दे पर केंद्र सरकार ने गहलोत के रुख का समर्थन किया है। गहलोत को उम्मीद है कि ईआरसीपी पर भी अब केंद्र सरकार रुख सकारात्मक होगा। हो सकता है कि अमित शाह ने गहलोत को भरोसा भी दिलाया है। अमित शाह चाहते तो उत्तर क्षेत्रीय परिषद की बैठक में राजस्थान से केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल एक दो मंत्रियों को उपस्थित रख सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया, उल्टे राजस्थान से सीएम गहलोत के अलावा दो मंत्रियों और तीन अधिकारियों को शामिल करने की छूट दे दी गई। कहा जा सकता है कि बैठक को अपने नजरिए से करने की छूट गहलोत को दी गई। इस छूट का ही परिणाम है कि सामने मौजूद होने के बाद भी गहलोत ने अमित शाह के विरोध में एक शब्द भी नहीं कहा। जबकि इससे पहले तक गहलोत, शाह की आलोचना करने का कोई मौका नहीं छोड़ते थे। उम्मीद की जानी चाहिए कि अमित शाह और अशोक गहलोत के बीच जो तालमेल हुआ है, वह आगे भी जारी रहे, ताकि राजस्थान के विकास में कोई बाधा उत्पन्न न हो। यह भी उम्मीद की जानी चाहिए कि सीएम गहलोत अब अमित शाह की आलोचना में कठोर शब्दों का उपयोग नहीं करेंगे।

 

 

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