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रायपुर में आयोजित दो दिवसीय धर्म संसद रविवार को अचानक खत्म हो गई. कार्यक्रम में शामिल होने आए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी अचानक कार्यक्रम से चले गए. इस दौरान कथित रूप से राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को लेकर वक्ताओं ने अपशब्द कहे और नाथूराम गोडसे की तारीफ की गई. कथित रूप से मुख्य संरक्षक राम सुंदर महाराज ने महात्मा गांधी को लेकर अपशब्द कहे.
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में दो दिवसीय धर्म संसद आयोजित की गई. इस आयोजन में देशभर के धर्म अनुयायी, महामंडलेश्वर शामिल होने पहुंचे. दो दिवसीय धर्म संसद रविवार को अंतिम सत्र के दौरान अचानक समाप्त हो गई. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को लेकर कहे गए अपशब्दों के बाद दूधधारी मठ के मुख्य संरक्षक राम सुंदर महाराज अचानक मंच से चले गए. इस धर्म संसद के समापन समारोह में शामिल मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी कार्यक्रम छोड़ दिया.
कालीचरण महाराज, जो शिव स्त्रोत के पाठ के लिए जाने जाते हैं, उन्होंने राष्ट्रपिता को लेकर अपशब्दों का इस्तेमाल किया. कालीचरण आलो ने मंच से नाथूराम गोडसे की प्रशंसा की. मंच से अमर्यादित भाषा और अपशब्दों का प्रयोग किया. कालीचरण ने ओवैसी को लेकर भी अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया. कहा कि सुनिश्चित करें कि आप एक हिंदू कट्टरपंथी को अपना नेता बनाएं. वह किसी भी पार्टी का हो. वहीं इससे पहले दिन में जूना अखाड़े के प्रबोधानंद ने हिंदुओं से अपने धर्म की रक्षा के लिए शस्त्र धारण करने की बात कही.
दो दिवसीय इस आयोजन का विषय था ‘भारत को एक हिंदू राष्ट्र कैसे बनाया जाए’. इसमें अधिकांश वक्ताओं ने इसी बात पर जोर दिया. इस विषय पर असहमति की एकमात्र आवाज कुरुक्षेत्र के स्वामी स्वरूपानंद की थी. उन्होंने कहा कि जिस देश में 30 करोड़ मुसलमान रहते हैं, जहां लगभग 15 करोड़ ईसाई रहते हैं, क्या आप इसे हिंदू राष्ट्र कहेंगे.
महात्मा गांधी की धरती पर नफरत भरे भाषण अस्वीकार्य : गहलोत
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने रविवार को हरिद्वार में एक धर्म संसद में कथित तौर पर नफरत भरे भाषणों पर प्रधानमंत्री और अन्य नेताओं की ‘चुप्पी’ पर निशाना साधते हुए कहा कि महात्मा गांधी की भूमि पर इस तरह के कृत्यों को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. वक्ताओं द्वारा कथित रूप से इस्तेमाल की जाने वाली ‘हिंसा की भाषा’ भारतीय संस्कृति के खिलाफ है और अस्वीकार्य है.
एजेंसी के अनुसार, गहलोत ने कहा कि यह आश्चर्यजनक है कि प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री इस मुद्दे पर चुप हैं. सरकार ने उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की. उत्तराखंड में आयोजित धर्म संसद ने देश को झकझोर कर रख दिया है. हिंसा की भाषा का प्रयोग हमारी संस्कृति के खिलाफ है. प्रधान मंत्री और मुख्यमंत्री चुप हैं, और गृह मंत्री चुप हैं. कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है? गहलोत ने यहां शिवदासपुरा में पार्टी के प्रशिक्षण शिविर में भाग लेने के बाद कहा कि गांधी जयंती को दुनियाभर में अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि उनके देश में इस तरह के घृणास्पद भाषण दिए गए.
उन्होंने कहा कि अगर हम प्रेम और सद्भाव से नहीं रहेंगे तो देश में एकता कैसे रहेगी? चाहे हिंदू हो, मुस्लिम हो, सिख हो, ईसाई हो, जैन हो, पारसी हो, सबको साथ रहना है. गहलोत ने कोरोना मामलों की बढ़ती संख्या पर भी चिंता व्यक्त की और कहा कि केंद्र ने आखिरकार उनकी सरकार के दबाव के बाद बूस्टर डोज की घोषणा की. मैं उन्हें (केंद्र) डेढ़ से दो महीने से कह रहा था कि वे 60 साल से ऊपर के लोगों और बीमार लोगों को बूस्टर डोज की अनुमति दें. बूस्टर डोज कई देशों में दी जा रही है