रेलवे आइसोलेशन कोच का उपयोग तीसरी लहर में भी नहीं, दुर्ग के कोचिंग डिपो में शोपीस बना कोच
रायपुर: कोरोना संक्रमित मरीज को बेड की कमी न हो, इस उद्देश्य से रेलवे बोर्ड ने सुविधायुक्त आइसोलेशन कोच तैयार किया था, लेकिन यह कोच एक भी मरीज के काम नहीं आया। इसका उपयोग न पहली लहर में हो पाया और न ही दूसरी में। तीसरी लहर में भी इसका उपयोग नहीं होने की संभावना है। रेलवे बोर्ड ने लाखों खर्च कर आइसोलेशन कोच तैयार किया था, जो दो वर्षों से अधिक दुर्ग के कोचिंग डिपो में शोपीस बना हुआ है। लंबे समय से उपयोग नहीं होने से काेच धूल से लथपथ है। रायपुर रेलमंडल का कहना है, राज्य सरकार की ओर से आइसोलेशन कोच काे उपयोग में लाने के लिए किसी भी तरह का निर्देश नहीं मिलने से यह यथास्थिति में पड़े हुए हैं। 59 कोच हैं, जिसमें लाख रुपए तैयार करने में खर्च हुए थे। दूसरी लहर कई लोगों की मौत समय पर बिस्तर नहीं मिलने से हो गई, लेकिन आइसोलेशन कोच तक एक भी मरीज नहीं पहुंच पाया। अनुपयोगी हुआ आइसोलेशन कोच महामारी की दूसरी लहर में आइसोलेशन कोच को लेकर रेलवे ने खूब वाहवाही लूटी। काम भी समय में किया गया, लेकिन इतनी तेजी से इसका उपयोग नहीं हो सका। लाख रुपए खर्च करने के बाद मरीज को आइसोलेशन कोच की सुविधा नहीं मिलना रेलवे बोर्ड की असफलता है। कोच को बनाने के बाद दो सालों से अधिक एक ही जगह पर खड़ी है। जानकारी के अनुसार कोच का उपयोग हो सके, इसलिए अधिकारियों ने भी राज्य सरकार का ध्यान आकर्षित नहीं किया। कोच में समय-समय पर मेंटेनेंस कार्य नहीं होने से कोच की हालत काफी खराब हो चुकी है। लाखों खर्च के बाद कोच अनुपयोगी होने की कगार पर है।